सिपाही की हत्या के मामले में 11 आरोपी बरी, अपने ही महकमे के कर्मचारी को इंसाफ नहीं दिला पाई खाकी

UP: मुज़फ्फरनगर में अपने ही महकमे के कारिंदे की ऑनड्यूटी हुई हत्या के मामले में खाकी की लिखा-पढ़ी इतनी कमजोर हुई कि अदालत से 11 हत्यारोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया गया। हालांकि, इस मामले में एक आरोपी को दोषी करार देते हुए सजा की तिथि मुकर्रर की गई है। इस मामले में अभियोजन पक्ष मजबूती के साथ अपना पक्ष नहीं रख पाया। नतीजा यह निकला कि 11 आरोपियों को बरी कर दिया गया। आरोपियों के पक्ष में दलील पेश कर रहे अधिवक्ता ने अदालत के सामने स्पष्ट कहा कि पुलिस ने उसके मुअक्किलों को फंसाने का काम किया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में थानाभवन थाना क्षेत्र के मस्तगढ़ पुलिया पर ड्यूटी कर रहे सिपाही कृष्ण पाल व उसके साथ अमित कुमार को गोली मारकर बदमाशों ने इनकी रायफल लूट ली थी।
कृष्ण पाल की मौत हो गई थी।इस वारदात के दौरान ग्राम राझड़ निवासी अमित पंवार को गोली लगी थी। उस समय थानाध्यक्ष अरुण कुमार त्यागी ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने इस मामले में 12 लोगों को आरोपी मानते हुए चार्जशीट दायर की थी। अब इस मामले की सुनवाई अदालत में हुई, जहां अभियोजन पक्ष की ओर से गवाह पेश किये गये। इन गवाहों में इंस्पेक्टर अरुण त्यागी, सिपाही अमित कुमार, मुंशी देवीशरण सहित 13 गवाह पेश किये गये, जिन्होंने इस घटना में आरोपियों का होना बताया।
इधर बचाव पक्ष के अधिवक्ता वकार अहमद की ओर से दलील दी गई कि उनके मुअक्किलों को पुलिस ने फंसाने के लिए जेल भेजा था। निर्दोषों को पुलिस ने फंसाया है। अदालत में सुनवाई के दौरान पुलिस की लिखा पढ़ी में इतना झोल था कि पुलिस ने इस मामले में 11 आरोपियों को बेकसूर पाया। अदालत ने आरोपी मनोज, अमित, विकास, सत्यवान, सुधीर, मोनू, संजय, यशपाल के साथ दो महिलाओं ओमकारी व निशा को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया। अदालत का मानना था कि इन लोगों के खिलाफ सबूत नहीं मिल पाये हैं, जिसकी वजह से इन सभी को बरी कर दिया गया है। अदालत में अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि लूटी गई रायफलें इन आरोपियों के यहां से बरामद हुई है, लेकिन सबूत केवल मुख्य आरोपी नीटू के विरुद्ध ही मिल पाया, जिसके चलते नीटू पर आरोप तय कर दिया गया है। इसकी सजा अग्रीम तिथि पर सुनाई जायेगी।
फिसड्डी साबित हुआ अभियोजन पक्ष
इस मामले में जहां पुलिस की लिखा-पढ़ी कमजोर थी। वहीं अभियोजन पक्ष भी मजबूत पैरवी नहीं कर पाया। यही वजह थी कि मृतक सिपाही कृष्ण पाल के परिवार को इंसाफ मिलने में देरी हुई। वहीं इंसाफ का समय आया तो आरोपी बाइज्जत बरी हो गये।