UDO प्रेसिडेंट ने मशहूर शायर तहसीन अली का किया सम्मान.. उर्दू भाषा के विकास पर दिया बल

नई दिल्ली।उर्दू भाषा और साहित्य के संवर्धन को समर्पित उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (UDO) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सैयद अहमद ने शनिवार को दिल्ली स्थित अपने आवास पर मशहूर उर्दू शायर व मुज़फ्फरनगर UP के साहित्यकार तहसीन अली असारवी का गर्मजोशी से स्वागत किया। मुलाक़ात के दौरान राजधानी के प्रसिद्ध हकीम अताउर्रहमान अजमली भी मौजूद रहे।

डॉ. सैयद अहमद ने दोनों मेहमानों का पारंपरिक अंदाज़ में फूलों के गुलदस्ते और दस्तार बांधकर इस्तकबाल किया। बताया गया कि यह मुलाक़ात उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार, उर्दू साहित्य की नई पीढ़ी को प्रोत्साहित करने तथा आने वाले दिनों में होने वाले राष्ट्रीय उर्दू सम्मेलन की तैयारियों के मद्देनज़र हुई।
इस मौके पर डॉ. सैयद अहमद ने कहा,
“तहसीन अली असारवी साहब जैसे जुनूनी शायर और साहित्यकार जब हमारे साथ कदम से कदम मिलाते हैं, तो उर्दू की सेवा को नई ताक़त मिलती है।”
वहीं तहसीन अली असारवी ने संगठन के उर्दू शिक्षा व साहित्य को मजबूत करने के प्रयासों की सराहना की और हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।
उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन लंबे समय से देशभर में उर्दू माध्यम स्कूलों को सशक्त बनाने, मुशायरों के आयोजन और युवा पीढ़ी को उर्दू सिखाने की दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। संगठन का मानना है कि यह मुलाक़ात उर्दू जगत में एक सकारात्मक और प्रेरणादायक कदम के रूप में देखी जाएगी।
उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन: उर्दू को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की अग्रणी पहल
उर्दू भाषा की हिफाज़त, उसकी तरक़्क़ी और नौजवानों तक उसकी विरासत को पहुँचाने के मिशन के साथ काम करने वाला उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (UDO) आज देश भर में उर्दू प्रेमियों के लिए उम्मीद की एक मजबूत किरण बन चुका है। संगठन पिछले कई वर्षों से न सिर्फ उर्दू लिटरेचर को संवारने में लगा है, बल्कि भाषा को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए निरंतर अभियान भी चला रहा है।
उर्दू माध्यम स्कूलों को फिर से मजबूती देने का प्रयास
देश में घटते उर्दू माध्यम स्कूलों और उनमें संसाधनों की कमी को देखते हुए UDO ने एक व्यापक योजना तैयार की है। यह संगठन कई राज्यों में ऐसे स्कूलों को शिक्षण सामग्री, प्रशिक्षित शिक्षक और डिजिटल सुविधाएँ उपलब्ध कराने पर काम कर रहा है।
संगठन का मानना है कि उर्दू शिक्षा की मज़बूती ही उर्दू के भविष्य की असली नींव है।
मुशायरों और अदबी कार्यक्रमों से बना संजीदा माहौल
UDO की सबसे महत्वपूर्ण पहचान उसके साहित्यिक कार्यक्रम हैं। संगठन नियमित अंतराल पर छोटे-बड़े शहरों में मुशायरों, नशिस्तों और लेखकीय बैठकों का आयोजन करता है, जिनमें मुल्क के बड़े शायरों के साथ-साथ नई पीढ़ी के उभरते कलमकारों को भी भरपूर मौका दिया जाता है।
इन कार्यक्रमों ने उर्दू से दूर हो रहे युवाओं को दोबारा इस भाषा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है।
नौजवानों के लिए आधुनिक उर्दू लर्निंग सिस्टम
डिजिटल दौर की ज़रूरत को देखते हुए संगठन ने ऑनलाइन उर्दू क्लासेस, मोबाइल एप्लिकेशन और ई-लाइब्रेरी जैसी पहल शुरू की हैं। इन प्रयासों से देश और विदेश में बसे उर्दू सीखने वालों के लिए सीखना बेहद आसान हुआ है। यह कदम उन प्रवासी भारतीयों के लिए भी मददगार साबित हुआ है, जो अपनी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं।
राष्ट्रीय उर्दू सम्मेलन—भविष्य की रूपरेखा पर मंथन
UDO हर साल राष्ट्रीय उर्दू सम्मेलन का आयोजन करता है, जिसमें उर्दू साहित्य, पत्रकारिता, शिक्षा और प्रकाशन से जुड़े विशेषज्ञ शामिल होते हैं। सम्मेलन में उर्दू की चुनौतियों, सरकारी नीतियों और नई पीढ़ी में भाषा की स्वीकार्यता बढ़ाने पर खुलकर चर्चा होती है।
आने वाला सम्मेलन संगठन के अनुसार उर्दू के पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है।
नेतृत्व की भूमिका और समाज का भरोसा
UDO का नेतृत्व संभाल रहे डॉ. सैयद अहमद देश भर में उर्दू के सक्रिय पैरोकारों में गिने जाते हैं। उनके नेतृत्व में संगठन ने उर्दू के नए आयामों को छूने की कोशिश की है।
हाल ही में उन्होंने मशहूर उर्दू शायर तहसीन अली असारवी से मुलाक़ात कर सहयोग की नई कड़ी जोड़ी, जिसे उर्दू जगत में एक सकारात्मक कदम के रूप में सराहा जा रहा है।
उर्दू के लिए एक तहरीक
उर्दू डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन सिर्फ एक संस्थान नहीं, बल्कि एक तहरीक की तरह काम कर रहा है—
उर्दू को घर-घर पहुँचाने की,
उसे आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की,
और नई पीढ़ी को उसकी तहज़ीबी विरासत से रूबरू कराने की।
देशभर में उर्दू प्रेमियों का कहना है कि अगर इसी रफ्तार से प्रयास जारी रहे, तो उर्दू को वो मुकाम फिर हासिल होगा, जहाँ से कभी वह हिंदुस्तानी ज़बान की पहचान मानी जाती थी।




