16 करोड़ के घाटे में संभाली थी पालिका की सत्ता, 71 करोड़ खजाने में छोड़कर किया कार्यकाल पूरा
चेयरमैन अंजू अग्रवाल का कार्यकाल हुआ पूर्ण
-घाटे में संभाली थी नगरपालिका, अब है करोड़ों का कोष
-बेबाक निर्णयों के चलते विरोधियों की थी लम्बी लाईन
-दोबारा चुनाव लड़कर जनता के बीच जाना का बनाया है मन
-कांग्रेस से जीती थी चुनाव, पाला बदलकर हुई थी भाजपा में शामिल
मुजफ्फरनगर। पूरे पांच साल विरोधियों की साजिशों का सामना करते-करते नगर के विकास की जद्दोजहद में मुजफ्फरनगर नगरपालिका की चेयरमैन अंजू अग्रवाल का कार्यकाल पूरा हो गया। अंजू अग्रवाल ने जब नगरपालिका के चेयरमैन का कार्यभार संभाला था, उस समय नगरपालिका 16 करोड़ के घाटे में चल रही थी और आज जब चार्ज छोड़ा है, तो नगरपालिका के खाते में 71 करोड़ रूपया है। अंजु अग्रवाल ने जब चुनाव लड़ा था, उस समय वह कांग्रेस में थी, परन्तु बाद में वह पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो गयी थी।
2017 में हुए नगर निकाय चुनाव में अंजु अग्रवाल कांग्रेस के सिम्बल पर चुनाव लड़ी थी और वह भाजपा प्रत्याशी को पराजित कर चेयरमैन बनने में सफल हुई थी। अंजू अग्रवाल ने 12 दिसम्बर 2017 को नगरपालिका के चेयरमैन पद की शपथ ली थी। अंजू अग्रवाल ने चेयरमैन बनने के बाद जैसे ही कार्य करना प्रारम्भ किया, तो उनका विरोध होने लगा और विरोधी पूरी तरह सक्रिय हो गये। ऐसे में अंजू अग्रवाल ने महसूस किया कि प्रदेश में भाजपा की सत्ता है और ऐसे में वह यदि भाजपा में शामिल हो जायेगी, तो चेयरमैनी करना आसान होगा। अंजू अग्रवाल ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी और अब वह भाजपा में है और भाजपा से ही चेयरमैन पद के लिए दोबारा टिकट मांग रही है।
पुराने भाजपाई नहीं कर पाये चेयरमैन को बर्दाश्त
हालांकि अंजु अग्रवाल कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गयी थी, परन्तु पुराने भाजपाई अंजू अग्रवाल को स्वीकार नहीं कर पाये थे, जिसके चलते उन्हें हमेशा भाजपाइयों के विरोध का सामना करना पड़ा। कई समय ऐसे भी आये, जब जनपद में भाजपा के वीआईपी आये और अंजू अग्रवाल वहां पहुंची, तो उसे मंच पर सम्मान नहीं मिला और हताश होकर वह वापिस आ गयी और बाद में तो उन्होंने भाजपा के कार्यक्रमों में जाना तक छोड़ दिया था। अंजू अग्रवाल पूरे कार्यकाल भाजपा के राज्यमंत्री व कुछ भाजपा सभासदों पर उन्हें नाकाम करने की साजिशों का आरोप लगाती आयी हैं।
चेयरमैन ने शहर में कराये ये सराहनीय कार्य
विवादों में घिरे रहने के बावजूद भी चेयरमैन अंजू अग्रवाल ने मुजफ्फरनगर शहर में विकास का कार्य किया। उनके कार्यकाल मैं गरीब निर्धन कन्याओं के विवाह के लिए बारात घर का निर्माण किया गया, नगर पालिका सभागार को सुसज्जित किया गया, एक श्मशान घाट का निर्माण किया गया और नगर में चैमुखी विकास किया गया। कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए उन्होंने अपने पास से शहर को सैनिटाइजर किया। यह ऐसा समय था, जब लोग कोरोना से घबराये हुए थे, उस समय अंजू अग्रवाल सड़कों पर उतरकर अपने सामने सेनेटाईजर का छिड़काव करा रही थी। इस दौरान वह कोरोना से भी संक्रमित हो गयी थी।
आयरन लेड़ी का मिला था खिताब
एक महिला होने के बावजूद अंजू अग्रवाल द्वारा जिस तरह बेबाक तरीके से निर्णय लिये और उनका विरोध भी हुआ, परन्तु इन सबके बावजूद वह अपने निर्णयों पर डटी रही। कार्यकाल के दौरान अंजू अग्रवाल के अधिकार भी सीज हुए और यहां तक कि उन्हें बर्खास्तगी का भी सामना करना पड़ा, परन्तु सभी हमलों से वह बहादुरी से लड़ती रही और कोर्ट की मदद से जहां अपने अधिकार प्राप्त किये,वहीं बर्खास्तगी की कार्रवाई पर भी जीत हासिल की।
सपने, जो पूरे नहीं हो पाये
अंजू अग्रवाल द्वारा लाये गये कई प्रस्ताव ऐसे हैं, जो उनके लिए सपना बनकर रहे गये। अंजू अग्रवाल पांच लेबर सेंटर जहां जहां मजदूर खड़े होते हैं, 8 डीप फ्रीज सभी श्मशान घाट में रखने के लिए, दो सिटी वातानुकूलित बस, एक डिपो नगरपालिका को देना चाहती थी, लेकिन विरोधियों की ताकत के चलते उनके यह प्रस्ताव केवल कागजों तक ही सिमटकर रहे गये।
क्या कहती हैं अंजू अग्रवाल
चेयरमैन अंजू अग्रवाल ने कहा कि नगर पालिका को जनता और पालिका कर्मियों के सहयोग से ही उन्होंने आए बढ़ाकर यूपी की सबसे बड़ी नगरपालिका बनाने का कार्य किया। पालिका कर्मियों को समय से भुगतान कराया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई भी ऐसा कार्य ऐसा नहीं किया, जो जनता मुझे नकारे। कुछ सभासद और मंत्री विकास कार्यों को लेकर सदमे में है, जिसके चलते लगातार उन्हें विवादों में घेरा गया।