हरे भरे वृक्षों के लिए जानलेवा बनी कोल्हुओ की राख.. सुखा रही हरियाली

क्या ना समझ हैं समझने वाले………..???
(काज़ी अमजद अली)
मुज़फ्फरनगर ( उत्तर प्रदेश)।
पर्यावरण को सुन्दर बनाना तो दूर आज जनपद मे पर्यावरण को बचाये रखना भी मुश्किल हो गया है।दिन प्रतिदिन दूषित होती हवा जीवन मे बीमारियों का जहर घोल रही है। वहीं नागरिकों के अच्छे स्वास्थ्य से बेखबर प्रशासन पर्यावरण व हरियाली को बचाने मे ज़रा भी गंभीर नहीं है। मोरना भोपा मार्ग पर डाली जा रही कोल्हुओ की राख हरे वृक्षों को सुखाने का काम कर रही है।जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुँच रहा है। वन विभाग की ख़ामोशी पर नागरिकों ने चिंता प्रकट की है।
मोरना-भोपा-मुज़फ्फरनगर मार्ग किनारे दोनों ओर खडे हरे वृक्षों की ठंडी छाँव राहगीरों को तेज गर्मी से बचाती है।तथा हरे वृक्ष वाहनों के साइलेन्सर से निकलने वाले जहरीले धुएं के दुष्प्रभाव को भी कम करते हैं। सड़क किनारे खडे यह हरे वृक्ष प्राणवायु के शुद्धिकरण का काम करते हैं वावजूद इसके अब इन हरे वृक्षों की उपयोगिता को जानबूझ कर नजर अंदाज किया जा रहा है जिसके चलते हरे वृक्षों का अस्तित्व लगातार समाप्त हो रहा है।बीते कुछ समय मे वन विभाग व प्रशासन की लापरवाही के कारण सेंकड़ो हरे भरे वृक्ष अनेक कारणों से अब समाप्त हो चुके है।ओर कुछ का वजूद समाप्त होने को है। सड़क किनारे खडे वृक्षों के लिए पानी की व्यवस्था तो दूर इनकी जड़ों मे कोल्हू की राख के ढ़ेर लगा दिये जा रहे हैं। पेड़ों के नीचे डाले गये कूड़े के ढेरों मे लगी आग से वर्ष मे अनेक पेड़ जल जाते हैं।
वहीं कोल्हुओ की राख हरे वृक्षों के लिए जानलेवा बनी है। वन विभाग की लापरवाही के कारण पर्यावरण सुरक्षा आज बेमानी होकर रह गयी है। तथा जनपद व क्षेत्र मे हरियाली लगातार तेजी से कम हो रही है। क्या ही बेहतर हो पर्यावरण हित, जनहित,मानवहित मे हरे वृक्षों को बचाया जाये व नये वृक्षों का रोपण कर पर्यावरण को पुन:हरा भरा व सुन्दर बनाया जाये।




