अपना मुज़फ्फरनगर
चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने छोड़ी कुर्सी, बोली: डरकर नही लिया इतना बड़ा फैसला

हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी वित्तीय अधिकार बहाल नहीं होने पर जताई नाराजगी
-कहा-डरकर नहीं, ईश्वर के इशारे पर लिया निर्णय। 23 समर्थक सभासदों ने का मिला साथ
मुजफ्फरनगर। नगर पालिका में कार्यकाल के अंतिम दिनों में टिपर वाहन खरीद प्रकरण सहित चार आरोपों में शासन की कार्यवाही के साथ ही कानूनी कार्यवाही का सामना करते हुए लगातार विरोधियों पर हावी होने वाली आयरन लेड़ी का संघर्ष कमजोर पड़ रहा है। हाईकोर्ट में अवमानना याचिका खारिज हो जाने के बाद आज वह पालिका कार्यालय पहुंची और अपने पक्ष के 23 सभासदों के बीच उन्होंने पालिका में अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को सामने रखते हुए कहा कि उन्होंने ईमानदारी और निडरता के साथ काम किया है और अब वह उनके खिलाफ हो रही साजिशों से आहत हैं। वह ईश्वर पर विश्वास रखती हैं और ईश्वर का इशारा मिलने पर अंतरात्मा की आवाज पर अब पद छोड़ने का निर्णय किया है। वह आहत हैं कि महिला सशक्तिकरण के बीच भाजपा की चेयरमैन होने के बावजूद उनके खिलाफ इतने बड़े स्तर पर साजिश रची गयी। वह कहती हैं कि उनका पक्ष सुना जाये, यदि गलती साबित होती है तो उनको फांसी पर चढ़ा दें, वह खुशी से उसे स्वीकार करेंगे, लेकिन साजिशन कार्यवाही गलत है।
नगरपालिका परिषद् की चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल आज टाउनहाल स्थित पालिका कार्यालय में पहुंची। उन्होंने अपने कार्यालय कक्ष में सभासदों के साथ मीटिंग के दौरान अपने मन की बात को रखा। उन्होंने सभासदों, कर्मचारियों और मीडिया कर्मियों के बीच ही अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को संक्षिप्त रूप से रखते हुए कहा कि उनके कार्यकाल के पूर्व उनके भतीजे पंकज अग्रवाल ने चेयरमैन के रूप में रूप में शहर के विकास को पंख लगाने का काम किया। पंकज ने बहुत काम कराये और हम इसी कारण विकास किया है, विकास करेंगे का संकल्प लेकर चुनाव में आये। जब उन्होंने 2017 में जनता के वोट के कारण चेयरपर्सन की कुर्सी संभाली तो पालिका प्रशासन पर 16 करोड़ रुपये का कर्ज था। पालिका का कोषागार खाली था। पालिका प्रशासन शहर में एक नाली का चैनल लगाने की हैसियत में भी नहीं था। इसका कारण पंकज अग्रवाल के खिलाफ रची गई साजिश में उनके अधिकार सीज होना और इसके बाद पालिका पर हुआ प्रशासीय कब्जा रहा। इस दौरान पालिका के कोष को खाली कर दिया गया। उनके द्वारा कार्यकाल संभालने के बाद कर्मचारियों का देय काफी बढ़ता रहा। उन्होंने काम किया और सभासदों व पालिका अफसरों एवं कर्मचारियों के सहयोग से आज हम इस पालिका को यूपी की टॉप रिचेस्ट (मालदार) निकायों में शामिल कराने में सफल रहे हैं। आज पालिका पर किसी कर्मचारी का बकाया नहीं है। पालिका में पहली बार सभी 50 वार्डों में औसतन 7-7 लाख रुपये के विकास कार्य दिये गये। ऐसे में भेदभाव कहां पर हुआ? कोरोना काल में हमने श्मशान घाट और कब्रिस्तान में महामारी की भयावहता को देखा, हमने फ्री में पूरे शहर को सेनिटाइज कराया। जबकि दूसरे लोग इसके लिए करोड़ों रुपये की फाइल बनाकर पैसा हजम कर सकते थे। हमने पालिका पर पथ प्रकाश के लिए आर्थिक दबाव को कम किया और सभी प्रकाश बिन्दुओं को एलइडी में परिवर्तित करते हुए 90 लाख रुपये प्रतिमाह के बिल को 15-16 लाख का कराया।
चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने कहा कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर एक गंभीर साजिश की गयी और गलत तरीके से शासन ने काम करते हुए पावर सीज की। हालांकि प्रशासनिक शक्ति उनके पास हैं और वह आज भी कुर्सी पर काबिज हैं, लेकिन पहली बार किसी चेरयमैन को दो नोटिस दिये गये। अंतिम नोटिस में 3 दिन का ही समय दिया गया, जो नियमानुसार नहीं है। जवाबों पर कोई भी सुनवाई नहीं हुई, कांवड यात्रा के दौरान पावर सीज कर दिया गया। हमने हर स्तर पर विकास कराया और ईमानदारी से कराया, लेकिन साजिशन मुझे फंसाया गया और ऐसे में मैं पूछना चाहती हूं कि महिला सशक्तिकरण है कहां? सरकार की मंशा विकास है तो ऐसे में नगरपालिका में विकास कार्य क्यों रोके जा रहे हैं? चेयरपर्सन ने आरोप लगाया कि 135 विकास कार्य जोकि स्वीकृत हुए और टैण्डर भी हो चुके हैं, एक साजिश के तहत दबाव में उनको रोक दिया गया है। हमने शहर में पालिका की भूमि को कब्जामुक्त कराकर बारातघर बनाया, वहां पहला कांवड शिविर लगवाया गया, शिवभक्तों की सेवा से भी हमें रोका गया। श्मशान घाट बनवाया, वहां फ्रीजर की व्यवस्था, एम्बुलेंस की व्यवस्था, पेट्रोल पम्प निर्माण, लैबर शेड निर्माण, सिटी बसों के संचालन जैसे जनहितैषी प्रस्तावों पर काम रोका गया है। जनता सभी कुछ जानती हैं, मैं कहती हूं शासन हमें सुने, शीर्ष नेतृत्व हमारे काम को देखे और यदि दोषी मिलती हूं तो मुझे फांसी पर चढ़ा दिया जाये। मेरा मन काम करने का है, लेकिन जबरन रोका जा रहा है। मैं बहुत लड़ी हूं, संघर्ष किया है जनता ने मुझे आयरन लेडी बनाया। उनके प्यार ने लड़ने की ताकत दी। मेरा संकल्प रहा न डरूंगी, न झुकूंगी और न रूकुंगी, ईश्वर पर मुझे विश्वास है और अब ईश्वर के इशारे पर ही मैं अपना पद छोड़ने का निर्णय ले रही हूं। अंतिम निर्णय विचार के बाद किया जायेगा।
सभासद बोले, डरकर नहीं, मिलकर लड़ेंगे
पालिका चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल के द्वारा आज पद छोड़ने के निर्णय का ऐलान करने पर सभासदों ने विरोध किया और साफ शब्दों में कहा कि वह पूरी तरह से उनके साथ हैं और कार्यकाल पूर्ण किया जायेगा। डरकर हम पद नहीं छोड़ेंगे और न ही छोड़ने देंगे। इसमें सभासद पति उमर अली एडवोकेट, अब्दुल सत्तार, नरेश चंद मित्तल, राहुल कुमार और पवन कुमार ने खुलकर चेयरपर्सन का समर्थन तो किया, लेकिन उनको बातों ही बातों में कई कटाक्ष करते हुए पूर्व में हुई भूल को लेकर भी नसीहत करने से पीछे नहीं हटे। बैठक में मौजूद 23 सभासदों ने चेयरपर्सन का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि हम यह लड़ाई अंतिम दिन तक लड़ेंगे। इस्तीफा देकर घर नहीं बैठेंगे, लेकिन सभासदों ने अपनी पीड़ा भी जमकर जाहिर की और कहा कि उनको चेयरमैनी करनी चाहिए थी, वह पद पर खुद फैसले लेती तो आज तस्वीर दूसरी हो सकती थी। इस दौरान मुख्य रूप से सभासद पूनम शर्मा, सरफराज आलम, हनी पाल, मौ. सरफराज, अब्दुल सत्तार, दिलशाद मुन्ना, अरविन्द धनगर, उमा देवी, पिंकी, सलीम अहमद, मौ. राहत, कैलाशो, नदीम खान, याकूब अहमद, आबिद अली, नरेश चंद मित्तल, राहुल पंवार, पवन कुमार, सभासद पति नरेश खटीक, नौशाद कुरैशी, अन्नू कुरैशी, मुनेश कुमार, विवेक चुग्घ सहित 23 सभासद मौजूद रहे।
मैं बुलावे पर भाजपा में गई, भाजपा नहीं छोडूंगी
चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने कहा कि जनता और मुस्लिम सभासदों का भी यह दबाव रहा कि भाजपा ज्वाइन करनी चाहिए। मुझे भी भाजपा से बुलावा आया और डा. संजीव बालियान के सहयोग से मैंने 20 अक्टूबर 2020 को भाजपा का दामन थामा। आज मैं पद भले ही छोड़ने का ऐलान कर रहीं हूं, लेकिन भाजपा नहीं छोड़ूंगी। आज पीएम मोदी और सीएम योगी देश व प्रदेश को विकास के पथ पर आगे ले जा रहे हैं, हमने उनकी नीतियों को ही साकार कर शहर के विकास का काम किया है। इस दौरान बात करते करते उनका गला भी भर आया। उन्होंने अपनी भावना को कंट्रोल किया और हमने सभी के सहयोग से काम किया और करना चाहती हूं। इसी बीच सभासद पवन कुमार और नरेश चंद मित्तल ने उनकी इस बात का कि भाजपा में उनको बुलाया गया, का खंडन किया। नरेश चंद ने कटाक्ष करते हुए कहा कि आपने काम बहुत किया और ईमानदारी से किया, शायद आपके काम का यही शोर शासन तक पहुचा और कार्यवाही हुई, उन्होंने इस बात को भी रखा कि भाजपा की चेयरमैन होने के बाद एक भी दिन आपने भाजपा सभासदों को चाय पर नहीं बुलाया, उनकी समस्या को नहीं जाना।