मेरठ में चार पुराने विधायकों पर भाजपा ने खेला दांव

–वैश्य, ब्राह्मण, जाट, गुर्जर, त्यागी, अनुसूचित जाति एवं ठाकुर वर्ग को टिकट देकर सोशल इंजीनियरिंग साधने की कोशिश
लियाकत मंसूरी
मेरठ। काफी इंतजार के बाद शनिवार को भाजपा के प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी गई। इस पहली सूची में पार्टी ने अपने विधायकों पर ही भरोसा जताया। अधिकांश सीटों पर उनको रिपीट किया गया है। मेरठ दक्षिण पर विधायक सोमेंद्र तोमर, सरधना से दो बार के विधायक संगीत सोम, हस्तिनापुर से सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री दिनेश खटीक, किठौर से सत्यवीर त्यागी पर फिर से पार्टी ने भरोसा दिखाया है। कैंट से सत्यप्रकाश अग्रवाल की उम्र 80 साल होने के कारण उनके स्थान पर पूर्व विधायक अमित अग्रवाल को टिकट दिया गया है, जबकि शहर से कमलदत्त शर्मा और सिवालखास सीट पर जितेंद्र सतवाई के स्थान मनिंदर पाल को उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने जिले में वैश्य, ब्राह्मण, जाट, गुर्जर, त्यागी, अनुसूचित जाति एवं ठाकुर वर्ग को टिकट देकर सोशल इंजीनियरिंग साधने की कोशिश की है।
बता दें कि पहले चरण में मेरठ सहित पश्चिमी उप्र के 11 जिलों की 58 सीटों पर चुनाव होने हैं। मतदान 10 फरवरी को होगा। भाजपा की इस पहली सूची का बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। पार्टी ने मेरठ कैंट विधानसभा से वर्तमान विधायक सत्यप्रकाश की जगह इस बार अमित अग्रवाल को मैदान में उतारा है। अमित अग्रवाल पहले भी कैंट विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके हैं। पार्टी ने शहर सीट से कमल दत शर्मा पर दांव लगाया है। कमल दत्त शर्मा पुराने कार्यकर्ता हैं। वे शहर में अच्छी पकड़ भी रखते हैं। सिवालखास से निवर्तमान विधायक जितेंद्र सतवाई का टिकट काटकर मनिंदर पाल पर भरोसा जताया है। टिकटों की घोषणा के बाद प्रत्याशियों के समर्थकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। ढोल-नगाड़ों के साथ कार्यकर्ताओं ने खुशी मनायी। गौरतलब है कि कैंट विधानसभा सीट पर पार्टी में सर्वाधिक 20 के करीब दावेदार थे। लगातार चार बार से विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल की आयु 80 वर्ष से अधिक होने के कारण ये तय माना जा रहा था कि यहां कोई अन्य प्रत्याशी होगा। इस सीट से दो बार विधायक रहे अमित अग्रवाल ने टिकट की रेस में सबको पछाड़ते हुए बाजी मारी है। शहर सीट पर सपा के रफीक अंसारी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को 2017 में चुनाव हराया था। मतदाताओं के समीकरण के चलते भाजपा के लिए ये सबसे मुश्किल सीट है। इस सीट पर कम ही दावेदार थे। भाजपा ने यहां से कमल दत्त शर्मा को प्रत्याशी बनाया है।
गुरु के स्थान पर अब चेला आजमाएगा भाग्य
2017 के विधानसभा चुनाव में सपा से रफीक अंसारी के सामने पूर्व विधायक डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी सामने थे। लेकिन शहर सीट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब अगले माह 10 फरवरी को होने वाले मतदान में उनका चेला सपा के रफीक अंसारी के सामने होगा। भाजपा द्वारा शहर सीट से प्रत्याशी बनाए गये कमल दत्त शर्मा तेज तर्रार नेता माने जाते हैं। कई व्यापारिक संगठनों के साथ वह भाजपा के पुराने नेता है। पार्टी में उनकी छवि काफी अच्छी है। कयास एक माह पहले ही लगाये जा रहे थे, उनकस पूरा फिडबैक लिया जा रहा था, जिस पर उनकी पकड़ को देखते हुए भाजपा ने टिकट दिया है। अब देखने वाली बात यह है कि अपने गुरुकी हार का बदला वह कैसे चुकाएंगे।
अमित की सीट अब उन्हीं को वापस
कैंट सीट से विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल ने पूर्व विधायक अमित अग्रवाल से सीट ली थी। उम्र का तकाजा होने के कारण उन्होंने यह सीट अमित अग्रवाल को वापस कर दी है। पूर्व विधायक अमित अग्रवाल की शहर मेंं अच्छी खासी पकड़ है। अब देखना यह है वह इस बार कैसे भुना पाते है।
पुराना अनुभव काम आएगा
सिवालखास सीट पर इस बार जितेन्द्र सतवाई का टिकट काटकर जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन मनिन्द्रर पाल सिंह को दिया गया है। यह भाजपा को कमजोर दिखाई दे रही थी। जिसके कारण इसमें बदलाव किया गया। मनिन्द्रर पाल सिंह बसपा से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। बाद में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली। उसके बाद वह जिला सहकारी चेयरमैन के पद पर विराजमान है। उनकी राजनीतिक पकड़ काफी मजबूत है। जिसके कारण पार्टी ने उन पर दांव खेला है।
कटते-कटते बचा टिकट
मेरठ दक्षिण से इस बार मेरठ दक्षिण से सोमेन्द्र तोमर का टिकट कटने के आसार दिखाई दे रहे थे, लेकिन भाजपा में पार्टी छोड़कर अन्य दलों में मची भागदौड़ से बचने के लिये पार्टी ने उन पर फिर से दांव खेला है। हस्तिनापुर सुरक्षित सीट व सरधना सीट पर पार्टी में काफी मंथन करना पड़ा, पहले दोनों ही सीटों के टिकट काटने की कवायद चल रही थी। अंत में सरधना से संगीत सोम व हस्तिनापुर से दिनेश खटीक के टिकट पर मोहर लगी।