अपना मुज़फ्फरनगर

भाईयों की कलाइयों पर बहनों ने बांधी स्नेह की डोर

बाजारों में रही भीड़, यातायात के लिए भी रही मारा-मारी, लोगो ने बसो की छतो पर किया सफर
मुजफ्फरनगर। राखी का पर्व केवल एक धागे का त्योहार नहीं है। यही धागा भाई-बहन के स्नेह को मजबूत करता है। भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन शहर सहित पूरे जिले में हर्षोल्लास से मनाया गया। सुबह से ही बहनें भाइयों को राखियां बांधने निकल पड़ीं। बहनों ने भाइयों को मंगल तिलक लगाकर कलाइयों पर राखी बांधी तो भाइयों ने उनके प्रतिरक्षा संकल्प लेते हुए उन्हें उपहार दिए। इससे पूर्व परंपरागत रूप से देवों को भी रक्षा सूत्र समर्पित किया गया। रक्षाबंधन पर्व को लेकर गुरूवार सुबह से उत्साह का माहौल रहा। सुबह से ही सड़कों पर भाई बहनों का सैलाब उमड़ पड़ा। ट्रेनों, बसों से लेकर मैजिक व टेंपो खचाखच भरे दिखाई दिए। घरों में सुबह से ही राखी बांधने का सिलसिला शुरू हो गया। बहनों ने भाइयों की कलाई पर स्नेह की डोर बांधी और उनसे रक्षा का संकल्प लिया। भाइयों ने भी उपहार देकर संस्कार पूरे किए। वहीं कई बहनों ने व्रत रखकर पूरे विधि विधान से त्योहार मनाया। राखी व मिठाई की दुकानों पर भी खरीदारों का तांता लगा रहा। ग्राहकों ने त्योहार पर मावा की मिठाई से परहेज करते हुए छेने व बेसन से बनी मिठाई को अधिक तवज्जो दी। घर के बुढे-बुजुर्गों का पैर छुकर आशिर्वाद लिया। दोपहर में अधिकांश बहनों ने भाई की कलाई पर राखी सजाई और उपहार पाकर अपनों के साथ खुशियां मनाई सुबह से शुरू हुआ इन्हीं भावनाओं के साथ सुबह से ही तैयारी कर रही बहनों ने भाइयों के हाथों में राखियां बांधी। भारतीय हिंदू संस्कृति में सभी रिश्तो को महत्व देने के लिए कई पर्व मनाए जाते हैं। भाई दूज के साथ रक्षाबंधन का पर्व भाई और बहन के अनूठे संबंध को और गहरा करने का पर्व है। भारत में रक्षाबंधन को लेकर पौराणिक और ऐतिहासिक परंपरा रही है। कहा जाता है की असुर देवता संग्राम में इंद्र को उनकी पत्नी इंद्राणी ने अभिमंत्रित रेशम का धागा बांधा था जिसकी शक्ति से वे विजयी हुए। भगवान श्री कृष्ण को द्रौपदी द्वारा उनके घायल उंगली में साड़ी की पट्टी बांधने को भी रक्षाबंधन से जोड़कर देखा जाता है। उसी परंपरा का पालन करते हुए इस गुरुवार को बहनों ने सुबह से उपवास रखकर स्नान और श्रृंगार किया। खुद सज धज कर बहनों ने थाल सजाई। जिसमें राखियों के साथ रोली हल्दी चावल दीपक मिठाई आदि रखा। भाइयों को टीका लगाकर उनकी आरती उतारी गई और उनकी दाहिनी कलाई पर राखी बांधी गई। भाइयों ने रक्षा का वचन देते हुए बहनों को उपहार प्रदान किए। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में रक्षाबंधन को लेकर एक सा उत्साह नजर आया। तमाम आधुनिकताओं के बावजूद आज भी भारतीय परंपराओं पर अटूट विश्वास की झलक ऐसे ही पर्व पर नजर आती है। सभी भाई और बहनों को वर्षभर इसकी प्रतीक्षा होती है।
जेल में भाइयों के हाथों पर राखी बांधने पहुंची बहनें
मुजफ्फरनगर में  कोविड-19 महामारी के दो साल बाद जिला कारागार में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया गया। क्षणिक आवेश में हुए अपराध की सजा काट रहे भाइयों की कलाई पर बहन ने रक्षा सूत्र बांधा तो दोनों की आंखें भर आई। बहनों ने इस मौके पर अपने भाई के रिहाई की दुआ भी मांगी। वहीं जेल की सलाखों के पीछे से भाइयों ने अपनी बहन के सुखी जीवन की कामना की। गुरुवार को रक्षाबंधन के पर्व पर जिला कारागार के बाहर सुबह से ही बहनों का ताता देखने को मिला। जेल प्रशासन ने कैदी भाइयों व उनकी बहनों के लिए विशेष इंतजाम किए। जेल व जिला पुलिस ने जेल सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये। जेल के मुख्य द्वार पर जेल प्रशासन ने राखी बांधने की व्यवस्था की। जहां सलाखों के पीछे बैठे भाई को बहन ने राखी बांध मिठाई खिलाई। इस दरमियान बहन-भाइयों की आंखें भी झलक उठी। जेल प्रहरी बहनों की ओर से लाई गई मिठाई व सामान को जांच के बाद भीतर पहुंचने की कवायद में जुटे रहे। जिला कारागार अधीक्षक सीताराम ने बताया कि कारागृह के निर्देशों के अनुसार कोविड प्रोटोकॉल की पालना करते हुए जेल में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा रहा है। पिछले दो वर्ष कोविड-19 महामारी के कारण जेल में रक्षाबंधन नहीं मनाया गया। जेल अधीक्षक ने कहा कि उनका प्रयास है कि जेल के अधिक से अधिक बंदियों के हाथों पर रक्षा सूत्र बंदे, जिससे कि वह प्रत्येक महिला की रक्षा का संकल्प लें। चाहे वह स्वयं या अन्य की बहन क्यो ना हो।

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