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यूक्रेन रिटर्न स्टूडेंट्स का दर्द, केन्द्र सरकार नहीं दे पाई कोई राहत,यूनिवर्सिटी भेज रही है ई-मेल, पढ़ाई पूरी करें छात्र-छात्राएं

मुजफ्फरनगर

पहले जिन्दगी बचायें या फिर अपना भविष्य! कुछ इसी जद्दोजहद में यहां के वो मेडिकल के छात्र हैं, जो कि यूक्रेन में रहकर एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश लेकर अपने भविष्य को संवारने का सपना संजोये बैठे थे। अचानक ही रात में यूक्रेन पर रूस का हवाई हमला होता है और चंद दिनों में ही सबकुछ तबाह। इसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी के आप्रेशन गंगा के जरिये हिन्दुस्तानी छात्र-छात्राएं सुरक्षित अपने वतन पहुंच जाते हैं। वतन आकर जान तो सुरक्षित हो गई, लेकिन उनका भविष्य पूरी तरह से खतरे में पड़ गया है। अब फिर से यूक्रेन की राजधानी कीव पर रूस का ताबड़तोड़ हमला चल रहा है। इसी हमले के बीच मेडिकल छात्रों को यूक्रेन की ओर से आफर दिया गया है कि वें यूक्रेन आकर अपनी पढ़ाई पूरी कर लें। ऐसे हालात में जहां जान की कोई गारंटी नहीं, वहां भविष्य कैसे सुरक्षित हो! इस सवाल में बच्चे व उनके अभिभावक उलझे हुए हैं।

बता दें कि कुछ दिन पहले यूक्रेन पर रूस ने हवाई हमले शुरु किये थे। इसके बाद यूक्रेन में रहने वाले दूसरे देशों के छात्र-छात्राओं को उनके वतन वापस भेज दिया गया था। पिछले कई माह से यहां के हजारों बच्चे अपने घरों पर मौजूद हैं। इनमें मुजफ्फरनगर के 80 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। इनके भविष्य को लेकर सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई। मामला सुप्रीम कोर्ट गया, तो वहां केन्द्र सरकार ने हलफनामा देकर स्पष्ट कर दिया कि ऐसे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई के लिए उनके पास कोई कार्ययोजना नहीं है। इस हलफनामे के बाद कई सौ छात्र-छात्राएं पौलेंड के रास्ते यूक्रेन लौट गये, लेकिन अब वें अपनी गलती पर पछता रहे हैं। वहां से कॉल करके इस बात का अहसास करते हैं कि उन्होंने बड़ी गलती की है। दो दिन से फिर हवाई हमले चल रहे हैं। रातें जागकर कटती है, पढ़ाई-लिखाई तो दूर की बात रह गई है। इधर अपने वतन में रहने वाले छात्र-छात्राएं भी अपने भविष्य को लेकर चैन की नींद नहीं सो पा रहे है। ऐसे हालात में अब यूक्रेन की ओर से मेडिकल छात्रों को उनकी ई-मेल पर आफर लेटर भेजे जा रहे हैं कि वें तत्काल यूक्रेन आकर अपनी पढ़ाई शुरु कर लें। जिन्दगी व मौत के बीच पहुंचकर पढ़ाई करना छात्र के वश में नहीं, तो माता पिता किसी भी कीमत पर इसकी अनुमति देने को तैयार नहीं है। बस यही है कि जान बची रहे,भविष्य तो कहीं न कहीं बच ही जायेगा।

‘विश्वविद्यालय की ओर से पत्र मिला है, जिसमें कहा गया है कि यूक्रेन लौटकर अपनी पढ़ाई को सुचारु करें, जबकि यूक्रेन में हालात बहुत खराब हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में जान का खतरा हो, उनके परिजन भेजने के लिए तैयार नहीं है। हालांकि उनके कुछ साथी जान हथेली पर लेकर यूक्रेन पहुंच भी गये है। ऐसे हालात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से काफी उम्मीदें हैं, वें आप्रेशन गंगा की तरह एक बड़ा निर्णय लेकर अपने वतन में ही उनकी पढ़ाई पूरी कराने के लिए व्यवस्था करा सकते हैं।’


अब्दुल समद

 एमबीबीएस छात्र!

यूक्रेन से लौटे छात्रों में मायूसी, अब फंस गए साथी
दोस्तों के यूक्रेन में फंसने से यहां रह रहे छात्र-छात्राओं में मायूसी का माहौल है। बताया जा रहा है कि पिछले दो माह में वतन से लगभग 300 छात्र-छात्राएं अपने भविष्य की जद्दोजहद में यूक्रेन लौट गये थे। अब फिर से हमला हुआ, तो वें बेहाल हो गये हैं। परिवार को उनकी जान की  फिक्र है।

Student FARMAN चौधरी का कहना है कि केंद्र सरकार ने भारतीय मेडिकल कॉलेजों में यूक्रेनी विश्वविद्यालयों से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों को समायोजित करने का कोई निर्णय नहीं लिया है, जिसके चलते कई छात्रों ने युद्धग्रस्त देश में वापस जाने का फैसला किया है। विश्वविद्यालयों ने पहले ही आफलाइन कक्षाएं शुरू कर दी हैं और उन्हें वापस आने के लिए आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं।


इवानो-फ्रैंकिव्स्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी (आईएफएनएमयू) के छात्र हर्ष गोयल ने कहा ‘प्रत्येक विश्वविद्यालय से लगभग 10-15 छात्र यूक्रेन वापस चले गए हैं।’ उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय छात्रों को वापस बुला रहे हैं। हालांकि अधिकांश विश्वविद्यालय उन्हें आनलाइन और आफलाइन कक्षाएं लेने के दोनों विकल्प दे रहे हैं, कुछ विश्वविद्यालय आफलाइन कक्षाएं प्रदान कर रहे थे। इससे छात्रों के पास वापस यूक्रेन जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।हर्ष ने कहा कि कई विश्वविद्यालयों ने अपने परिसरों को यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से में स्थानांतरित कर दिया है, जिसे तुलनात्मक रूप से सुरक्षित माना जाता है क्योंकि यह रूसी सीमा से दूर है। लेकिन स्थिति कोई बेहतर नहीं है। यूक्रेन के उनके कई मित्रों ने मुझसे कहा है कि वह वहां सुरक्षित नहीं है। ऐसी अफवाहें हैं कि रूस पश्चिमी हिस्से पर हमले की योजना बना रहा है। मेरे माता-पिता मुझे वापस जाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं, कम से कम इस महीने तो नहीं।


मोहम्मद कैफ ने कहा कि सरकार को उन्हें भारत में ही समायोजित करके उनकी शिक्षा यहीं पर पूरी करने का निर्देश देना चाहिए। उसने बताया कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई के पश्चात अगली सुनवाई 1 नवंबर 2022 निर्धारित की है, मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता कर रहे है। उन्हें उम्मीद है कि फैसला उनके हक में होगा।

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