कोरोना की आहट से बढ रही बेचैनी,पनप रहा अवसाद

ज़हमत से डर लगता है……. ??
(काज़ी अमजद अली)
दूसरे सूबों से आ रही विपरीत खबरों ने नागरिकों में बेचैनी पैदा कर दी है। प्राथमिक विद्यालयों को बन्द करने के आदेश व सोशल मीडिया पर अफवाहों की आंधी ने ग्रामीणों में अनेक शंकाएं उत्पन्न कर दी है, जिससे बडे आयोजन पर विराम लगने लगा है। बीते वर्ष के भयावह समय की पुनरावृत्ति कोई नही चाहता है।
नए वर्ष के आरम्भ में कोरोना के प्रकोप से निजात मिलने की आशा से लोग गुजरे वक्त को भूल कर आगे बढने लगे थे। अभी दो माह भी न गुजरे थे कि कोरोना की आहट से फिर नागरिक सहम गये हैं। हाल के घटनाक्रम ने बेचैनी पैदा कर दी है। सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहें आग में घी का काम कर रही हैं। कोरोना की दहशत से ज्यादा लोगों में लॉकडाउन का भय ज्यादा प्रतीत होता दिख रहा है। लॉकडाउन का दंश झेल चुके नागरिक फिर नई आफत को झेलना नहीं चाहते हैं। ऑफिस हो चाय की दुकान या बैठक या चौपाल सभी जगह लॉकडाउन को लेकर चर्चाएं हैं। कोरोना की आशंकाएं क्या कोरोना टीकाकरण में चल रही नीरसता को दूर करेगी या प्रशासन कोई कडा कदम उठाएगा। ये सभी सवाल भविष्य के गर्भ में हैं। दिन प्रतिदिन बढती बेचैनी अवसाद को जन्म दे सकती हैं तथा हृदयरोगियों के लिए समस्या उत्पन्न हो सकती है। समय रहते सभी शंकाओं को जागरूकता के माध्यम से दूर करना होगा तथा पनप रही आशंकाओं व विपरीत संवेदनशीलता को बढने से रोकना होगा। कोरोना संक्रमण न बढे, इसको लेकर सावधानियों को सहज माहौल में आगे बढाना होगा।