उन योजनाओं को लाया जाए जिससे निचले तबके को फायदा हो: प्रो. एनके तनेजा

चौधरी चरण सिंह विवि में हुई आजादी का अमृत महोत्सव मंथन पर सेमिनार श्रृंखला
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव मंथन सेमिनार श्रृंखला के अंतर्गत आजादी के 75 वर्ष और आगामी 25 वर्ष : यथार्थ और स्वप्न संदर्भ आर्थिक पक्ष विषय पर मंथन सेमिनार आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, आचार्यों, शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा अनेक महाविद्यालय के शिक्षकों ने भी प्रतिभागिता की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. नरेंद्र कुमार तनेजा ने की। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया का मतलब है कि अपने स्वदेशी उद्योगों में निवेश करके अपने देश की अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाना। भारतीय रणनीतिकारों का लगातार प्रयास है कि ऐसी योजनाओं को लाया जाय, जो निचले तबके को लाभ पहुँचाए। पिछले कुछ वर्षों में शासन का प्रयास है कि प्रत्येक क्षेत्र में विकास कार्य सुचारू रूप से होते रहें। बड़ी संख्या में शोध के नए-नए क्षेत्रों में कार्य किया गया। बैंकों का नीजिकरण और अन्य कार्य अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए किए गए। साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी इसी क्रम में एक महत्वपूर्ण कार्य है। विशिष्ट वक्ता प्रो. नागेश कुमार ने कहा कि 1700 ईसा पूर्व भारत दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे समृद्ध अर्थव्यवस्था थी और स्वतेत्रता के समय भारत दुनिया की सबसे कमजोर अर्थव्यवस्था में तबदील हो गया था। विश्व में केवल 3 प्रतिशत हिस्ससेदारी ही अर्थव्यवस्थ में रह गई थी। विशिष्ट वक्ता प्रो. डीके नौरियाल ने कहा कि एक हजार वर्ष पूर्व चीन और भारत विश्व की लगभग 50 प्रतिशत जीडीपी में सहभागी थे। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम की यह सातवीं श्रृंखला है। इससे भारत के आर्थिक क्षेत्र के 100 वर्षों का लेखा जोखा ज्ञात होगा। कार्यक्रम में प्रो. अतवीर सिंह ने प्रो. नागेश कुमार का परिचय कराया और उनकी अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों का जिक्र किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रो. जयमाला, प्रो. एमके गुप्ता, प्रो. आलोक कुमार, प्रो. अशोक कुमार चौबे, प्रो. एवी कौर, प्रो. बिंदु शर्मा, प्रो. जेएस भारद्वाज, प्रो. पवन कुमार शर्मा, प्रो. विजय जायसवाल, डॉ. अंजू, डॉ. प्रवीण कटारिया, डॉ. विद्या सागर सिंह, डॉ. यज्ञेश कुमार, निकुंज कुमार एवं विश्वविद्यालय अधिकारी, शिक्षक एवं संबद्ध महाविद्यालय के प्राचार्य, शिक्षक, छात्र-छात्राओं ने प्रतिभागिता की।