अपना मुज़फ्फरनगर

ट्रांसपोर्ट का काम करने वाले ट्रांस्पोर्टर्स आयकर रिटर्न दाखिल करते समय सावधानी बरते..

ट्रांसपोर्ट का काम करने वाले ट्रांस्पोर्टर्स आयकर रिटर्न दाखिल करते समय सावधानी रखें..
Sec 44 AE की प्रकल्पित कराधान योजना को एक ऐसे व्यक्ति द्वारा अपनाया जा सकता है जो माल वाहनों को चलाने, किराए पर लेने या पट्टे पर देने के व्यवसाय में लगा हुआ है और जिसके पास वित्तीय वर्ष के दौरान किसी भी समय 10 से अधिक माल वाहन नहीं हैं।वह ट्रांसपोर्टर्स जिसके पास 10 से कम माल वाहन हैं, अपनी आइटीआर भरते समय 7500 रुपए प्रति माह प्रत्येक ट्रक के हिसाब से 12 माह की गणना करकर उस पर सरकार को ईमानदारी से अपना टैक्स दे सकते हैं। इस स्कीम में आने के लिए आप किसी भी डायरेक्ट व इनडायरेक्ट किसी भी अन्य खर्चों को इसमें से नहीं घटा सकते हैं, यह आपकी कुल नेट इनकम मानी जाएगी इस पर ही आपको टैक्स अदा करना है,
यदि आप ऐसा नहीं करते आप दूसरी स्कीम 44 AA के तहत आपको अपनी अकाउंट बिल व बैलेंस शीट मेंटेन करनी पड़ेगी or 44 AB के तहत आपको किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट से ऑडिट भी कराना होगा, जिसमें आपका अतिरिक्त खर्चा व कागजों का काम काफी बढ़ जाएगा। ट्रांसपोर्टर भाइयों को चाहिए कि वे उचित विकल्प का चुनाव करें, प्रायः देखने में आता है कि अधिकतर ट्रांसपोर्टर्स भाई साधारण ₹7500 प्रति माह प्रति ट्रक के हिसाब से अपनी आय पर टैक्स जमा कराते हैं।
इसके लिए आपको वह खंड 44AE की प्रकल्पित कराधान योजना को नहीं अपना सकता है।
यह भी ध्यान रखने बात है यदि आपने 1 तारीख से 30 तारीख के बीच कभी भी वाहन लिया हो तो वह पूरा ही मंथ काउंट होगा, अतः यह मेरी व्यक्तिगत सलाह है कि यदि आपको नया ट्रक खरीदना है, तो माह के आरंभ में ही खरीद ले। वित्तीय वर्ष के मध्य में जब भी आप नया वाहन (ट्रक) खरीदते हैं, तो 31 मार्च तक कितने महा आपने ट्रक प्रयोग करा उतने ही महा आपको 7500 रुपए के हिसाब से प्रति ट्रक पर कर देय होगा। इस प्रकार, यदि कोई व्यक्ति वर्ष के दौरान किसी भी समय 10 से अधिक माल वाहनों का मालिक है, तो आप इस योजना का लाभ नहीं उठा सकता है।
नोट- हैवी ट्रकों के लिए अगले अंक में चर्चा होगी।
यह आर्टिकल्स मेरे करदाता का ज्ञान वर्धन कर अपना टैक्स सरकार को समय से जमा कराने हेतु मेरे व्यक्तिगत विचार हैं, अधिक जानकारी के लिए अपने अधिवक्ता व सीए के निर्देशानुसार अपना रिटर्न भरें।
अवतोष शर्मा एडवोकेट

इन्कम टैक्स-जीएसटी सलाहकार

व स्वतंत्र लेखक

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