युवती ने समझा बेसहारा गौवंश का दर्द, फरिश्ता बनकर सामने आई जैसमीन मलिक


मुज़फ्फरनगर में कोरोना काल में जिस समय यहां के बाशिंदे जिन्दगी के लिए दवा व पेट भरने को रोटी की जुगत में मशगूल थे, तब बेसहारा गौवंश भूखा प्यासा मरने को मजबूर था। इनके लिए एक ऐसा फरिश्ता सामने आया, जिसके जुनून ने शहर के कुछ गौवंश की जिन्दगी ही बदल दी। ऐसे ही फरिश्ते का नाम जैसमीन मलिक है। 26 साल की जैसमीन मलिक के साथ कोरोना काल में कुछ ऐसा हुआ कि उसने अपनी पूरी जिन्दगी गौवंश के लिए दान कर दी। यहां तक कि अपनी जॉब से जो पैसा आता है, वह भी इन्हीं के लिए लगा दिया जाता है।
दरअसल कोरोना काल के दौरान 12 सितम्बर 2020 को प्रेमपुरी निवासी युवती जैसमीन मलिक ने अपने घर के पास ही एक बछड़े को नाली में पड़े पाया, जिसको कुछ कुत्ते नोच रहे थे। यह दृश्य देखकर युवती का मन द्रवित हो गया। कुत्तों को भगाया और बछड़े को किसी तरह घर ले आई। ईलाज हुआ, तो बछड़ा बिल्कुल फ्रेंडली हो गया। इसके बाद युवती ने ठान ली कि अब उसके मन में मनुष्यों के लिए कोई भावना नहीं है, बल्कि वह तो गौवंश के कल्याण के लिए अपना जीवन लगा देगी। इसके बाद वह बेसहारा पशुओं के लिए जुट गई, मगर दिक्कत यह सामने आई कि जिन बछड़ों को वह चारा व पानी देती, वह चंद दिनों बाद गायब हो जाते। यानि कहीं न कहीं कुछ लोग बछड़ों का शिकार कर रहे थे। इसके बाद 22 हजार रुपये माहवार कमाने वाली अकाउंटेंट जैसमीन मलिक ने दो स्थानों पर गऊशाला का संचालन शुरु किया।
दोस्तो ने दिया सहारा:-पहले ही झटके में दिक्कते सामने आई, लेकिन दोस्तों ने सहारा दिया। वैशाली कौशिक, कार्तिक चौधरी, सचिन भारद्वाज, विनीत अहलावत व आशीष बाठला के सहयोग से गऊशाला शुरु हुई। प्रेमपुरी में इस समय इनकी दो गऊशाला संचालित है, जिसमें कुल 28 गौवंश की सेवा की जाती है। इनमें 23 बछड़े हैं, तो पांच गाय हैं। लम्पी वायरस के दौर में लोग अपने घरों से गौवंश को लावारिस छोड़ रहे है। ऐसे में युवती ने उनकी मदद की ठानी है। जैसे कोई लम्पी वायरस पीड़ित गौवंश मिलता, तत्काल ही डीएम कंट्रोल रूम से संपर्क करके उपचार कराया जाता है।
‘वर्ष 2020 में लावारिस बछड़े को देखकर उनका हृदय द्रवित हो गया था। तब से वह लगातार गौवंश की सेवा में लगी है। खुद साईकिल पर चारा खरीदकर लाना और खुद ही पानी से लेकर नहलाने तक का काम करती है। उन्होंने बेजुबान पशुओं का दर्द समझा था, तो आज ईश्वर ने उन्हें इस लायक बनाया कि उन्होंने अपना जीवन बेजुबानों के लिए दान कर दिया है।’जैसमीन मलिक
गौसेवक





