भीमराव अम्बेडकर आधुनिक भारत के मनु: प्रो. एमएम सेमवाल

डॉ. अम्बेडकर शोध पीठ में दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का हुआ समापन
मेरठ। डॉ. भीमराव अम्बेडकर शोध पीठ स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्व विद्यालय द्वारा आयोजित द्विदिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार ट्रांसफॉर्मिग इक्विटेबल एण्ड इनक्लूसिव सोसाइटी इन इंडिया विजन ऑफ डॉ. बीआर अम्बेडकर के समापन सत्र के अवसर पर मुख्य अतिथि वक्ता प्रो. डॉ. एमएम सेमवाल, हेमवती नन्दन बहुगुणा ने कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को आधुनिक भारत का मनु कहा जा सकता है।
कहा कि अम्बेडकर केवल सामाजिक एवं राजनीतिक नहीं अपितु, आर्थिक विचारक थे। संविधान एवं डॉ. अम्बेडकर एक दूसरे के पर्याय है। उनका मानना था कि सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक समरसता हम केवल संविधान के माध्यम से ला सकते है। प्रो. सेमवाल ने कहा कि अम्बेडकर का मानना था कि हम तब तक प्रगतिशील एवं समृद्ध राष्ट्र एवं समाज की संकल्पना नहीं कर सकते जब तक कि महिलाओं को समान प्रथिनिधित्व प्राप्त नहीं हो जाता। उनका मानना था कि वर्ण व्यवस्था श्रम का विभाजन करने के साथ-साथ श्रमिकों का भी विभाजन करती है। अम्बेडकर का मानना था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था से ही हम समतामूलक समाज एवम् बन्धुत्व की भावना विकसित कर सकते थे।
अम्बेडकर की संविधान निर्माण में भूमिका अतुलनीय
समापन सत्र के विशिष्ट अतिथि वक्ता प्रो. डा. दिनेश कुमार ने कहा कि शासन व्यवस्था में मानव कल्याण के केन्द्र बिन्दु में मनुष्य होता है। समाज के अंतिम छौर के मनुष्य का कल्याण उद्धेश्य होता है। विशिष्ट अतिथि वक्ता प्रो. डॉ. चित्रा प्रभात ने अपने उद्बोधन में कहा कि अम्बेडकर की संविधान निर्माण में भूमिका अतुलनीय है। भारतीय संविधान राष्ट्र निर्माण का एक सजीव दस्तावेज है। अतिथि वक्ता प्रो. डा. वैभव गोयल भारतीय ने अपने उद्बोधन में कहा कि व्यक्ति से समाज है या समाज से व्यक्ति, यह हमेशा विवाद का विषय रहा है। जब समाज में व्यक्तियों के मध्य विवाद होता है। तब कानून अपनी भूमिका निभाता है।
कब होगा राष्ट्रवाद विकसित
अतिथि वक्ता प्रो. डा. नीरज करन सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर की राष्ट्र निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता उनके इस विचार से ली जा सकती हैं जिसमें उनका मानना था कि राष्ट्रवाद तभी विकसित हो सकता है जब हम जाति, वर्ग, समाज की स्थापना नहीं कर एकीकृत रूप से भारतीय समाज की स्थापना के लिए दृढ संकल्पित हो।