अपना मुज़फ्फरनगर

30 दिन के अन्दर एक्ट के तहत वादी को सूचना प्रदान करे: सूचना आयुक्त

जनपद के सभी जन सूचना अधिकारियों व अपीलीय अधिकारियों के साथ बैठक कर दी महत्वपूर्ण जानकारी
-राज्य सूचना आयुक्त नरेंद्र कुमार बोले:- जन सूचना अधिकारियों का प्रथम दायित्व नागरिकों को सूचना उपलब्ध कराना 
मुजफ्फरनगर। जिला पंचायत सभागार में राज्य सूचना आयुक्त नरेंद्र कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जनपद स्तर पर कार्यरत जनसूचना अधिकारियों व प्रथम अपीलीय अधिकारियों को उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 एवं नियमावली 2015 के प्रभावी क्रियान्वयन के सम्बन्ध में बैठक संपन्न हुई।
राज्य सूचना आयुक्त नरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने अधिकारियों केा सम्बोधित करते हुए कहा कि जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 से भ्रष्टाचार पर काफी लगाम लगी है और प्रत्येक व्यक्ति को जन हित में इसका प्रयोग करना चाहिए, लेकिन इसकी आड में किसी का शोषण व उत्पीडन न किया जाये। उन्होने कहा कि सभी अधिकारी समय से मांगी गयी सूचनाओ को उपलब्ध कराने का काम करे और भरसक प्रयास किया जाये कि जो सूचनाएं विभाग से मांगी जाये उसका निचले स्तर पर ही निराकरण कर दिया जाये उसे आयोग तक न जाना पडे। उन्होने कहा कि आयोग के समक्ष जो भी मामले लाये जाते है उन पर गम्भीरतापूर्वक विचार कर उन्हें निस्तारित किया जाता है। उन्होने कहा कि सूचना का अधिकार आम आदमी का अधिकार है। इसका इस्तेमाल जनहित में होना आवश्यक है तथा जनसामान्य को इसकी जानकारी भी होना जरूरी है। उन्होने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी को समय 30 दिन निर्धारित है।उसी के अंतर्गत वादी को सूचना उपलब्ध कराएं। उन्होने बताया कि जनपद मुजफ्फरनगर में 427 प्रार्थनापत्र लम्बित है। उन्होंने कहा आवेदक को बीड आउट होने की दिनांक का उल्लेख कर सूचना दिया जाना चाहिए। उन्होने बताया कि ऐसे आवेदन जो विभाग से सम्बन्धित न होकर अन्य लोक प्राधिकरण से सम्बन्धित हो तो उन्हे पांच दिन के अन्दर सम्बन्धित लोक प्राधिकरण को धारा 6-3 के अन्तर्गत हस्तान्तरण कर देना चाहिए और इसकी सूचना आवेदक को उपलब्ध कराई जाये। उन्होने बताया कि अगर कोई सूचना दो या दो से अधिक लोक प्राधिकरण की है तो ऐसी स्थिति में एक्ट के अनुसार जनसूचना अधिकारी प्रार्थनापत्र को निरस्त कर सकता है और आयेाग को इसकी सूचना देगा। उन्होने बताया कि लोक प्राधिकरण मांगी गई सूचना अगर उनसे सम्बन्धित, मांगी गई सूचना के अनुसार लोक प्राधिकरण में कार्य नही किया जाता है या रखरखाव नही होता है तो एक्ट की धारा के अन्तर्गत प्रार्थनापत्र को निरस्त कर सकता है। उन्होने बताया कि मांगी गई सूचना सम्बन्धित लोक प्राधिकरण द्वारा रखे गये या उसके नियंत्रणाधीन अभिलेखों का एक भाग होनी चाहिए। मांगी गई सूचना में ऐसे अनुपलब्ध आंकड़ो का नया संग्रह किया जाना अन्तर्वलित नही होना चाहिए जिनको उपलब्ध कराना किसी अधिनियम अथवा लोक प्राधिकरण के किसी नियम या विनियम के अंतर्गत अपेक्षित नही है। उन्होने बताया कि नियम 4-2-ख-3 के अन्तर्गत मांगी गई सूचना में काल्पनिक प्रश्नों का उत्तर प्रदान करना अन्तर्गस्त नही होना चाहिए। नियम 4-2-ख-4 के अन्तर्गत मांगी गई सूचना में प्रश्न ‘क्यों’ जिसके माध्यम से किसी कार्य के किये जाने अथवा न किये जाने के औचित्य की मांग की गई हो, का उत्तर दिया जाना अन्तर्गस्त नही होना चाहिए। नियम 4-2-ख-5 के अन्तर्गत सूचना इतनी विस्तृत नही होनी चहिए उसके संकलन में संसाधनों का अनअनुपाती रूप से विचलन अन्तर्गस्त हो जाने के कारण सम्बन्धित लोक प्राधिकरण की दक्षता प्रभावित हो जाये। उन्होने बताया कि सूचना प्राप्त करने के अनुरोध में 500 से अधिक शब्द नही होने चाहिए। थर्ड पार्टी सूचना के सम्बन्ध में उन्होने बताया कि यदि पर व्यक्ति के सम्बन्ध में मांगी गई सूचना अधिनियम के प्रावधानों व नियमावली के नियमों के अनुसार नही दी जा सकती हो तो उस मांग को निर्धारित प्रक्रिया के तहत अस्वीकृत कर दिया जाये। उन्होने बताया कि यदि वांछित सूचना किसी पर व्यक्ति से सम्बन्धित है या उसके द्वारा प्रदान की गई है ओर पर-व्यक्ति द्वारा सूचना को गोपनीय माना गया है तथा जन सूचना अधिकारी का आशय इस सूचना को प्रकट करने का है तो पांच दिन के भीतर पर व्यक्ति को प्रारूप 9 पर  नोटिस दिया जायेगा जिसमे 10 दिन के अन्दर उसे अपना पक्ष रखने का आमंत्रण दिया जायेगा। जन सूचना अधिकारी सूचना के प्रकटन के बारे मे निर्णय लेते समय पर व्यक्ति के पक्ष, यदि प्राप्त हुआ हो, को ध्यान में रखेगा। उन्होने बताया कि यदि कोई सूचना प्रकटन से पूर्णत छूट प्राप्त है तो सूचना प्रदान नही की जा सकती। अगर वांछित सूचना का कुछ भाग छूट प्राप्त की श्रेणी में है और कुछ भाग प्रकटन से छूट प्राप्त नही है तो छूट प्राप्त सूचना को अलग कर शेष भाग की सूचना नियमानुसार दी जायेगी और अशतः सूचना के सम्बन्ध में आवेदक को प्रारूप 8 पर नोटिस दी जायेगीं। उन्होने बताया कि यदि परीक्षण के उपरान्त यह निष्कर्ष निकलता है कि सूचना नही दी जा सकती तो निर्धारित समय सीमा के अन्तर्गत आवेदन निरस्त करने की सूचना आवेदक को दी जानी चाहिए। इसके अस्वीकृति का कारण अधिनियम की धारा व नियम का उल्लेख करना होगा। इसके अतिरिक्त उन्होने सूचना के अधिकार के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी। जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह ने कहा कि सभी विभागो में जन सूचना अधिकार प्रार्थना पत्रों से सम्बन्धित एक रजिस्टर बनाया जाये और प्राप्त प्रार्थनापत्रों केा रजिस्टर में अकिंत कर उनका निस्तारण किया जाये। जिलाधिकारी व एसएसपी ने राज्य सूचना आयुक्त को आशवस्त किया कि समय सीमा के अन्तर्गत प्रार्थना पत्रों का निस्तारण कराया जायेगा।
इस अवसर पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल, अपर जिलाधिकारी वित्त एव राजस्व अरविंद कुमार मिश्र, अपर जिलाधिकारी प्रशासन नरेंद्र बहादुर सिंह, एसडीएम, तहसीलदार, जन सूचना अधिकारी, अपीलीय अधिकारी उपस्थित थे।

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