करोड़ो के खेल का हुआ खुलासा, कॉलेज को दी गई बेशकीमती जमीन पर खड़ी कर दी एसडी मार्किट, अब चलेगा योगी का बुलडोजर

प्रदेश सरकार ने मुजफ्फरनगर की हृदयस्थली शिवचौक की जिस जमीन को इंटर कॉलेज के लिए लीज पर देकर सरकारी अनुदान से यहां इंटर कॉलेज का निर्माण कराया था, वह कॉलेज सेटिंग के खेल में दूसरे स्थान पर ट्रांसफर करके यहां हजारों करोड़ रुपये की लागत की मार्केट खड़ी हो गई। शिकायत पर जांच में पूरा मामला खुला, तो शासन के निर्देश पर अब इस सम्पत्ति पर जिला प्रशासन ने कब्जा लेने की तैयारी पूरी करते हुए सात दिन का नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही यहां अवैध कब्जा करने वाली एसोसिएशन को 190 करोड़ रुपये की वसूली का नोटिस भी जारी किया है। जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने बताया कि यदि सात दिन के भीतर संतोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं होता तो इस सम्पत्ति पर सरकारी कब्जा लेते हुए इसे नगर पालिका में ट्रांसफर करा दिया जायेगा।
वर्ष 2005 में इस मामले की शिकायत महावीर चौक निवासी श्रीकांत त्यागी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से की थी। सीएम मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर इस मामले की जांच हुई थी। शिकायत में कहा गया था कि हजारों करोड़ रुपये की शासकीय सम्पत्ति का दुरुपयोग किया गया है। शिवचौक पर एसडी इंटर कॉलेज की स्थापना हुई थी, लेकिन इसे कुछ लोगों ने यहां से ट्रांसफर कर दिया और यह स्कूल रोडवेज बस स्टेंड के नजदीक स्थापित करते हुए यहां स्कूल को तोड़कर दुकानें बना दी। यह सम्पत्ति राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। प्रबंध तंत्र ने एक षड़यंत्र रचकर सुरक्षा निमयों के विपरीत तीन मंजिला मार्केट में लगभग दो हजार दुकानें बना दी। प्रबंध तंत्र ने इस एसडी इंटर कॉलेज से लगती हुई नगरपालिका की जमीन के प्ले ग्राउंड को लीज पर लिया था। तब शर्त रखी गई थी कि यह जमीन बच्चों के खेल के मैदान के रूप में प्रयोग की जायेगी। यदि इसके अतिरिक्त कोई कार्य होता है, तो शर्त का उलंघन होगा और नगर पालिका में यह भूमि स्वत: ही निहित हो जायेगी। शिकायतकर्ता का कहना था कि उस समय तय हुआ था कि शासकीय भूमि का किराया नगर पालिका में जमा होगा, लेकिन यहां नगर पालिका की जमीन में भी 700 दुकानें बना दी गई। जहां से करोड़ों रुपये प्रति दुकान की पगड़ी व किराया एसडी इंटर कॉलेज के खाते में जमा होने लगा। कुछ वर्ष पहले एसडी इंटर कॉलेज के खाते का नाम बदलकर एसडी कॉलेज एसोसिएशन कर दिया गया। अब फिर से इस पूरे मामले की जांच हुई। डीएम चंद्रभूषण सिंह की जांच कमेटी की जांच में शिकायत सत्य पाई गई, लेकिन डेढ़ दशक तक यह जांच फाइलों में ही सिसकती रही। अब इस मामले में फिर से शिकायत हुई, तो शासन स्तर से संज्ञान लिया गया, जिसके बाद जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह ने जांच रिपोर्ट को आधार मानते हुए इस सम्पत्ति को सरकारी बताया।
उन्होंने कहा कि नगर पालिका ने एसडी एसो. को सात दिन का नोटिस दिया गया है। इसके बाद इस सम्पत्ति को सरकारी दस्तावेजों में दर्ज करा दिया जायेगा। एसडी कॉलेज एसोसिएशन प्रबंध तंत्र को वसूली का नोटिस जारी किया गया है। उनसे पूछा गया है कि उन्होंने सरकारी जमीन पर किस आधार पर मार्केट बनाकर अवैध कब्जा किया है। ऐसे में प्रथम दृष्टया 190 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
15 साल तक फाइल में ही लटका रहा मामला
वर्ष 2005 में भी यह जांच रिपोर्ट आ गई थी कि एसडी इंटर कॉलेज को तोड़कर यहां अवैध रूप से एसडी मार्केट बना दी गई है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण एवं सिक्कों के खेल में यह फाइल दबी रही। सपा की सरकार जाने के बाद बसपा सरकार बनी तो मामला उछला, लेकिन यहां भी इनके गॉडफादर सामने आ गये। फिर से अखिलेश आये तो मामले की जांच आगे बढ़ी, मगर कुछ अफसरों ने इस कार्रवाई को होने नहीं दिया। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में मामला आया, तो इस प्रकरण में कार्रवाई के संकेत मिले। जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने मजबूत निर्णय लेते हुए तत्काल कार्रवाई के लिए कहा, तब जाकर हजारों करोड़ रुपये की इस सम्पत्ति पर कार्रवाई सम्भव हो पाई।
श्रीकांत त्यागी ने 17 सालों में झेले हैं दर्जनों मुकदमें
शिकायतकर्ता श्रीकांत त्यागी को इस मामले की शिकायत करना उस समय भारी पड़ा, जब शिकायत वापस लेने के दबाव के बीच उन पर रंगदारी, जानलेवा हमले, गुंडाएक्ट, गैंगस्टर सहित विभिन्न् संगीन धाराओं में एक के बाद एक मुकदमें दर्ज कर दिये गये। तत्कालीन सीओ सिटी पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी मुकदमे दर्ज कराने का मानो ठेका ही ले रखा था, जिसमें शिकायतकर्ता को कईं माह तक जेल का दंश झेलना पड़ा था।
ध्वस्तीकरण की दी चेतावनी दी गई नोटिस में
नगर पालिका परिषद के ईओ हेमराज की ओर से सनातन धर्म इंटर कॉलेज एसोसिएशन के अध्यक्ष व सचिव को नोटिस दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि अनुबंध पत्र के तहत इस परिसर का उपयोग शैक्षिक उद्देश्य के लिए ही हो सकता था, लेकिन एसडी एसोसिएशन ने इस नियम का दुरुपयोग किया। एक सप्ताह के अंदर वें इस सम्पत्ति से कब्जा हटा लें। अन्यथा की स्थिति में सरकारी भूमि को खाली करने के लिए ध्वस्तीकरण करते हुए इसका खर्चा भी वसूला जायेगा।




