सलाखों के पीछे मुँह बोले मुस्लिम भाईयो के हाथों पर राखी सजाते दिखी हिंदू बहने, मुस्लिम बहने भी राखी लेकर पहुंची जेल

UP : मुज़फ्फरनगर जेल में हिंदू बहने अपने मुँहबोले मुस्लिम भाइयों के हाथों पर पवित्र राखी का धागा बांधती नज़र आई तो मुस्लिम बहने भी हिंदू भाईयो के लिए राखी लेकर जेल की सलाखों के पीछे पहुंची।रक्षाबंधन का त्यौहार जहां जनपदभर में धूमधाम के साथ मनाया गया, वहीं जिला कारागार में भी जेल में बंद अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए महिलाओं का तांता लगा रहा। भारी संख्या में महिलाएं जेल में बंद अपने भाइयों से मिलकर उनकी कलाई पर राखी बांधने के लिए उत्सुक दिखी। कई महिलाओं की आंखों में इस बात को लेकर आंसू भी देखे गए की रक्षाबंधन के दिन भी उनका भाई जेल में बंद है और वह कुछ नहीं कर सकती।
जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने बताया कि जेल में बंद भाइयों को राखी बांधने के लिए महिलाएं सुबह 8.00 बजे से ही यहां पहुंचनी शुरू हो गई थी इसलिए इस बार हमने जल्दी मुलाकात करनी शुरू कर दी थी सबसे खास बात यह है कि आज रोजाना की तरह कंप्यूटराइज पर्ची बनवाने वाली महिलाओं की तो मुलाकात हो ही रही है अगर कोई महिला कंप्यूटराइज पर्ची नहीं बनवा पाती वह भी आज अपने भाई से मिल सकती है और उनकी कलाई पर राखी बांध सकती है। जेल प्रशासन द्वारा दूर दराज से आने वाली बहनों के लिए व्यापक व्यवस्था की गई है जय कैंपस में एक टेंट लगाया गया है जिसमें बैठने और पानी वगैरह की व्यवस्था की गई है कुछ महिलाएं जेल में बंद महिलाओं द्वारा बनाई गई राखियां खरीद कर अपने भाइयों की कलाई पर बढ़ने के लिए जेल के अंदर जा रही है। जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने बताया कि अभी तक लगभग 500 महिलाएं अपने भाइयों को राखी बांध चुकी है और उन्हें उम्मीद है की शाम तक 1000 से 1200 महिलाएं अपने भाइयों से मुलाकात कर सकेंगी रक्षाबंधन पर जेल में सांप्रदायिक सौहार्द भी देखने को मिल रहा है जिसमें मुस्लिम महिलाएं भी भारी संख्या में अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए जिला कारागार पहुंच रही है।
धर्म अलग-अलग, पर रिश्ता है अटूट..
एक ओर जहां धार्मिक भावनाओं को लेकर आए दिन बवाल हो रहे हैं। धर्म के नाम पर एक-दूसरे से लड़ाया जा रहा है, वहीं पुरकाजी में साम्प्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल है एक परिवार। इस मुस्लिम परिवार की लड़कियां हर वर्ष अपने हिन्दू भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है और हिन्दू भाई भी इन मुस्लिम बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। भाई-बहनों के धर्म अलग-अलग हैं, परन्तु इनके धर्म का इनके रिश्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इन भाई बहनों के अटूट रिश्तों की क्षेत्र में मिसाल पेश की जाती है।
रक्षाबंधन का त्यौहार भाई- बहन के अटूट प्रेम का बंधन का त्यौहार है। इस दिन भाई बहन कहीं पर भी हो इस दिन को नहीं भूलते हैं और राखी बंधवाने के लिए भाई बहन के घर पहुंचते हैं। भाई और बहन दोनों के लिए ही यह दिन खास माना जाता है। पुरकाजी में एक मुस्लिम परिवार ऐसा है जो रक्षाबंधन के पर्व पर आपसी भाईचारे का प्यार का प्रतीक है। इस मुस्लिम परिवार की लड़की अपने मुंहबोले हिंदू भाई को 15 वर्षों से राखी बांधी चली आ रही है।
पुरकाजी ब्लाक के गांव गांव फलौदा निवासी मोहित त्यागी ने कस्बे के मौहल्ला झोझगान निवासी वसीम सलमानी की बेटी बुशरा को अपनी मुंहबोली बहन बना रखा है और रक्षाबंधन के पर्व पर मोहित त्यागी प्रत्येक वर्ष राखी बंधवाने के लिए मुस्लिम परिवार में आता है और पूरी श्रद्धा के साथ इस रक्षाबंधन के पर्व को मनाया जाता है। वसीम सलमानी ने बताया कि मोहित त्यागी के घर पर उनके पिता बबलू के साथ दोस्ताना संबंध है। इसी रिश्ते को आगे बढ़ाते हुए मोहित त्यागी वसीम सलमानी की बेटी बुशरा से राखी बंधवाते चले आ रहे हैं। दोनों परिवार हिंदू मुस्लिम भाईचारा की मिसाल पेश करते हैं। दोनों के धर्म अलग-अलग हैं लेकिन रिश्ता अटूट है। हिंदू भाई कितनी भी दूर काम करने के लिए चल जाए, लेकिन आज के खास दिन को वह कभी नहीं भूलता है। मोहित उनके घर आकर अपनी मुंहबोली बहन से राखी बंधवाता है तथा अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है।