यज्ञ प्रकृति के निकट रहने का साधन है: वैद्य जगपाल
स्वच्छता पखवाड़ा के तहत हुआ कार्यक्रम का आयोजन
मोरना-मुजफ्फरनगर- पौराणिक तीर्थनगरी शुकतीर्थ स्थित जाट धर्मशाला में नेहरू युवा केंद्र द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा के तहत आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि वैद्य जगपाल सिंह ने कहा कि यज्ञ प्रकृति के निकट रहने का साधन है। रोगनाशक औषधियों से किया यज्ञ रोग निवारण वातावरण को प्रदूषण से मुक्त करके स्वस्थ रहने में सहायक होता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी परीक्षण करके यज्ञ द्वारा वायु की शुद्धि होकर रोग निवारण की इस वैदिक मान्यता को स्वीकार किया है।
संगोष्ठी में आर्य समाज के प्रधान रोशनलाल बत्रा ने कहा कि यज्ञ भारतीय संस्कृति की पहचान है। यज्ञ करने से जहां वायुमंडल शुद्ध होता है। वहीं विभिन्न बीमारियां दूर होती है। यज्ञ मनुष्य का सबसे श्रेष्ठ कर्म है। परोपकार की सर्वोत्तम विधि हमें यज्ञ से सीखनी चाहिए। जो हवन सामग्री की आहूति दी जाती है, उसकी सुगंधित वायु द्वारा अनेक प्राणियों तक पहुंचती है। वे उसकी सुगंध से आनंद अनुभव करते हैं। यज्ञकर्ता भी अपने सत्कर्म से सुख अनुभव करता है। सुगंधि प्राप्त करने वाले व्यक्ति याज्ञिक को नहीं जानते और न ही याज्ञिक उन्हें जानता है। फिर भी परोपकार हो रहा है, वह भी निष्काम। यज्ञ की सुगंध से मानव ही नहीं बल्कि पशु पक्षियों व वनस्पति को भी लाभ होता है। संयोजक राष्ट्रीय युवा स्वयं सेवक प्रीति पाल, किसान सेवा सहकारी समिति के प्रबंध निदेशक रवि बालियान, राजेंद्र महाराज, आशीष कुमार आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में नितिन, कपिल, राहुल, जोनी, जितेंद्र, राहुल, सोनू, अंकित, अनुज आदि मौजूद रहे।