फेक्ट चेक में फेल VDO दे रहे कारण बताओ नोटिस का जवाब: नेटवर्क को मिल रहा दोष
पहले ही दिन फंस गये थे 17 कर्मचारी, अब स्पष्टीकरण में दे रहे हैं सफाई
-एक दिन का वेतन काटे जाने व अनुशासनात्मक कार्रवाई की है तैयारी
मुजफ्फरनगर। फेक्ट चेक में गैर हाजिर पाये गये ग्राम विकास अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा गया है। जिले के 17 ग्राम विकास अधिकारी ऐसे हैं, जो कि फेक्ट चेक के दौरान फेल हो गये थे, उनके फोन या तो आफ आये थे या फिर कवरेज से बाहर थे। कुछ ग्राम विकास अधिकारी ऐसे हैं, जिन्होंने अब स्पष्टीकरण में लिखकर सफाई दी है कि विभाग के पास जो उनका मोबाइल नंबर उपलब्ध है, वह बंद हो गया है। उसके स्थान पर नया मोबाइल नम्बर ले लिया गया था।
मुख्य विकास अधिकारी संदीप भागिया को शिकायत मिल रही थी कि ग्राम विकास अधिकारी अपने कार्यस्थलों पर मौजूद नहीं रहते, बल्कि ब्लॉक कार्यालय में दिनभर उनकी मौजूदगी रहती है, जिसको लेकर उन्होंने आईसीसीसी कंट्रोल रूम के माध्यम से सभी ग्राम विकास अधिकारियों की उपस्थिति चेक करा ली। पहले दिन ही फेक्ट चेक में 17 ग्राम विकास अधिकारी फेल हो गये। लुहारी खुर्द के प्रवीण कुमार, मलिरा के सुरेन्द्र कुमार, बसीकलां के रोहित, जीवना के चित्रांश बालियान, कसेरवा के मितेन्द्र कुमार, हरसौली के ओमवीर सिंह, मुकंदपुर के राजीव चौधरी, तावली के अंकुर कुमार, जौली के मनु शर्मा, खरपौड़ के रामकुमार, चंदसीना के अरुण कुमार, चित्तौड़ा के गौरव कुमार, भुम्मा के रुकमेश, घटायन के शमीम अहमद, काटका के पंकज कुमार, खेड़ी सराय के निशांत त्यागी व कैथोड़ा के अनुरोध कुमार की अनुपस्थिति दर्ज हुई थी। इनमें कुछ लोग ऐसे थे, जिन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया। मुकंदपुर के राजीव चौधरी के फोन की इनकमिंग सेवाएं बंद मिली। इसी तरह अनुरोध का नम्बर भी खराब था। खरपौड़ के रामकुमार के नम्बर पर किसी अन्य ने बात की। उसने बताया कि यह नम्बर ग्राम विकास अधिकारी का है ही नहीं। ऐसे हालात में सभी 17 ग्राम विकास अधिकारियों को एक दिन के लिए अनुपस्थित मानते हुए उनका वेतन काटने की बात कही गई है। नोटिस जारी होने के बाद अधिकतर ग्राम विकास अधिकारियों ने खुद को क्षेत्र में उपस्थित बताया। जवाब में कहा गया कि वें तो अपने कार्य क्षेत्र पर ही थे। गांव में मोबाइल का नेटवर्क खराब हो जाता है। ऐसी स्थिति में उनका नम्बर कवरेज से बाहर रहा होगा।
खराब नेटवर्क बढ़ा रहा है परेशानियां
नोटिस का जवाब देते समय ग्राम विकास अधिकारियों ने नेटवर्क का रोना रोया। इनका कहना था कि ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल कम्पनियों का नेटवर्क बहुत खराब है। कई बार तो घंटों-घंटों तक मोबाइल कवरेज से बाहर हो जाते हैं। उन्हें पता भी नहीं चलता कि किसी ने कॉल किया है। नतीजा यह होता है कि अफसर उनका स्पष्टीकरण तलब कर लेते हैं या फिर वेतन काटने की कार्रवाई हो जाती है।
अपने पत्र में क्या कहतें हैं जिला पंचायत राज अधिकारी
डीपीआरओ अनिल कुमार सिंह का कहना है कि प्रतिदिन कंट्रोल रूम के माध्यम से ग्राम विकास अधिकारियों की उपस्थिति चेक कराई जा रही है। कुछ कर्मचारियों के नम्बर बदल गये थे। उन्हें सूची में अपडेट कर दिया गया है। पहले दिन जिन लोगों से बात नहीं हो पाई थी, उनसे स्पष्टीकरण लिया गया है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों का जो भी निर्णय होगा, वही चलेगा। उन्होंने कहा कि ग्राम विकास अधिकारियों को नीयत गांव में रहने के लिए कहा गया है। जो लोग निर्धारित गांवों में नहीं रहेंगे, उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी।