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लंपी वायरस से पशु पालक हलकान, 38 डॉक्टर्स की टीम दे रही जीवन दान

मुज़फ्फरनगर में लंपी वायरस से पशु पालक हलकान है तो काफी गोवंश इस बीमारी की चपेट में आकर जान गवा चुका है , ऐसे में पशु पालन विभाग के 38 डॉक्टर्स की टीम गांव गॉव जाकर अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। हर 10 मिनट में लंपी वायरस से पीड़ित होने की शिकायत जिला मुख्यालय के कंट्रोल रूम को मिलती है 30 मिनट के भीतर डाक्टर इलाज़ शुरू कर देते है।

कंट्रोल रूम पर जिम्मेदारी संभालते पशुधन प्रसार अधिकारी डॉ. अरविंद मलिक।।       

कंट्रोल रूम पर पशुधन प्रसार अधिकारी अरविंद मलिक अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे है। कॉल आते ही पशुपालक को उपचार से लेकर बचाव तक के उपाय समझाते नज़र आते है।

उनका कहना है कि यह बीमारी एक संक्रामक रोग विषाणु जनित बीमारी है यह बीमारी गोवंशीय एवं महिषवंशीय पशुओं में पायी जाती है।रोग का संचरण / फैलाव / प्रसार पशुओं में मक्खी, चिचडी एवं मच्छरों के काटने से होता है।लम्पी स्किन डिजीज बीमारी के मुख्य लक्षण : (1)- पशुओं में हल्का बुखार होना, पूरे शरीर पर जगह-जगह नोड्यूल / गाँठो का हुआ दिखाई देना ।
बीमारी से ग्रसित पशुओं की मृत्यु दर अनुमान 1 से 5 प्रतिशत होना। 4- बीमारी के रोकथाम एवं नियंत्रण के उपाय बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना।
पशुओं में बीमारी को फैलाने वाले घटकों की संख्या को रोकना अर्थात् पशुओं को मक्खी, चिचडी एवं मच्छरों के काटने से बचाना, अतः पशुशाला की साफ-सफाई दैनिक रूप से करना तथा डिसइन्फेक्शन (जैसे चूना आदि) का स्प्रे करना।
संक्रमित स्थान की दिन में कई बार फोरमेलिन, ईथर, क्लोरोफॉर्म, एल्कोहल से सफाई करना,संकमित पशुओं को खाने के लिए संतुलित आहार तथा हरा चारा दे।मृत पशुओं के शव को गहरे गड्ढे में दबाया जाना।

संक्रमण से बचाव हेतु क्या करे?

आँवला, अश्वगन्धा, गिलोय एवं मुलैठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाये। अथवा तुलसी के पते एक मुट्ठी, दालचीनी 05 ग्राम सोठ पाउडर 05 ग्राम, काली मिर्च 10 नग, को गुड में मिलाकर सुबह शाम खिलाये।

संक्रमण रोकने के लिए पशु बाड़े में गोबर के कपडे में गूगल, कपूर, नीम के सूखे पत्ते लोबान को डालकर सुबह शाम धुआँ करें। पशुओं के स्नान के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट एवं 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें। घोल के स्नान के बाद साढ़े पानी से नहलाये। 9- संक्रमण होने के बाद देशी औषधि व्यवस्था :- नीम के पत्ते एक मुट्ठी, तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी लहसुन की कली 10 नग, लोग 10 नम, काली मिर्च 10 नग, जीरा 15 ग्राम, हल्दी पाउडर 10 ग्राम पान के पत्ते 05 नग, छोटे प्याज 02 नग पीसकर गुरु में मिलाकर सुबह शाम 10-14 दिन तक खिलायें।

बघरा में पहुंची टीम।

खुले घाव के लिए देशी उपचार :- नीम के पत्ते एक मुठठी तुलसी के पत्ते एक मुट्ठी मेहंदी के पारो एक मुट्टी, लहसुन की कली 10 नग, हल्दी पाउडर 10 ग्राम, नारियल का तेल 500 मिली को मिलाकर धीरे-धीरे पकाये तथा ठण्डा होने के बाद नीम की पत्ती पानी में उबालकर पानी से याद साफ करने के बाद जन्म पर लगाये। किसी भी पशु में बीमारी होने पर नजदीक के पशु चिकित्सालय पर सम्पर्क करके उपचार कराये किसी भी दशा में बिना पशु चिकित्सक के परामर्श के कोई उपचार स्वयं न करे।

5 दिन में सैंकड़ों गोवंश हुआ पीड़ित

मुज़फ्फरनगर में पिछले 5 दिनों में सैकड़ो गोवंश इसकी चपेट में है। गत दिवस जाट कॉलोनी एवम शनिवार को खालापार में गाय की मौत हुई जिसके फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए जिसको लेकर भी पशु पालक तनाव झेल रहे है। हालांकि पशु पालन विभाग का दावा है कि बीमारी पर जल्दी ही काबू पा लिया जाएगा।

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