अपना मुज़फ्फरनगर
डाॅक्टर हुए नदारद, अस्पताल हुए बीमार, कैसे हो इलाज

सफेद हाथी बने सरकारी अस्पताल शासन प्रशासन की नीतियों की पोल खोल रहे हैं
मुजफ्फरनगर। सरकार द्वारा भारी भरकम खर्च के बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ आम आदमी को नहीं मिल पा रहा है। वेतन के नाम पर मोटी सैलरी प्राप्त करने वाले डाॅक्टर अस्पताल से नदारद है। डाॅक्टर्स की अनुपस्थिति के चलते अस्पताल स्वयं बीमार नजर आ रहे हैं। भोपा में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अलावा मोरना, भोकरहेडी, तेवडा, तिस्सा, ककरौली में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर ग्रामीणों को सस्ते व उच्च स्तर के इलाज की सुविधा प्रदान करने के लिए चिकित्सकों को तैनात किया गया है। किन्तु भोपा, भोकरहेडी, तिस्सा, तेवडा, ककरौली पर चिकित्सक नदारद रहते हैं। भोपा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र होने के बावजूद अस्पताल चिकित्सकविहीन है। तिस्सा, तेवडा व ककरौली में पूर्णमासी के चांद की भांति चिकित्सक के दर्शन महीने में एक या दो दिन भी हो जाये तो गनीमत जानिए। मोरना भोपा क्षेत्र में सडक दुर्घटना में घायल व्यक्तियों को आपातकालीन सुविधाएं नहीं मिल पाती है। चिकित्सक की अनुपस्थिति में घायल को जिला मुख्यालय पर रैफर कर दिया जाता है। घंटों तक एमरजेन्सी चिकित्सा न मिलने के कारण घायल अक्सर दम तोड देते हैं। ड्यूटी के नाम पर खानापूर्ति कर रहे चिकित्सक निजी तौर पर क्लीनिक आदि चलाए हुए हैं। सरकार के लाख दावों के बावजूद दूसरों के इलाज के लिए बने अस्पताल स्वयं बीमार हो गये लगते हैं। भोपा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द पर केवल मारपीट में घायल हुए व्यक्तियों की मरहम पट्टी की जाती है, जिसमें स्टाफ खुल्लमखुल्ला जेबों को गर्म किया जाता है। इसके अलावा नगर पंचायत भोकरहेडी जिसकी आबादी 25000 से अधिक है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा के नाम पर मात्र खानापूर्ति की जाती है। वहीं बडी आबादी वाले गांव ककरौली, तेवडा व तिस्सा का भी यही हाल है। स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सफेद हाथी बने सरकारी अस्पताल शासन प्रशासन की नीतियों व सांठगांठ की पोल खोल रहे हैं।