कोविड संक्रमित मरीज की मौत के बाद पीड़ित परिवार पर फायरिंग से मचा हड़कंप

मुजफ्फरनगर के बाला जी चौक स्थित हार्ट क्लीनिक एवं इमरजेंसी कोविड सेंटर पर बुजुर्ग की मौत के बाद उस समय बवाल हो गया, जब मृतक के परिजनो ने मौत के बाद इलाज पर सवाल खडे किये। आरोप है कि चिकित्सक के भाई मनीष सैनी ने पीडि़त पक्ष पर पिस्टल से फायरिंग कर दी। दो गोलियां चली। जिसमें ये लोग बाल-बाल बच गये। इसके बाद भगदड मच गई। पुलिस मौके पर पहुंची। इसी के साथ आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया।
प्रकाश चौक पर रहने वाले 83 वर्षीय एनके गुप्ता की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी। जिसके बाद उन्हें हार्ट क्लीनिक एवं इमरजेंसी कोविड सेंटर पर भर्ती करा दिया गया था। बुजुर्ग एनके गुप्ता के पौत्र अक्षय गुप्ता ने बताया कि उनके बाबा एनके गुप्ता को जिस समय भर्ती कराया गया था तब दो लाख रूपये एडवांस जमा करा दिये गये थे। जिसके बाद इलाज शुरू करने की बात कही गई। सवेरे उनके पास फोन आया कि मरीज की हालत अब सामान्य है।
दोपहर 12 बजे कॉल करके बताया गया कि सांस में दिक्कत होने की वजह से मरीज को वैन्टीलेटर पर ले जाया जा रहा है। तीन बजे उन्हें मौत की सूचना दी गई। परिवार के लोगों ने उनसे शव की मांग की तो शव देने से इंकार कर दिया गया। इस बात को लेकर दोनो पक्षो में तनातनी शुरू हो गई। अक्षय गुप्ता ने चिकित्सक डा. देवेन्द्र सैनी से कहा कि उन्हें वह पर्चे चाहिए जिस पर लिखा हो कि इन्हें क्या-क्या दवाईयां दी गई हैं। जिसको लेकर पहले तो डाक्टर ने हां कर दी, बाद में उन्हें यह जानकारी देने से इंकार कर दिया गया। अभी यह मामला चल ही रहा था कि आरोप है कि डाक्टर देवेन्द्र सैनी के भाई मनीष सैनी यहां पहुंचे गये और उन्होंने मृतक के परिजनो पर फायरिंग कर दी। फायरिंग के साथ ही पीडि़त परिवार के लोग भागे तो इनसे मारपीट करते हुए पेपर भी छीन लिये गये। जिसके बाद पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई। एक दूसरे पर आरोप लगाये गये। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
डॉक्टर ने स्वीकारा,हां हम दो लाख लेते हैः डा. एमएल गर्ग-
घटना के बाद मीडिया से बातचीत में आईएमए के जिलाध्यक्ष एमएल गर्ग ने कहा कि हार्ट प्रोब्लम के चलते मरीज के परिजनों को पहले ही बता दिया गया था कि हालत ठीक नहीं है। मौत होने के बाद परिजन शव की मांग कर रहे थे। जबकि शव को कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही दिया जाता है।जबकि परिजन ऐसे ही शव की मांग कर रहे थे। मीडिया के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि हां हम मरीज को भर्ती कराने से पहले दो लाख रूपये एडवांस जमा कराते है। जिसके पीछे उन्होंने तर्क दिया कि कोविड सेंटर में स्टाफ दो गुना सैलरी पर काम रहा है। ऐसे में उनकी मजबूरी है कि दो लाख रूपये जमा कराये जाये।