हत्या कर शव छिपाने के मामले में उम्रकैद की सजा

मुजफ्फरनगर। अपहरण के बाद हत्या व शव छिपाने के मामले में 5 साल बाद फैसले की घड़ी आई।न्यायालय में सुनवाई के दौरान आरोपी पर दोष साबित हुआ।इसके बाद न्यायालय ने कातिल को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए जुर्माना भी लगाया है।इस मामले में विशेष लोक अभियोजक अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम यशपाल सिंह ने पैरवी की। कातिल पूर्व से ही उत्तराखंड की रुड़की जेल में किसी अन्य केस में बंद है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक 23 अप्रैल 2016 को सवेरे 11:00 बजे चरथावल निवासी नौशाद अपने साथ सत्य प्रकाश को ट्रैक्टर सहित बुलाकर ग्राम नियामु की तरफ लेकर गया था। जाते समय सत्यप्रकाश ने मुकदमा वादी अपने पुत्र दिनेश को कहा था कि वह जल्दी ही ग्राम नियामु से लोट कर आ रहा है। लेकिन 2 दिन तक भी सत्यप्रकाश का कोई अता पता पता नहीं चला। सत्य प्रकाश का मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था। इसके बाद दिनेश कुमार पुत्र सत्यप्रकाश निवासी अकबर गढ़ ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया । सत्य प्रकाश का शव 27 जुलाई 2016 को ग्राम सिखेड़ा के जंगल में गंदे नाले से मिला।नौशाद को मृतक सत्य प्रकाश की साथ जाते समय गवाह ने भी देखा था ।सत्य प्रकाश की हत्या के मामले में नौशाद को पुलिस ने गिरफ्तार किया। तो उसने इस मामले में इमरान, फरमान व विकास को शामिल होना बताया। लेकिन अदालत में इन तीनों के इस घटना में शामिल होने का साक्ष्य नहीं मिला। यह मामला एससी एससी कोर्ट के पीठासीन अधिकारी न्यायाधीश वीरेंद्र पांडे की अदालत में चला। जहाँ लोक अभियोजक यशपाल सिंह व एडीजीसी सहदेव सिंह द्वारा प्रबल पैरवी की गई। अभियोजन पक्ष की ओर से 10 गवाह पेश किए गए।जिसमें गवाहों की गवाही को सत्य मानते हुए कातिल नौशाद को अपहरण हत्या व शव छिपाने की धाराओं में उम्र कैद के साथ-साथ आर्थिक दंड से भी दंडित किया गया है। कातिल नोशाद उर्फ भूरा पुत्र इरशाद कस्बा चरथावल के मोहल्ला चौहट्टा का निवासी है। वर्तमान में भी वह आपराधिक मामलों में शामिल था जिसके चलते वह रूड़की जेल में बंद चला आ रहा है।