भोकरहेड़ी के चर्चित दलित हत्याकांड में सभी पांचों आरोपी बरी, अभियोजन पक्ष साबित नही कर पाया केस
वर्ष 2009 में गोली मारकर की गई थी हत्या, बसपा सरकार में उछला था मामला

मुजफ्फरनगर के चर्चित दलित हत्याकांड में 13 साल बाद चौकाने वाला फैसला आया। दलित की हत्या के मामले में अभियोजन पक्ष साक्ष्य साबित करने में नाकाम रहा, जिसके चलते सभी पांच हत्यारोपी अदालत से बरी हो गये। वर्ष 2009 में भोपा थाना क्षेत्र के कस्बा भोकरहेडी में दलित पूर्ण सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। वादी वीर सिंह ने तीन लोगों को नामजद कराते हुए मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन पुलिस ने जयराम, ऋषिपाल, आदेश पाल, शशि पाल व उमेश को जेल भेजा था। पुलिस ने चार्जशीट में हत्या का कारण अवैध सम्बंधों के फेर में होना बताया था। अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी यश पाल सिंह ने 10 गवाह पेश किये। आरोपी पक्ष के अधिवक्ता कामरान हसनैन, शबी मौहम्मद व दानिश रियाज ने अपने तर्क रखे, जिसके बाद अपर जिला जज एससी/एसटी कोर्ट नं. 02 के न्यायाधीश रजनीश कुमार ने सभी पांचों हत्यारोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। आरोपी पक्ष के अधिवक्ता इस मामले में पुलिस की कहानी को झूठा साबित करने में कामयाब हुए। यह मामला उस समय काफी चर्चित रहा था। सरकार स्तर पर भी इस हत्याकांड की मॉनिटरिंग की गई।
बसपा सरकार में हुई थी हत्याकांड की गूंज:
दलित की हत्या के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने संज्ञान लिया था और पुलिस को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिये गये थे। डीजीपी घटना स्थल पर पहुंचे थे। इसके बाद पुलिस ने तीन लोगों की नामजदगी होने के बावजूद पांच लोगों को इस घटना में शामिल होना बताते हुए चार्जशीट लगाई थी, लेकिन अभियोजन पक्ष की कमजोरी के चलते यह मुकदमा अदालत में बरी हो गया।