मीरापुर: किस पार्टी से कौन होगा प्रत्याशी- राजनीतिक दल कर रहे है चयन

काज़ी अमजद अली-मुज़फ्फरनगर: सूबे में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। अब अपनी सीट पर वोटर्स को अपने चहेते उम्मीदवार के नाम को लेकर जिज्ञासा बनी है, तो भावी प्रत्याशी अपने रसूख की परीक्षा स्वयं ले रहे हैं। बात मुज़फ़्फ़रनगर की मीराँपुर विधानसभा की हो तो यह पर किस के खाते में किस पार्टी का टिकट आयेगा इसका इंतजार सभी को बेसब्री से है।
राजनीतिक लोगो के दावे के मुताबिक मीराँपुर में वोटर्स की संख्या 3 लाख 25 हजार लगभग बताई जाती है, जिसमें मुस्लिम लगभग एक लाख तीस हजार के बीच बताये जाते हैं। दलित वोटर्स लगभग पचास हज़ार जाट व सिख समाज लगभग चालीस हज़ार व पाल 20 हज़ार व सैनी समाज18 हज़ार के लगभग तो गुर्जर समाज के वोटर 14 हज़ार के लगभग बताये जा रहे हैं। विधानसभा में मुस्लिमों मतों की भारी संख्या राजनीतिक दलों में उनकी अहमियत को बढ़ाती है। अनेक राजनीतिक दलों ने कई बार मुस्लिम प्रत्याशी पर दाँव लगाकर जीत भी दर्ज कराई है। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी को मिले थोक मतों ने वर्तमान में टिकट की चाह में लगे मुस्लिम लीडर्स की उम्मीदों को बढ़ाया है। मीराँपुर विधानसभा से भाजपा का टिकट मांगने वालों में अधिकतर जाट- गुर्जर नेता शामिल है तो सपा व रालोद गठबंधन से मुस्लिम व जाट के अलावा गुर्जर नेता भी टिकट की लाइन में शामिल हैं.सभी भावी प्रत्याशी अपने अपने राजनीतिक समीकरण प्रस्तुत कर जीत का दावा कर रहे हैं। वहीं भाजपा तथा सपा -रालोद गठबंधन के अलावा बसपा व काँग्रेस पार्टी के टिकट पाने वाले अभी खामोशी से अपने आप को प्रस्तुत कर रहे हैं। मुस्लिम वोट का बंटवारा सत्ताधारी पार्टी के लिये मुफीद होगा तो मुस्लिम वोट के साथ प्लस का आंकड़ा सपा अथवा रालोद लीडर्स के हौंसले को मज़बूत कर रहा है। बसपा व काँग्रेस अपनी जुगत किस प्रकार बैठायेगीं इसका अभी इंतज़ार है। इस सीट पर बसपा व कांग्रेस भी मुस्लिम कद्दावर नेता की तलाश कर रही है।
वेस्ट यूपी के महत्वपूर्ण कहे जाने वाले जनपद मुज़फ्फरनगर के प्रथम चरण के चुनाव में शामिल होने से राजनीतिक सरगर्मियां बेहद तेज़ हो गयी हैं।हर लम्हा राजनीतिक चर्चाओं के ग्राफ में उछाल ला रहा है। अगर मीराँपुर विधानसभा की बात करें तो 2017 के चुनाव में भाजपा के अवतार भड़ाना ने बेहद मामूली अन्तर से सपा के हाजी लियाकत को हराया था। हाजी लियाकत को रिकॉर्ड 69800 मत प्राप्त हुए थे। हार के बावजूद सपा के खेमे में उनको जीता हुआ माना गया था, जिसके चलते गत वर्षों में सपा के सभी छोटे बड़े मंच पर उन्हें सम्मान मिलता रहा है। मीराँपुर विधानसभा पर की बात की जाये पिछले चार दशको पर अगर नज़र डाली जाए तो मीराँपुर यानी पूर्व में मोरना विधानसभा से सईदुज्जमाँ कांग्रेस,अमीर आलम खान जनता दल,स्व.मा.रामपाल सैनी भाजपा ,स्व.संजय चौहान सपा,राजपाल सैनी बसपा,कादिर राणा रालोद,मिथलेश पाल रालोद,मौलाना जमील अहमद कासमी बसपा से विधायक रह चुके हैं इस बार के समीकरण किस प्रकार होंगे ये शायद आगामी सप्ताह में तय हो जायेगा। मोरना अथवा मीराँपुर क्षेत्र के मतदाताओं ने सभी राजनीतिक दलों को जीत का स्वाद चखाया है।इस बार अभी तक मुख्य मुकाबला सत्ताधारी भाजपा व रालोद सपा गठबंधन के बीच होने की चर्चाएं हैं। बसपा से अभी किसी बड़े नाम की दरकार है। दूसरी पार्टी के एक दिग्गज की बसपा में एंट्री होने जा रही है। राजनीतिक परिवार के मुस्लिम प्रत्याशी के बसपा से आने से समीकरण बदल सकते है।मीराँपुर सीट सपा के खाते में अथवा रालोद के खाते में जाएगी ये सवाल अभी भविष्य के गर्भ में है। बता दे कि रालोद की प्रत्याशी मिथलेश पाल को 2017 के चुनाव में 22751, बसपा प्रत्याशी नवाजिश आलम को 39689 व सपा के हाजी लियाकत को 68842 मत प्राप्त हुए थे। मामूली अंतर से हुई हार सपा के खेमे को मजबूती प्रदान करती है किन्तु प्लस का आंकड़ा रालोद नेताओं में उत्साह भरता है।
(काज़ी अमजद अली)
वरिष्ठ पत्रकार है। मुज़फ़्फ़रनगर के विभिन्न
दैनिक समाचार पत्रों व वेबसाइट से जुड़े है।