क्या परम्परागत कांग्रेसी कमल मित्तल भी करेंगे कांग्रेस को बाय-बाय?

उपेन्द्र चौधरी
विधानसभा चुनाव 2022 का आगाज होने वाला है ।समाजवादी पार्टी और रालोद का गठबंधन इस चुनाव में मजबूती के साथ वर्तमान भारतीय जनता पार्टी सरकार के साथ मुकाबले के लिए मंच तैयार कर रहा है समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव रालोद के साथ अन्य छोटे दलों के साथ तालमेल बैठाने का कार्य मजबूती के साथ कर रहे हैं । मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट के बारे में चर्चा है कि सीट पर इस बार रालोद प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी के साथ टक्कर लेगा और कांग्रेस का प्रत्याशी इस चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश करता नजर आएगा। सच है कि इस चुनाव में कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता कमल मित्तल जो 1990 से आज तक कांग्रेस में लगातार पदाधिकारी के रूप में कार्य करते आए हैं, ठोस और जमीनी कांग्रेसी कार्यकर्ता के रूप में विख्यात हैं ,रालोद ज्वाइन कर मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते दिखाई दे सकते हैं ।कमल मित्तल के बारे में यह खास बात है कि वह जहां भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत के दाये हाथ माने हैं वही उनकी निष्ठा कांग्रेस के प्रति भी कभी संदेह के घेरे में नहीं आई है।
वही कमल मित्तल को जनपद मुजफ्फरनगर में अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता है । वही जनपद के अधिकारियों में भी उनकी अच्छी छवि है और जनपद के अधिकांश अधिकारी उनके द्वारा कहे गए कार्य को आसानी से कर देते हैं। कमल मित्तल जा वैश्य समाज में बहुत अच्छी पकड़ रखते हैं और जनपद के उद्यमी भी उन्हें उचित सम्मान देते हैं वही जाट समाज उन्हें हमेशा वैश्य नहीं जाट के रूप में जानता आया है।
अगर आप वर्तमान परिस्थितियों में मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट रालोद के खाते में रहती है और रालोद इस सीट पर वैश्य प्रत्याशी को उतारने का मन बनाता है तो रालोद प्रमुख जयंत चौधरी की पहली पसंद कमल मित्तल हो सकते हैं जिसका प्रमुख कारण कमल मित्तल की वैश्य एवं जाट समुदाय में जबरदस्त पकड़ है एवं पिछले 17 विधानसभा चुनाव में 15बार मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट से वैश्य प्रत्याशी ने जीत हासिल की है।