जाटों को समझाने उतरेंगी भाजपा नेताओं की फौज, संजीव बालियान को दी बड़ी जिम्मेदारी

जाटलैंड में किसानों को समझाने के लिए जाट चेहरे मैदान में उतारेंगी भाजपा
लियाकत मंसूरी
मेरठ। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत के आंसुओं से बदले राजनीतिक समीकरण से सतर्क हुई भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी जाट चेहरों को मैदान में उतारने का फैसला किया है। पश्चिम यूपी में जाटों के बीच जनसंपर्क अभियान की कमान केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान संभालेंगे। खास बात है कि जाटों की जिस खाप के संजीव बालियान हैं, उसी खाप से भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी हैं।
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह ने केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान के आवास पर पश्चिमी यूपी के सभी जाट नेताओं की बैठक ली। इस बैठक में कहा गया कि किसान आंदोलन के बहाने विपक्ष राजनीतिक हित साधने में जुटा है। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री और मुजफ्फरनगर से लोकसभा सांसद संजीव बालियान ने कहा कि नए कृषि कानूनों के बारे में गलतफहमियां दूर करने और किसानों को उनके फायदे बताने के लिए भारतीय जनता पार्टी एक व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाएगी। बालियान के घर हुई बैठक में बीजेपी के उत्तर प्रदेश सह प्रभारी और राष्ट्रीय सचिव सत्या कुमार, उत्तर प्रदेश के सह संगठन मंत्री कर्मवीर सहित सभी पश्चिमी यूपी के सभी प्रमुख विधायक शामिल हुए। जानकारी के मुताबिक बैठक में यह भी कहा गया कि जगह-जगह पंचायतों के जरिए राकेश टिकैत जाटों का चेहरा बनने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में बीजेपी नेताओं को इस बारे में सोचना होगा और गांव-गांव जाकर जाटों को समझाना होगा। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दों और इस संबंध में पार्टी की रणनीति पर चर्चा की। बैठक के बाद श्री बालियान ने कहा कि सरकार और किसानों के बीच कायम गतिरोध तोड़ने का एक मात्र उपाय बातचीत है। उन्होंने विपक्षी दलों पर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी नेता किसानों को गुमराह कर रहे हैं। उनका रवैया गिद्ध जैसा है। बालियान ने कहा कि सरकार में होने के कारण हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम किसानों को आश्वस्त करें। किसानों से संपर्क कर कृषि कानूनों के बारे में उनकी आपत्तियां सुनने और उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाएगा। लोकतंत्र में किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए बातचीत ही एक मात्र रास्ता है।
गांव-गांव जाकर जाटों को समझाने की बनी रणनीति
गौरतलब है कि पिछले कुछ चुनावों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट बीजेपी को वोट देते आए हैं और अब किसान आंदोलन के चलते जाट बीजेपी से अलग-थलग नजर आ रहे है। ऐसे में जाटों के बीच जाकर यह बताना होगा कि न तो नए कानून किसानों के खिलाफ हैं और न ही पार्टी किसान हितों के खिलाफ है। इसी के मद्देनजर पश्चिम यूपी की सभी खापों में बीजेपी पंचायतों के जरिए जनसंपर्क अभियान चलाएगी।
कृषि कानूनों का फायदा गिनाएंगे बीजेपी नेता
बैठक में शामिल एक और बीजेपी नेता ने बताया कि गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार की रात बैठक लेकर किसान आंदोलन के बहाने विपक्ष की साजिशों से पार्टी नेताओं को सावधान किया था। इसी के मद्देनजर आज की बैठक में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों के बीच व्यापक जनसंपर्क की रणनीति बनाई गई है। बैठक में ये भी निर्णय लिया गया कि बीजेपी के सभी सांसद, विधायक और मंत्री जनसंपर्क अभियान तेज करेंगे। जाटों और किसानों को नए कृषि कानूनों के फायदे गिनाए जाएंगे।
40 लोकसभा सीटों पर जाटों की प्रभावी भूमिका
दरअसल दिल्ली के बॉर्डर पर पिछले 3 महीने से चल रहे किसान आंदोलन को शुरू में पाकिस्तान, खालिस्तान और फिर पंजाब से होते हुए केवल जाट आंदोलन बताकर इस आंदोलन को कम करने की कोशिश की गई, लेकिन धीरे-धीरे इस आंदोलन में जुड़ते पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के जाटों को देखकर भाजपा की चिंता बढ़नी शुरू हुई है, जिसके बाद बीजेपी ने नए सिरे से किलेबंदी की कवायद शुरू कर दी है। इसका कारण राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की 40 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें जाट प्रभावी भूमिका अदा करते हैं। माना जाता है कि इन 40 लोकसभा सीटों पर जाट मतदाता प्रभावी भूमिका अदा करते है।
राकेश टिकैत के आंसुओं ने बदल दिए हालात
26 जनवरी को दिल्ली में लाल किले पर हुई हिंसा के बाद जिस तरह से जन भावना किसान आंदोलन के खिलाफ हो गई थी और 2 दिन बाद स्थिति ऐसी बन गई थी कि किसान आंदोलन खत्म होने के कगार पर पहुंच गया था, लेकिन उसके बाद राकेश टिकैत के आंसुओं ने पूरे हालात बदल दिए और पश्चिम उत्तर प्रदेश समेत हरियाणा और पंजाब में राकेश के आंसू काम कर गए जिसके बाद गांव गांव में शुरू हुई किसान महापंचायत भाजपा सरकार की मुसीबतें रोज बढ़ा रही हैं, जिसके चलते ही बीजेपी में जाटों की बढ़ती नाराजगी पर चिंतन शुरू किया गया।