ठेकेदारो के बीच पिस गया समाज: बता रहे है अनस बघरा

बंगाल के राज्यपाल माननीय जगदीप धनकड़ को भाजपा के साथ अन्य सहयोगी दलों द्वारा उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाये बनने पर हार्दिक बधाई के साथ साथ निम्न और उच्च सदन में भाजपा और उसके सहयोगी दल बहुमत में है और उपराष्ट्रपति के चुनाव में इन्ही दोनो सदन के सदस्यों द्वारा मतदान किया जाता है। इसलिए हमारी ओर से माननीय जगदीप धनकड को विजयश्री की अग्रिम शुभकामनाएं।
एक बार स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था कि यदि भारत की हर क़ौम जाट जैसी हो जाए तो भारत दुनिया का सिरमौर बन जाएगा ।पिछले कई सालों का घटनाक्रम देखें तो सैद्धांतिक वैचारिक और आंदोलन करके जाट समाज के द्वारा ही सबसे ज्यादा भाजपा का विरोध किया गया। लेकिन छोटे से बड़ा कोई भी चुनाव देख ले तो जाटों ने भरपूर समर्थन भी भारतीय जनता पार्टी को किया जिसके परिणामस्वरूप भारतीय जनता पार्टी द्वारा जाट समाज को जिला पंचायत अध्यक्ष,विधायक,सांसद,मंत्री और अब उप राष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पदों हिस्सेदारी दी गई है जो उन लोगों के लिए आंख खोलने वाली है जो आंख बंद करके तमाम उम्र से पार्टी विशेष को हराने का ठेका लिए बैठे हैं और इस ठेके के चक्कर में अपनी एक अघोषित अदृश्य दुश्मनी पाल बैठे हैं, चुनाव आते हैं तो पार्टी हराई ठेकेदारो को बड़े-बड़े कुर्ते पहनाकर बड़े-बड़े भाषण और विलाप का ठेका इनके आकाओं द्वारा दिया जाता है जिसकी एवज मे यह उन गरीब लोगों को इस अंधेरे में लगातार गुमराह कर रहे हैं जो इन बातों को नहीं समझते और उन्हीं के भरोसे उनके पीछे लगे रहते हैं यह पार्टी हराऊ ठेकेदार पार्टी विशेष की हराई की ठेकेदारी में वोट दिलाकर अपने घरों में वापस जाकर अपने अपने कारोबार में लग जाते हैं, और चुनाव के 6 महीने बाद फिर वापसी करते हैं लगातार यही क्रम चलता रहता है और आम आदमी किसी ना किसी तरह इस अदृश्य और अघोषित दुश्मनी का शिकार होकर सिस्टम में पिसता रहता है। जिन यह ठेकेदार जिन लोगों को वोट दिलाते हैं उनमें से यदि कोई जीत भी जाता है तो वह केवल उन्हीं ठेकेदारों तक सीमित रहता है। आम गरीब के हित और सरोकारों से उसे कोई मतलब नहीं रहता इसलिए हर गरीब और इसलिए हर आदमी इस बात की गांठ बांध लें की अंध विरोध किसी भी चीज का गलत है ।आप जो जो कोई अच्छा काम कर रहा है उसकी उसकी अच्छी बातों को भी कहना चाहिए और सिर्फ हराने की ठेकेदारी ना करते हुए अच्छाई बुराई को जांच कर तब अपना समर्थन किसी को देना चाहिए जब तक आप अपना समर्थन किसी को नहीं देंगे और एक घोषित अदृश्य दुश्मनी निभाते रहेंगे तो और आप उनसे उम्मीद करेंगे की आपके काम हो या आपकी आप को प्रताड़ित ना किया जाए तो यह एक बेईमानी है।
लेखक
अनस बघरा
यह लेखक के अपने विचार है समाचार पत्र का सहमत होना आवश्यक नही है।