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पत्नी के प्रेमी को मिली उम्रकैद की सजा, 2 हुए बरी

गांव नरा के जंगल में 13 साल पहले मिली थी मुकेश कुमार की लाश
-पत्नी ने प्रेमी संग मिलकर किया था पति का कत्ल
-पत्नी को गिरफ्तार करने में थाना मन्सूरपुर पुलिस नहीं हो पाई सफल
मुजफ्फरनगर। 13 साल पहले हुई मुकेश की हत्या प्रेम संबंधों में बाधा बनने के लिए उसकी पत्नी द्वारा अपने प्रेमी के साथ मिलकर की गयी थी। इस मामले में आज कोर्ट का फैसला आया है। कोर्ट ने हत्यारोपी प्रेमी को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के साथ ही अर्थ दण्ड भी लगाया है। इस मामले में मृतक की पत्नी को पुलिस गिरफ्तार करने में सफल नहीं हो पाई है।वहीं मुकेश की हत्या में आरोपी प्रेमी का साथ देने के दो आरोपियों के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिलने के कारण अदालत ने उनको बाइज्जत बरी कर दिया है। विशेष लोक अभियोजक एससी/एसटी एक्ट यशपाल सिंह एडवोकेट और एडीजीसी क्रिमीनल सहदेव सिंह आर्य ने बताया कि मुकेश हत्याकांड में सोमवार को विशेष न्यायालय एससी, एसटी एक्ट के पीठासीन अधिकारी जमशेद अली द्वारा आईपीसी की धारा 302 के अन्तर्गत मुकेश कुमार हत्याकांड के मामले में फैसला सुनाया है।
उन्होंने बताया कि 11 मई 2009 को मन्सूरपुर थाना क्षेत्र के गांव नरा निवासी गाव के चौकीदार इनामूदीन पुत्र अकबर के द्वारा पुलिस का सूचना दी गयी थी कि गांव नरा के जंगल में मेसू पुत्र राम स्वरूप के खेत में एक व्यक्ति की लाश पड़ी है। सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर व्यक्ति की लाश बरामद की और उसकी शिनाख्त कराने का प्रयास किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली थी। पुलिस ने अज्ञात में पंचनामा भरकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। मृतक के कपड़े और अन्य सामान पहचान के लिए सुरक्षित थाने पर रख लिया गया। इस मामले की विवेचना पहले उप निरीक्षक सुदेश चन्द्र जादौन ने की और शव की पहचान दलित व्यक्ति मुकेश कुमार निवासी शास्त्रीनगर जनपद मेरठ के रूप में होने पर तत्कालीन सीओ खतौली एसके शुक्ला द्वारा की गयी। विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह के अनुसार अज्ञात शव की पहचान उसके भाई मूलचंद और भतीजे प्रेमपाल निवासी शास्त्रीनगर, मेरठ ने थाना मन्सूरपुर में आने के बाद कपड़े और अन्य सामान के आधार पर की थी।
अवैध ताल्लुक सामने आए
पुलिस की विवेचना में यह सामने आया कि मुकेश कुमार की पत्नी संगीता के किशन कुमार पुत्र इन्द्र प्रकाश निवासी शास्त्रीनगर, मेरठ के साथ अवैध सम्बंध बन गये थे, जिनका मृतक मुकेश लगातार विरोध कर रहा था। पुलिस को मृतक के भाई मूलचंद ने बताया था कि वह किशन कुमार को भली प्रकार जानता है और मुकेश से उसकी दोस्ती थी, इसी कारण उसका मुकेश के घर आना जाना हो गया था। किशन बाद में मुकेश की गैर हाजिरी में भी उसके घर आने लगा था, जिसकी जानकारी होने पर मुकेश ने किशन के घर आने पर पाबंदी लगा दी थी और इसके लिए अपनी पत्न्ी को भी डांट फटकार लगाई थी। मूलचंद द्वारा पुलिस को दिये गये बयान के अनुसार 10 मई 2009 की शाम को करीब पांच बजे मुकेश अपनी पत्नी को यह बताकर गया था कि वह रामचन्द्र से 40 हजार रुपये जो उसने उधार दिये थे, लेने जा रहा है। उसी दिन मूलचंद ने तेज़ गढ़ी चौक पर मुकेश के साथ किशन कुमार और उसके दो साथियों को जाते हुए देखा था। मूलचंद के पूछने पर भी मुकेश ने यही बताया कि वह रामचंद्र से अपने 40 हजार रुपये वापस लेने जा रहा है। इसके बाद मुकेश का कोई पता नहीं चला। मुकेश ने थाना मेरठ मेडिकल में मुकेश की गुमशुदगी दर्ज कराई थी और उसकी लगातार तलाश की जा रही थी। जबकि इसके अगले ही दिन गांव नरा में खेत से मुकेश का शव बरामद हुआ था। मूलचंद जब अपने पुत्र प्रेमपाल के साथ थाना मन्सूरपुर में शव की शिनाख्त के लिए आया था, तो उसने शिनाख्त हो जाने पर अपनी भाभी और मृतक की पत्नी को फोन मिलाकर सूचना देने का प्रयास किया, लेकिन उसका फोन नहीं मिल पाया। मूलचंद फिर उसके घर गया तो मृतक की पत्नी संगीता घर पर नहीं मिली। उसके खिलाफ वारंट जारी हैं। विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह ने बताया कि विवेचना में पुलिस ने यह दावा किया कि संगीता ने प्रेम संबंधों में बाधा बनने के कारण अपने प्रेमी किशन कुमार के साथ मिलकर अपने पति मुकेश कुमार की हत्या की और शव को यहां गांव नरा लाकर डाल दिया गया। संगीता अभी फरार बताई गयी है। इस मामले में पुलिस ने  इनामुदीन की तरफ से मुकदमा दर्ज किया था, जिसको बाद में 302 में तरमीम करते हुए किशन कुमार, संगीता के साथ ही बबलू पुत्र चरण सिंह निवासी गांव नरा और साबिर पुत्र सीटू निवासी खालापार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। केस का ट्रायल विशेष न्यायालय एससीध्एसटी एक्ट में किया गया। अभियोजन की ओर से यशपाल सिंह ने न्यायालय में सात गवाह पेश किये, जिन्होंने घटना का समर्थन किया। अभियोजन की बहस व उनक तर्कों के बाद अभियुक्त किशन कुमार को आईपीसी की धारा 302 और 201 के तहत दोषी पाया और उसको धारा 302 में आजीवन कारावास एवं सात हजार रुपये अर्थदण्ड तथा धारा 201 में पांच वर्ष कारावास और तीन हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई। उन्होंने बताया कि उसके साथी बताये गये साबिर और बबलू को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त किया गया। हालांकि मुकेश के भाई मूलचंद ने अदालत में इन दोनों को पहचानते हुए दावा किया था कि 10 मई को जब उसने अपने भाई को तेज़ गढ़ी पर  देखा तो किशन कुमार के साथ वही दोनों मौजूद थे।

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