अयोध्या में भाजपा की हार की 6 प्रमुख वजह? विभीषणो से लेकर स्थानीय नाराज़गी तक पड़ी भारी

हार समीक्षा :-
अयोध्या में भाजपा की हार की 6 प्रमुख वजह? विभीषणो से लेकर स्थानीय नाराज़गी तक पड़ी भारी
भारतीय जनता पार्टी की अयोध्या में हार को लेकर हर कोई स्तब्ध रह गया। इस हार के पीछे बेरोजगारी, पेपर लीक की घटनाएं, मुआवजे में गड़बड़ी, विरोधियों का झूठा दुष्प्रचार, स्थानीय सांसद से नाराजगी और पार्टी में भीतरघात जैसे कारण सामने आए हैं।
नरविजय यादव
भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश की मुख्य सीटों के साथ अयोध्या में करारी हार क्यों हुई, इसकी वजहें एक-एक कर सामने आने लगी हैं। जिस अयोध्या में वर्षों के प्रयास के बाद भव्य राम मंदिर बना, वहां भाजपा की हार किसी पहेली से कम नहीं है। मतगणना के दिन तो किसी को इसकी वजह समझ नहीं आई, लेकिन अब तस्वीर कुछ-कुछ साफ होने लगी है। पार्टी ने खुद भी हार के कारणों की समीक्षा शुरू कर दी है और भीतरघातियों को खोजा जा रहा है।
मतदान से चंद रोज पहले मैं अयोध्या में था और वहां मैंने सरयू नदी के घाट से लेकर राम मंदिर तक सब कुछ करीब से देखा व समझा। मतदान के लिए लोगों को जागरूक करने हेतु जिला प्रशासन की ओर से एक अभियान चलाया गया था, जिसके तहत जिलाधिकारी ने एक कीर्तिमान बनाया। मैं जिला मजिस्ट्रेट को सम्मानित करने के लिए ही अयोध्या गया था। जहां भी मौका मिला, मैं स्थानीय लोगों से बात करता रहा, जिसमें भाजपा के प्रति नाराजगी साफ देखने को मिली। लोगों में गुस्सा बहुत पहले से भरा हुआ था, उन्हें बस इंतजार था मतदान का। आखिर अंजाम सामने आ ही गया।
हार के प्रमुख कारण :-
अयोध्या में भाजपा की हार के छह प्रमुख कारण सामने आए हैं। वहां जिन चौड़ी-साफ सड़कों को देखकर पर्यटक खुश होते हैं, उनके लिए जिन लोगों के मकान तोड़े गए, उनका नाराज होना लाजिमी था। भले ही उन्हें मुआवजा मिला या रहने के लिए दूर कहीं स्थान, लेकिन दिल से दुखी हैं ये लोग। काफी लोग वहां ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि उन्हें पूरा मुआवजा नहीं मिला। वे बाहरी व्यापारियों के आने से भी दुखी हैं। दूसरा कारण था, वहां 10 साल से सांसद रहे लल्लू सिंह के प्रति लोगों की भारी नाराजगी। स्थानीय लोग जानते थे कि इस बार उनकी हार निश्चित थी। कार्यकर्ताओं ने शिकायतें भी कीं, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
भाजपा नेतृत्व इस मुगालते में रहा कि अयोध्या में मंदिर बना है, एयरपोर्ट बना है, सड़कें बनी हैं, इसलिए वहां तो जीत पक्की है। शहर में झंडे भी सिर्फ भाजपा के ही दिखे, अन्य किसी दल के नहीं, जबकि हकीकत विपरीत थी। तीसरी वजह रही, सांसद लल्लू सिंह का वो बयान कि 400 सीटें आने पर संविधान बदल जाएगा। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव इस कथन को ले उड़े और संविधान बदलने की बात को चुनावी मुद्दा बना दिया। आखिरकार, लल्लू सिंह समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद से 54 हजार वोटों से हार गए।
चौथा कारण रहा राहुल गांधी का प्रचार कि उनकी पार्टी सभी महिलाओं का सालाना 1 लाख रुपए और हर बेरोजगार युवा को 1 लाख रुपए वेतन व नौकरी देगी। झूठ के पैर नहीं होते, लेकिन इस चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने जमकर झूठ और भ्रम फैलाया, जिसे ग्रामीण इलाकों के वोटरों ने सच मान लिया। उन्होंने मुस्लिमों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ी जातियों में आरक्षण समाप्त करने का डर जोर-शोर से फैलाया, जिसका भाजपा समय रहते काट नहीं कर पाई।
पांचवां कारण रहा भाजपा के नेताओं में आपसी अनबन और भीतरघात। जमीनी स्तर पर भाजपा का प्रबंधन कमजोर रहा। पार्टी को होश ही नहीं था कि विरोधी क्या-क्या चालें चल रहे हैं। एक छठा और प्रमुख कारण था प्रदेश में बेरोजगारी और प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने की बारंबार होने वाली घटनाएं। पेपर लीक यूपी में एक बड़ी समस्या बन चुकी है, जिससे वहां का युवा वर्ग बहुत अधिक प्रभावित है। इस दुखती नब्ज को विपक्षी दलों ने समझा और कैश कर लिया।
इन सब वजहों से अयोध्या ही नहीं, पूरे उत्तर प्रदेश में अशिक्षित और असंतुष्ट वोटर झांसे में आते गए और भाजपा के खिलाफ जो भी प्रत्याशी उन्हें दिखाई दिया, उसे वोट दे आए। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डवलपिंग सोसाइटीज की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि इस बार भाजपा को शहरी और कांग्रेस को ग्रामीण इलाकों में अधिक वोट मिले हैं।
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लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं।
ईमेल: narvijayindia@gmail.com