बंजर हो जाएंगे खेत, मिट्टी से बेहद तेजी से गायब हो रहे हैं पोषक तत्व:गौरव टिकैत

BKU के युवा नेता गौरव टिकैत ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर आधारित है। भारत की अधिकांश जनसंख्या कृषि में ही अपना रोजगार तलाशती है। अतः हम कह सकते हैं कि कृषि रोजगार का ऐसा एक मात्र साधन है जो सदियों से चलता आ रहा है। कृषि के क्षेत्र में ज्यादा फसल, कम लागत का फॉर्मूला,कम समय में अधिक फसल लेना, रासायनिक खाद का हद से ज्यादा इस्तेमाल मिट्टी को अंदर ही अंदर कमजोर करता चला गया ।दिल्ली के पूसा इंस्टीट्यूट के संयुक्त निदेशक अनुसंधान इन्द्रमणि कहते हैं कि हरित क्रांति के दौर में किसानों को अधिक पैदावार के लिए प्रोत्साहित किया गया ,लेकिन मिट्टी के भौतिक, रासायनिक, जैविक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया गया। किसान जिस रासायनिक खाद का अधिक से अधिक उपयोग कर रहे थे,वो मिट्टी के समग्र स्वास्थ्य में कमी ला रही थी।
कहां गलती कर रहे हैं किसान-
फसल चक्र न अपनाना, गोबर, हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नाडेप कम्पोस्ट का इस्तेमाल नहीं करना, मृदा परीक्षण कराए बिना अंधाधुंध उर्वरकों का इस्तेमाल ,मिट्टी से आर्गेनिक मैटर का घटना, अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों की बुवाई करना, लगातार नहरों/लवणीय जल से सिंचाई करने के कारण खेतों से सूक्ष्म पोषक तत्व कम हो रहे हैं।रोटावेटर/कल्टीवेटर से ज्यादा गहरी जुताई करने से जिंक, सल्फर, आर्गेनिक मेटर और नाइट्रोजन की लगातार कमी होने लगती है। खेतों की मेड़बंदी न किए जाने से भी पोषक तत्व पानी के साथ बहकर निकल जाते हैं।
इस तरह मिट्टी से बेहद तेजी पोषक तत्व गायब हो रहे है। ऐसे मे खेतों को बंजर होने से बचाने के लिए एक बड़ी मुहिम की आवश्यकता है ।भारतीय किसान यूनियन ने संकल्प किया है कि भाकियू पूरे देश में जनपद स्तर पर कृषि वैज्ञानिकों की मदद से गोष्ठिया कराऐगी, जिससे किसानों को उनके खेतों की उर्वरा शक्ति और उनके खेत की मिट्टी में लगातार पोषक तत्वों की कमी को किस प्रकार रोका जाए इस पर विस्तार से चर्चा होगी।