मनोरंजन

कलक्टर की भूमिका मे दिखे तहसीलदार… दर्शकों के मन पर छाप छोड़ गई ‘मातृभूमि’.. मुज़फ्फरनगर मे हुई थी शूटिंग

मातृभूमि फिल्म ने दिए कई संदेश...

जहां एक और बॉलीवुड की फिल्म लगातार धमाल मचा रही है वहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश की फिल्म इंडस्ट्री या मालीवुड कहिए अथवा देहाती इंडस्ट्री कहिए या हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री बोलिए वह भी अपनी फिल्मों से अपनी आमद दिखा रही है, अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही है।
इस वर्ष रिलीज हुई फिल्म ग़दर 2, पठान और एनिमल से बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री को एक नई जान दे दी है। लोग सिनेमा की ओर फिर से आकर्षित होकर थिएटर में फिल्म देखने जा रहे हैं और फिल्में बड़ी कमाई कर रही है।

मुजफ्फरनगर में बनी मातृभूमि फिल्म मूवी रिलीज…
मुजफ्फरनगर में तहसीलदार रहे अभिषेक शाही जिलाधिकारी की भूमिका में..
वही मुजफ्फरनगर के विकास बालियान की दमदार भूमिका

पार्ट 1

पार्ट 2

पार्ट 3

वही पश्चिमी उत्तर प्रदेश की देहाती इंडस्ट्री भी कभी बाप फिल्म से, कभी मोर फिल्म से कभी अलझ पलझ, गीता, अपने पराए, बबलू की बबली तो कभी अपने पराए फिल्मों से न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है बल्कि दर्शकों के दिलों दिमाग में भी छाप छोड़ जाती है।
हाल ही में एक और फिल्म ने अपनी रिलीज के साथ ही छाप छोड़नी शुरू कर दी है।
जी हां! देसी ताल यूट्यूब चैनल पर प्रदर्शित हुई वीके फिल्म द्वारा निर्मित “मातृभूमि” फिल्म की चर्चा भी लगातार हो रही है, इस फिल्म का निर्माण सुनील राऊत, उमा वर्मा, रोहित भाटिया ने किया है। फिल्म की शूटिंग मुजफ्फरनगर के टिटोडा गांव और खतौली क्षेत्र में हुई है। फिल्म में बॉलीवुड सितारे लोकेश तिलकधारी ने भी विलेन की भूमिका निभाई है और हरियाणवी फिल्मों में अभिनय करके यह इशारा कर दिया है कि बॉलीवुड के सितारे भी हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
फिल्म की बात करें तो यह फिल्म पूरी तरह से मुजफ्फरनगर निवासी और देहाती फिल्म इंडस्ट्री के बड़े चेहरे विकास बालियान के इर्द-गिर्द घूमती है फिल्म की कहानी पिता पुत्री के लाड प्यार, और फिर आपसी संघर्ष को दर्शाती है और बाद में यही संदेश देती है के पिता कितना ही दबंग हो पावरफुल हो वह अपनी पुत्री के सामने हार जाता है।
फिल्म में ऑर्गेनिक खेती को भी प्रोत्साहित किया गया है और बंजर भूमि को कैसे उपजाऊ बनाकर किसानों को आत्महत्या करने से रोका जाए यह भी बताने का प्रयास किया है।
फिल्म के हीरो गुर्जर सचिन मोतला है और हीरोइन की भूमिका में कई फिल्म कर चुकी मोनिका बांगर है। फिल्म में राजेंद्र कश्यप नौरंग, राजवीर सिंह डांगी, जोली बाबा, अतुल वत्सल भी नजर आते हैं तो वहीं उषा, संतोष जांगड़ा ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। इसके साथ यह भी उल्लेखनीय है कि इस फिल्म में जिलाधिकारी की भूमिका में मुजफ्फरनगर में तहसीलदार रहे अभिषेक शाही ने भी दमदार भूमिका अदा की है और स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले समय में वह छोटे और बड़े पर्दों पर बड़ी भूमिका निभाते नजर आ सकते हैं।
इंस्टाग्राम पर वायरल हुई वंशिका हापुड़ भी फिल्म में एक आइटम सॉन्ग में नजर आई है और सुंदर लगी है। फिल्म के गीत कृष्ण दायेमा, सचिन मोतला ने लिखे हैं, फिल्म की स्टोरी नवीन मासेका की है। फिल्म के गीतों को राजू मलिक, ज्योति सैनी आदि ने मोहन भारद्वाज ने अपनी आवाज दी है।
फिल्म के डायरेक्टर नवीन मासेका है जो बॉलीवुड फिल्म बनाते हैं। सिनेमैटोग्राफी में विकास सैनी और अरविंद बाबा ने कमाल किया है। मेकअप आर्टिस्ट बॉबी, खुशबू ढाका, कमल बिष्ट है जिन्होंने सभी कलाकारों का मेकअप शानदार किया है और उन्हें बेहतरीन गेटअप दिया है। प्रोडक्शन प्रबंधक राजू मोतला ने किया है।
यह फिल्म लोगों द्वारा बहुत सराही जा रही है।
देसी ताल यूटयूब चैनल पर आई इस फिल्म को लगातार दर्शक पसंद कर रहे हैं फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक सॉइल इंजीनियर एक गांव में जाकर वहां की बंजर भूमि का परीक्षण करता है और कोशिश करता है कि वह उपजाऊ हो जाए ताकि किसान आत्महत्या ना करें।
उसने अपने पिता से वायदा किया था कि वह ऐसा कार्य करेगा जिससे किसान खुशहाल होगा, वहां वह गांव के मुखिया की बेटी से प्रेम करने लगता है। मुखिया को यह बर्दाश्त नहीं होता। मुखिया की भूमिका में विकास बालियान ने एक बार फिर दमदार भूमिका अदा की है।
कुल मिलाकर जहां बॉलीवुड की चर्चा हो रही है वहीं बॉलीवुड या देहाती फिल्म इंडस्ट्री भी अपनी फिल्मों से लोगों के दिल में जगह बनाए हुए हैं और अपनी ग्रामीण संस्कृति को लगातार पोषित कर रही है। यह फिल्म एक तरह से विकास बालियान के इर्द-गिर्द ही घूमती नजर आती है और जब-जब वह पर्दे पर नजर आते हैं तब तब फिल्म की गंभीरता बढ़ जाती है।
बताते चले हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री धाकड़ छोरा में मन्नू की भूमिका निभाने वाले उत्तर कुमार के कंधे पर ही टिकी हुई है। अधिकांश हरियाणवी फिल्मों में उन्हीं की टीम के सदस्य कार्य करते नजर आते हैं और दर्शक इन फिल्मों को प्यार और स्नेह देते हैं। दर्शकों का मानना है कि नग्नता, फुहड़ता, द्विअर्थी संवाद से अलग यह फिल्में ग्रामीण अंचल और हमारी संस्कृति को न केवल दिखती हैं बल्कि कोई ना कोई संदेश भी देती है।
उत्तर कुमार धामा, प्रताप धामा, मोनू धनखड़, रमित तेवतिया, राजीव सिरोही, सुरजीत सिंह सिरोही, कविता जोशी, विकास बालियान जैसे कई बड़े नाम है जो हरियाणवी फिल्म इंडस्ट्री की आन बान शान बन गए हैं।

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