सरधना विधानसभा में दिख रही बदलाव की बयार

दलितों के ध्रुवीकरण से सीट बनी रोमांचक, सपा व भाजपा में होंगी टक्कर
विधायक संगीत सोम और सपा प्रत्याशी अतुल प्रधान तीसरी बार आमने-सामने
मेरठ। भाजपा के फायरब्रांड नेता एवं विवादित बयान देकर हमेशा चर्चाओं में रहने वाले विधायक संगीत सोम पर भाजपा ने तीसरी बार भरोसा जताया है। दो बार विधायक रह चुके संगीत सोम हैट्रिक की जुगत में है। सपा ने फिर से अपने वरिष्ठ युवा नेता अतुल प्रधान पर दांव खेला है, हालांकि समाजवादी पार्टी यहां से कभी जीत दर्ज नहीं कर सकी है। कांग्रेस की ओर से पूर्व विधायक जकीउद्दीन के पुत्र रेहानुद्दीन ने ताल ठोंकी है। बसपा ने संजीव धामा और आजाद समाज पार्टी ने भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है। दलितों के ध्रुवीकरण से यह सीट रोमांचक हो गई है। इस बार इस सीट पर बदलाव की बयार दिख रही है। मतदाता बदलाव की जुस्तुजू में लग रहे हैं। इस सीट पर मतदाताओं के बिखराव के चलते सीधे तौर पर भाजपा और सपा के बीच टक्कर का मुकाबला होगा।
जिले की सरधना विधानसभा सीट सूबे की उन सीटों की फेहरिश्त में है, जहां समाजवादी पार्टी कभी नहीं जीत सकी। मेरठ शहर की सबसे हॉट सीट सरधना किसी पहचान की मोहताज नहीं है। सरधना में प्राचीन शिव मंदिर है तो साथ ही ऐतिहासिक चर्च भी है, जिसे बेगम समरू चर्च से जाना जाता है। लोकसभा चुनाव में यहां के मतदाता मुजफ्फरनगर सीट से सांसद चुनने के लिए मतदान करते हैं। सांप्रदायिक लिहाज से ये सीट काफी संवेदनशील है। इस इलाके में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, स्ट्रीट लाइट प्रमुख मसले हैं। सरधना विधानसभा सीट पर किसी एक दल का दबदबा नहीं रहा है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। चुनावी अतीत की बात करें तो 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चंद्रवीर सिंह ने राष्ट्रीय लोकदल की तबस्सुम बेगम को हराया था, तब बीजेपी के विजयपाल सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। 2012 के चुनाव में बीजेपी ने संगीत सोम को चुनाव मैदान में उतारा। बीजेपी के संगीत सोम ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी आरएलडी के हाजी मोहम्मद याकूब कुरैशी को हराया था। सपा उम्मीदवार अतुल प्रधान तीसरे स्थान पर रहे थे। बसपा उम्मीदवार और निवर्तमान विधायक चंद्रवीर सिंह चौथे स्थान पर खिसक गए थे। बीजेपी के संगीत सोम लगातार दूसरी दफा 2017 में विधायक निर्वाचित हुए. संगीत सोम ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के अतुल प्रधान को 21 हजार से अधिक वोट के अंतर से हराया। बसपा के इमरान याकूब तीसरे स्थान पर रहे। अतुल प्रधान ने इस सीट से दो बार अपनी किस्मत आजमाई और दोनों ही बार हार का सामना करना पड़ा।
चौबीसी के अलावा मुस्लिमों की संख्या अच्छी
सरधना विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम अच्छी तादाद में हैं। यहां ठाकुर, जाट, दलित वोटरों की संख्या भी ठीक-ठाक है। ठाकुर चौबीसी भी सरधना विधानसभा क्षेत्र में ही है। एक अनुमान के अनुसार इस सीट पर 60 से 65 हजार ठाकुर, 50 से 55 हजार जाट, 85 से 95 हजार मुस्लिम, 45 से 50 हजार एससी और 30 से 35 हजार गुर्जर मतदाता हैं। जातीय समीकरण इस सीट का परिणाम तय करने में बड़ी भूमिका निभाता हैं। इस विधानसभा सीट से ज्यादातर ठाकुर और जाट प्रत्याशी ही जीतते आए हैं। सपा को आज तक इस सीट पर जीत नसीब नहीं हुई है।
विधायक के दावों को बताया हवा-हवाई
सरधना विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक संगीत सोम की गिनती पार्टी के फायरब्रांड नेताओं में होती है। मुजफ्फरनगर दंगों में भी संगीत सोम का नाम आया था। संगीत सोम का दावा है कि इस इलाके में उनके 10 साल के कार्यकाल में विकास की गंगा बही है। विपक्षी दलों के नेता विधायक के दावों को हवा-हवाई बता रहे हैं।
मूड बना चुका है सरधना विस का वोटर
कांग्रेस ने पूर्व विधायक रेहानुद्दीन पर दांव खेला है। सूत्रों की माने तो रेहानुद्दीन की क्षेत्र में कोई पकड़ नहीं है। बसपा ने संजीव प्रधान और आजाद समाज पार्टी ने भी अपना प्रत्याशी यहां उतारा है। इससे दलितों के वोट का ध्रुवीकरण होगा। दूसरी ओर, गत चुनाव में गुर्जर और मुस्लिम अतुल प्रधान से छिटक गया था, इस बार वह सपा की ओर जाता दिखाई दे रहा है। आंकलन लगाया जा रहा है कि चुनाव सीधा-सीधा गठबंधन और भाजपा के बीच होगा।