सबसे पहले हम अपने मन के अंदर शांति स्थापित करें: मो क्याव आंग

सुभारती विश्वविद्यालय में सम्पन्न हुआ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के तथागत शोधपीठ, सम्राट अशोक सुभारती स्कूल आफ बुद्धिस्ट स्टडीज एवं अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘बौद्ध धर्म शांति और सद्भाव का धर्म है’ के विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हाइब्रिड मोड में हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ सभी अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन एवं भंते डॉ. चम्पालाल मंडरेले ने मंगलसूत पाठ के साथ किया। अतिथियों का स्वागत पादप भेंट कर किया गया एवं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ जीके थापलियाल ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे म्यांमार के राजदूत मो क्याव आंग ने अपने उद्घाटन अभिभाषण में कहा कि विश्व में शांति और सद्भाव के लिए आवश्यक है कि सबसे पहले हम अपने मन के अंदर शांति स्थापित करें। उन्होंने कहा कि तथागत बुद्ध ने संसार को बताया कि शांति भीतर से आती है और लोग केवल तभी शांति और सद्भाव के साथ जी सकते हैं, जब अपने मन से ईर्ष्या, द्वेष व क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाओं को त्याग दें प्रेम, मैत्री और करुणा जैसी सकारात्मक भावनाएँ पैदा करें। सुभारती समूह के संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण ने कहा कि मैत्री, करुणा, मुदिता और उपेक्षा इन चार प्रकार की भावनाओं से भी चित्त शुद्ध होता है। ये सभी आवश्यक जीवन मूल्य हैं किन्तु इनके साथ मनुष्य में शक्ति और सामर्थ्य होना अनिवार्य है तभी इन जीवन मूल्यों की रक्षा की जा सकती है। सुभारती विश्वविद्यालय की कुलाधिपति स्तुति नारायण कक्कड़ ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि तथागत बुद्ध बड़े व्यवहारिक सुधारक थे। उन्होंने अपने समय की वास्तविकताओं को खुली आँखों से देखा। उन्होंने भगवान बुद्ध के शांति और सद्भाव के संदेश को हमेशा के लिए प्रासंगिक बताते हुए कहा है कि इन संदेशों ने विभिन्न देशों को एक सूत्र में पिरोया है। उन्होंने कहा कि ढाई सहस्राब्दी पहले दिए गए महात्मा बुद्ध के संदेश आज भी प्रासंगिक हैं और यह विभिन्न देशों के बीच एक कड़ी के रूपमें विद्यमान हैं।
इस तरह रहा सत्र का आयोजन
द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. बिमलेंद्र कुमार, विशिष्ट वक्ता प्रो. शशिबाला एवं डॉ सोनिया मेहता रहीं तथा इस सत्र का संचालन डॉ. के. टी. एस. सराओ ने किया। तृतीय सत्र का संचालन प्रो. वैभव गोयल भारतीय ने किया तथा एवं इस सत्र के वक्ता रहे डॉ. अरविंद सिंह, डॉ. मनीष मेश्राम, डॉ. अरुण कुमार यादव रहे। इस सत्र में विभिन्न महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों से आये प्रतिभागियों ने शोधपत्र वचन किया। चौथा सत्र आॅनलाइन रहा। इस सत्र अलग-अलग देशों से अनेक विद्वानों ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये। आॅनलाइन की अध्यक्षता परमादरणीय डॉ. पोमचाई पलावधम्मो प्यापोंग थाईलैंड ने की।
इनका रहा योगदान
कार्यक्रम आयोजन अध्यक्ष भंते डॉ. चम्पालाल मंडरेले रहे तथा संयोजन पल्लवी त्यागी ने किया। मंच संचालन डॉ. मनीषा लूथरा एवं पल्लवी त्यागी ने किया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. अभय शंकरगौड़ा, प्रो. वैभव गोयल भारतीय, प्रो. नीरज करण सिंह, प्रो. मनोज त्रिपाठी प्रो. महावीर सिंह, प्रो. भावना ग्रोवर सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राचार्यों व आचार्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही एवं विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी की।