उर्दू के साथ हर मोर्चे पर नाइंसाफी हुई, अब अदालतों से ही उम्मीदें: परवाज उलूम

मुजफ्फरनगर । सड़क से लेकर संसद तक उर्दू भाषा की लड़ाई लड़ रही उर्दू डवलपमेंट आर्गेनाइजेशन के राष्ट्रीय मुख्य महासचिव डा. परवाज उलूम ने कहा कि उन्हें सरकारों पर भरोसा नहीं रहा। अब तो केवल अदालतों से ही इंसाफ मिल रहा है। उर्दू के साथ हर मोर्चे पर ना इंसाफी हो रही है। आयोग व अदालतें ही उर्दू को किसी हद तक उसका हक दिला पाई है। हालांकि कुछ दिनों से अदालतों में लम्बी प्रक्रिया होने की वजह से वहां भी इंसाफ कोसो दूर हो गया है।
डा. परवाज उलूम शुक्रवार को मुजफ्फरनगर में थे। अम्बा विहार स्थित उर्दू घर में उनका सम्मान समारोह आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि उनकी तनजीम 25 सालों से उर्दू फरोग के लिए काम कर रही है। पिछली सपा सरकार में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा चार हजार उर्दू शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। आचार संहिता लग जाने की वजह से नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाये थे। अब नई सरकार बनी तो नियुक्तियों पर रोक लगाने के साथ ही पूरी भर्ती ही रद्द कर दी गई। हाईकोर्ट में सरकार ने भर्ती विरोधी रुख दिखाया। हाईकोर्ट के बाद अब यह भर्ती सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई, जहां प्रदेश सरकार निजी तौर पर पैरवी करके इस भर्ती को खत्म कराने के प्रयास में जुटी है। उन्होंने कहा कि द्वितीय राजभाषा को उसका हक दिलाने के लिए उनका संगठन प्रयास कर रहा है। विभिन्न आयोगों में आज भी उनकी अपीलें लम्बित चल रही है।
बता दें कि डा. परवाज उलूम द्वारा पूर्व में सुप्रीम कोर्ट में कई ऐसे मुकदमों में पैरवी की गई, जो कि देश भर में नजीर बने और उर्दू प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। इससे पूर्व यहां उर्दू बेदारी फोरम व यूडीओ की टीम द्वारा उनका सम्मान समारोह आयोजित किया गया। बिहार प्रदेशाध्यक्ष नसीम अहमद ने कहा कि बिहार में उर्दू के साथ जो सौतेला व्यवहार होता था, अब नई सरकार बनने के बाद धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। सरकारी दफ्तरों पर हिन्दी के साथ-साथ उर्दू में भी बोर्ड लग गये है। उन्होंने नितिश-तेजस्वी गठबंधन सरकार की सराहना करते हुए कहा कि वहां उर्दू भाषियों को नहीं लगता कि अब उनके साथ नाइंसाफी होगी। यहां यूडीओ के जिलाध्यक्ष कलीम त्यागी, कोर्डिनेटर तहसीन अली, डा. सलीम सलमानी, सचिव शमीम कस्सार, उर्दू बेदारी फोरम के कोर्डिनेटर शहजाद अली, उपकोर्डिनेटर ओसाफ अंसारी आदि मौजूद रहे।