कला उत्सव-2021: नौ दिवसीय कला उत्सव का हुआ भव्य समापन

कला उत्सव 2021 के अंतर्गत चल रही चित्रकला कार्यशाला का नौवा दिन बहुत ही भव्यता के साथ समाप्त हुआ। जिसमें काफी संख्या में कलाकारो ने प्रतिभाग किया।
नौ दिवसीय कला उत्सव में आज अंतिम दिन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुरेश कुमार (एमिनेंट आर्टिस्ट) , डॉ. यशवंत सिंह राठौर (सचिव राज्य ललित कला अकादमी लखनऊ) रहे , विशिष्ट अतिथि निलिमा गुप्ता (एमिनेंट आर्टिस्ट) , डॉ अलका तिवारी (एमिनेंट आर्टिस्ट) रही , कार्यक्रम में रिसोर्स पर्सन ख्याति प्राप्त चित्रकार श्रीमती विजया वेद जी रही , कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ श्याम बिहारी अग्रवाल (प्रशिद्ध कलाकार एवम शिक्षाविद) रहे।
कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ0 नीतू वशिष्ठ ने दी, अतिथियों का परिचय और मंच का संचालन डॉ0 रजनीश गौतम व डॉ० वन्दना वर्मा के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ. निलिमा गुप्ता ने कहा की कलाकारों के लिए यह समय बहुत ही महत्वपूर्ण चल रहा है जिसमे सबको बहुत लाभ होने वाला है । यह जो कार्य कला के क्षेत्र में हो रहा है वह बहुत ही बड़ा कार्य है । इसमें प्रत्येक दिन अलग अलग कलाकारो का काम विद्यार्थियों ओर कला प्रेमियों को देखनो को मिल रहा है और उन कलाकरो की तकनीकी कुशलता से भी सभी परिचित हो रहे है। इसके साथ ही जो कलात्मक हानि कोरोना काल मे विद्यार्थियों की हुई है मैं आशा करती हूं कि उसकी भरपाई इस तरह के कार्य कर्मो के आयोजन से हो सकेगी।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ. अलका तिवारी ने कहा कि सभी कलाकार समाज को आगे बढ़ाने, जागरूक करने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। स्वाधीनता संग्राम में भी ऐसे बहुत से कलाकार रहे हैं जिन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अपना योगदान दिया। उन्होंने स्वाधीनता संबंधी चित्र, मूर्तियां, स्मारक का सृजन कर स्वाधीनता संग्राम में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई। इन कलाकारों में देवी प्रसाद राय चौधरी, रामकिंकर बैज, अवनींद्र नाथ टैगोर, रविंद्र नाथ टैगोर, नंदलाल बोस, यामिनी राय आदि अनेक कलाकारों द्वारा निर्मित चित्र और मूर्तियां हम आज भी देखकर उनसे प्रेरणा ले रहे हैं। हमारे भारतीय संविधान की मूल प्रति को चित्रित करने वाले नंदलाल बोस बंगाल स्कूल के एक महान कलाकार रहे हैं। इन सभी कलाकारों से प्रेरित होकर हमारे विद्यार्थी भी आज चित्रण के माध्यम से जन जागरूकता का प्रयास कर रहे हैं। शिक्षण के द्वारा कला को जन-जन तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। आज संस्कृति मंत्रालय द्वारा भी अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है, जिसने नवोदित कलाकारों के सृजन को एक नया मंच मिला है, साथ ही उन्हें प्रोत्साहन राशि के द्वारा प्रोत्साहित भी किया जा रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.