ब्रिटिश कालीन जेल अब शहर से बाहर करने की तैयारी, कारागार मंत्री ने किया स्थलीय निरीक्षण

काज़ी अमजद अली
मुज़फ्फरनगर शहर के मध्य स्थित ब्रिटिश कालीन जिला कारागार के विस्थापन के प्रयास शुरू हो गये हैं। अब तक यह जिला कारागार क्षमता से तीन गुना अधिक बंदी झेल रही थी। मुज़फ्फरनगर के साथ शामली के बंदी भी यही पर बंद हैं, अब नई जेल के निर्माण को लेकर भोपा क्षेत्र के रहकडा में पहुँचे कारागार मन्त्री डॉ.धर्मवीर प्रजापति, कपिल देव अग्रवाल सहित प्रशासनिक अधिकारियों ने चयनित भूमि का स्थलीय निरीक्षण किया है।
मुज़फ्फरनगर के भोपा मार्ग किनारे गाँव रहकडा क्षेत्र में श्री गुरद्वारा साहिब के निकट नई आधुनिक जेल का निर्माण प्रस्तावित है। जिसके लिये बीते वर्ष 2019 में भूमि का चयन किया गया था। किसानो की सहमति के बाद भूमि के अधिग्रहण कार्य को गति दी गयी। अब राज्य मन्त्री स्वतन्त्र प्रभार कारागार एवं होमगार्ड विभाग डॉ.धर्मवीर प्रजापति ने मौके पर पहुँचे। जहाँ मन्त्री कपिल देव अग्रवाल ने उनका स्वागत किया। कारागार मन्त्री डॉ.धर्मवीर प्रजापति ने बन्दी कारागार के लिये प्रस्तावित भूमि व जेल के मानचित्र का निरीक्षण किया। उपजिलाधिकारी जानसठ सुबोध कुमार व कानूनगो ओमप्रकाश ने भूमि सम्बंधी जानकारी दी। जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने तकनीकी जानकारी प्रदान की।
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कारागार मन्त्री डॉ.धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि नई जेल के निर्माण के लिये भूमि के चयन की प्रकिर्या जारी है। ज़मीन को मौके पर आकर देखा गया।उसके उपयुक्त होने आदि के सम्बंध में प्रशासन सँग मिलकर प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।ADM वित्त गजेंद्र कुमार के मुताबिक कुल 480 बीघा भूमि का चयन किया गया है। जिसका मानचित्र बनाकर सम्बंधित विभाग को प्रदान किया गया है। वहीँ कारागार मन्त्री के निरीक्षण के बाद भोपा -मुज़फ्फरनगर मार्ग पर जेल के निर्माण से ग्रामीणों में क्षेत्र में विकास की संभावना को लेकर उत्साह का संचार हुआ है।
वर्तमान में क्या हालत हैं जेल के…
मुज़फ्फरनगर की जेल ब्रिटिशकाल में बनी थी, तब से आज तक इसका स्वरूप नहीं बदला गया। कई बार जेल को ट्रांसफर करने की बात चली मगर कभी जमीन नहीं मिली तो कभी लापरवाही हो गई। पिछले कई दशकों से बुढ़ाना मोड़ पर जेल ट्रांसफर होने की बात चलती रही मगर अब लग रहा हैं की नई जेल की योजना परवान चढ़ जाएगी। वर्तमान में जेल की बंदी क्षमता 870 हैं इसके विपरीत यहाँ 2480 कैदी बंद हैं। यानी तीन गुना बंदी जेल में बंद किये गए हैं।
कोरोना काल में बिगड़ गए थे हालत...
कोरोना काल में जिला कारागार में लगातार मौत का ग्राफ बढ़ गया था। कोरोना ने यहाँ जमकर तांडव मचाया था। तब इसकी जिम्मेदारी भी छोटी बिल्डिंग और व्यवस्था पर ही आई थी।