अपना मुज़फ्फरनगर

बेज़ुबानों की मौत का जिम्मेदार कौन…

■भोकरहेड़ी में पशुओं की लगातार मौत से मचा हड़कम्प
■इलाज तो दूर शव के निस्तारण की भी नही है व्यवस्था
■आवारा बीमार पशुओँ से संक्रमण फैलने की आशंका

(काज़ी अमजद अली)

मुज़फ्फरनगर के भोकरहेड़ी में पशुओं की लगातार हो रही मौत से पशु पालकों में हड़कम्प मच गया है। पशुपालकों ने सरकारी पशु चिकित्सकों पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए पशुपालन विभाग से कस्बे में विशेष कैम्प करने की माँग की है।

मुज़फ्फरनगर ज़िला मुख्यालय से 28 km दूर कस्बा भोकरहेड़ी के मौहल्ला नेहरु चौक व सुभाष चौक में पालतू दुधारू व कृषि उपयोगी पशु अज्ञात बीमारी से पीड़ित होकर मर रहे हैं। कीमती पशुओं की लगातार मौत से किसानों व मजदूरों को लाखों का आर्थिक नुकसान हो रहा है। गत एक सप्ताह में दर्जनों कीमती पशुओं की मौत से पशुपालकों में हड़कम्प मच गया है। मौहल्ला नेहरु चौक निवासी प्रगतिशील किसान राहुल चौधरी ने बताया कि उसका भैंसा गंभीर रुप से बीमार है, जिसको योग्य चिकित्सक न होने के कारण उचित उपचार भी नहीं मिल पा रहा है। न ही बीमारी का पता लग पा रहा है। गत वर्ष दिसम्बर माह में पशुओं का टीकाकरण पशुपालन विभाग द्वारा किया गया था। इसके बाद आज तक कोई टीकाकरण नहीं किया गया है। सरकारी अस्पताल में तैनात चिकित्सक घर पर आकर इलाज नहीं करते हैं। बीमार पशु को अस्पताल में ले जाना जोखिम भरा होता है। इसी कारण मौहल्ले के ही हरपाल फौजी, अनिल सैनी, सुधीर कुमार, बिजेन्द्र सिंह, मनोज आदि के दुधारु व कृषि उपयोगी पशुओं की मौत हो चुकी है। राजीव, रामपाल, आनंद, मनोज, सतेन्द्र आदि किसानों के दर्जनों पशु बीमार हैं। सरकारी चिकित्सकों द्वारा खून की जांच भी नहीं की जा रही है जिसके लिये 1500 से 2000 रूपये खर्च करने पड़ रहे हैं। वहीं उपचार में भी 2000 से 3000 हजार का खर्च अलग से करना पड़ रहा है। किसान मजदूर के पास इस समय पैसा भी नहीं है। किस प्रकार वह अपने पशुओं की जान बचाएं। सरकारी चिकित्सकों की टीम को कस्बे में विशेष कैम्प करने की मांग किसानों ने की है।

मृतक पशुओँ के निस्तारण की व्यवस्था हुई समाप्त
प्रशासन द्वारा मृतक पशुओ के निस्तारण के लिये ठेका छोड़कर व्यवस्था की जाती थी,किन्तु फिलहाल प्रशासन द्वारा व्यवस्था समाप्त कर देने से मृतक पशुओं का अंतिम संस्कार भी पशु पालकों को स्वयं ही करना पड़ रहा है, जिसके लिये पशुपालकों को गंगा खादर क्षेत्र में पशुओं के शव को मिट्टी में दबाने के लिये जेसीबी मशीन आदि की व्यवस्था करनी पड़ रही है, जिसमे 1500 से 2000 रुपये का खर्च अलग से हो रहा है। कीमती पशु की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार का कष्ट भी झेलना पड़ रहा है।

क्यूँ फैल रही पशुओं में बीमारी

किसानों ने बताया कि वह अपने पालतू पशुओं की देखभाल के लिये बेहद गम्भीर हैं। मौहल्ले व गली में घूम रहे आवारा पशु अक्सर खाने की तलाश में घर में घुस आते हैं, जिनके सम्पर्क में आकर संक्रमण फैलने की आशंका है। नगर पंचायत प्रशासन द्वारा आवारा पशुओं के लिये गौशाला की व्यवस्था है किन्तु आवारा बीमार पशु पालतू पशुओं के बीच जाकर उन्हें संक्रमित कर रहे हैं।

दो माह पूर्व हो चुका है चिकित्सक का तबादला,नहीं हुई तैनाती

पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर प्रशासन ज़रा भी गम्भीर नहीं है।मोरना ब्लॉक् स्तर पर तैनात चिकित्सा अधिकारी डॉ.अखिलेश का दो माह पूर्व बरेली जनपद में तबादला हो गया था उसके उपरान्त अभी तक उनके स्थान पर किसी चिकित्सा अधिकारी की तैनाती नही की गयी है। ककरोली अस्पताल के चिकित्सक को ही मोरना में सम्बद्ध किया गया है ।

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