अपना मुज़फ्फरनगर

अदालत ने कातिल को उम्रकैद की सजा सुनाई, 10 लोगों पर जुर्माना व तीन-तीन साल जेल में रहना होगा

 

मुजफ्फरनगर : पुरानी रंजिश में बलवे के बाद हुई हत्या के मामले में न्यायालय ने कातिल को उम्रकैद की सजा व बलवे के दोषी 10 आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा के साथ 20 हजार रुपये का जुर्माना देने का आदेश दिया है।
मामला 16 अक्टूबर 1999 का है। शामली के थानाभवन कोतवाली क्षेत्र के गांव मुल्लापुर में एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर जानलेवा हमला कर दिया था, जिसमें मौके पर ही लोकेश की मौत हो गई थी। दर्जन भर से अधिक लोग इस बलवे में जख्मी हो गये थे। इस मामले की सुनवाई अपर जिला जज अशोक कुमार की अदालत में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी जोगेन्द्र गोयल ने पैरवी की, जिसमें हत्या का दोषी मानते हुए सुभाष को उम्रकैद व 20 हजार के जुर्माने की सजा सुनाईगई, जबकि कदम सिंह, भवानी, मिन्टू, सतेन्द्र, कंवरपाल, संजय, बिजेन्द्र, सुशील व एक महिला माया को तीन साल की सजा व जुर्माना दिये जाने के आदेश जारी किया गया है। इसी के साथ सजायाफता सुभाष को जेल भेज दिया गया।

मुजफ्फरनगर में हुए उपद्रव मामले में 10 लोगों को सुनाई गई सजा
नबी-ए-करीम की शान में हुई गुस्ताखी के विरोध में मुस्लिमों के प्रदर्शन के दौरान उपद्रव के मामले में 16 साल बाद अदालत का फैसला आया है। जनपद की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2006 में दो समुदायों के लोगों के बीच हुए सांप्रदायिक उपद्रव के मामले में सुनवाई करते हुए 10 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए 5-5 साल कैद की सजा सुनाई है। 16 वर्ष पूर्व डेनमार्क के एक कार्टूनिस्ट पर पैगंबर साहब की शान में गुस्ताखी का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया गया था। प्रदर्शन से लौटते हुए लोगों की दूसरे समुदाय के लोगों से भिड़ंत हो गई थी। जिसके बाद दोनों समुदाय के 24 लोगों के विरुद्ध संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने कार्रवाई की थी।
ज्ञात रहे कि 2006 में डेनमार्क के एक कार्टूनिस्ट पर नबी-ए-करीम का कार्टून बनाकर उनकी शान में गुस्ताखी करने का आरोप लगा था। पूरे विश्व में इसको लेकर मुस्लिमों ने विरोध-प्रदर्शन किये थे। इस मामले में मुस्लिम समाज के लोगों ने 24 फरवरी 2006 को आर्य समाज रोड स्थित इस्लामिया इंटर कालेज मैदान में बड़ा जलसा कर प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के बाद प्रशासनिक अधिकारियों को पैगंबर साहब की शान में गुस्ताखी करने वाले पर कार्यवाही की मांग को ज्ञापन दिया था।ज्ञापन देने के बाद जिस समय भीड़ अपने घरों को लौट रही थी, तब कई स्थानों पर झड़पें हुई थी। 24 फरवरी 2006 को इस्लामिया इंटर कालेज मैदान से लौटती प्रदर्शनकारियों की भीड़ कच्ची सड़क पर दूसरे समुदाय के लोगों से भिड़ गई थी। दोनों समुदाय के लोग आमने सामने आ गए थे और एक दूसरे पर हमला बोल दिया था। इस दौरान बलवा, मारपीट और तोड़फोड़ हुई थी। तत्कालीन निरीक्षक रंजन शर्मा ने बलवा, जानलेवा हमला, तोड़फोड़ तथा क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट की धारा-7 के तहत दोनों समुदाय के 24 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी की थी।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कमल कुमार ने बताया कि 24 फरवरी 2006 को हुए उपद्रव के मामले में पुलिस ने 24 आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था। उन्होंने बताया कि पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध विवेचना पूर्ण कर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या 3 के जज अनिल सिंह ने की। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने दोनों पक्ष की सुनवाई करते हुए 10 आरोपियों को दोषी ठहराया। जबकि 12 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर कर दिया। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने नसीम, कलीम उर्फ गुड्डु, नासिर, इरफान, रियाज, इकबाल, नदीम, दिलशाद, गुड्डु उर्फ रिजवान और साबिर को दोषी ठहराते हुए सभी को 5-5 साल की सजा सुनाई गई है।

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