यशवंत सिंह राठौर ने कहा कि यह बहुत ही हर्ष का विषय है कि चार संस्थाएं और चार महाविद्यालय इस इस कार्यक्रम का आयोजन कला उत्सव 2021 के रूप में कर रहे है। इस कार्यक्रम में जितने भी छात्र छात्राये ओर कला रसिक जुड़े हुए है उनको इससे बहुत ही लाभ होगा। विभिन्न कलाकरो के विभिन्न कलाकृतियों के दर्शन जो आज इस कला उत्सव के माध्यम से करने का अवसर प्राप्त हुआ है वह बहुत ही गर्व की बात है। आपने छात्र छात्राओं को बताया कि नवोदित कलाकार किसी भी आर्टिस्ट के कार्य को कॉपी न करे, केवल अपना कार्य करे भले जैसा भी बने। इन सभी बातों के साथ आपने सबको आश्वस्त किया कि नवोदित कलाकार अपना कार्य बनाये ओर प्रदर्शित करे, उसको घर मे न रखे उनके कार्य को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का कार्य राज्य ललित कला अकादमी करेगी।
कार्यक्रम में अतिविशिष्ट अतिथि सुरेश कुमार ने कहा कि विद्यार्थियों को कला संबंधी अनेक महत्वपूर्ण निर्देश दिए जिसमें उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें अपनी कला को उत्तम बनाने के लिए निरंतर प्रयास और अभ्यास करना चाहिए, साथ ही अपनी कला को प्रदर्शित भी करते रहना चाहिए। तभी आपकी पहचान लिए बनेगी और कलाकारों के संपर्क में आने से आपके ज्ञान में भी वृद्धि होगी। उन्होंने कलाकारों से तथा विद्यार्थियों से कहा कि हमें अपने अंदर वास्तविक कला की पहचान करनी चाहिए। साथ ही अपनी संस्कृति की महक को बनाए रखना चाहिए, तभी हमारी राष्ट्रीय धरोहर भी संरक्षित रहेगी और हमारी आने वाली पीढ़ियां इन कलाओं से प्रेरित होती रहेंगी।
कार्यक्रम की रिसोर्स पर्सन विजया वेद ने अपने डेमोष्ट्रशन मे एक बहुत ही सुंदर चित्राकृति का सृजन करके सभी के समक्ष प्रस्तुत किया और तकनीकी कुशलता को सभी कलाछात्रों के सामने रखा तथा उनको बताया कि विद्यार्थी किसी के कार्य से प्रभावित होकर विचलित न हो सबके काम को देखे और सीखे । परन्तु केवल अपने मौलिक काम को ही बनाये उसमे ही उन्नति करें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ श्याम बिहारी अग्रवाल जी ने कहा कि स्वाधीनता के संग्राम में बंगाल स्कूल के कलाकारों ने अहम भूमिका निभाई और देश की सांस्कृतिक धरोहर को पुनः स्थापित करने का प्रयास किया है। उन्होंने कलाकारों तथा विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए कहा कि काम करने से ही सब कुछ मिलता है इसलिए हमें अपने कार्य को निरंतर एक साधना की तरह से जारी रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि हर देश का अपना एक सांस्कृतिक चरित्र होता है उसी के अनुसार उस देश की कला का विकास होता है। उन्होंने बंगाल स्कूल की वाश विधा को अपने गुरु श्री क्षितिन्द्रनाथ मजूमदार जी से सीखा और आज वर्तमान में वाश तकनीक की इस विधा को वर्तमान में भी जीवंत बनाए हुए हैं। अनेक विद्यार्थियों को कला की बहुमूल्य जानकारियों से आप निरंतर लाभान्वित करते रहते हैं। रहे ने कहा ….
कार्यक्रम के अंतिम दिन आयोजक मण्डल , कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों , रिसोर्स पर्सन व दर्शको का धन्यवाद ज्ञापन तथा कार्यक्रम का समापन डॉ0 वन्दना वर्मा ने किया ।
कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक डॉ0 वेदपाल सिंह, डॉ0 निशा गुप्ता, डॉ0 ऋचा जैन, अमित कुमार, नीरज मौर्य, श्रीमति कनीज हुसैन, श्रीमति अर्चना, श्रीमति ज्योति, विपाशा गर्ग, विंशु मित्तल, अंकिता साहू, गुंजन सिंधी, निधी सिंहवाल, कुलदीप सैनी, नेहा गुप्ता व कृष्ण कुमार आदि का सहयोग रहा।