लाइफस्टाइल

शिशु के लिए टीके का काम करता है मां का पहला गाढ़ा-पीला दूध: डा. पूनम

जनपद में 30 जून तक चलेगा ‘पानी नहीं केवल स्तनपान’ अभियान
छह माह तक मां के दूध से मिलता है संपूर्ण पोषण, पानी की भी जरूरत नहीं

मेरठ। प्रदेश सरकार के आदेश पर जनपद में पोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत विविध गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी संकेतकों में सुधार के लिए विभिन्न विभागों में समन्वय करके समेकित बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग(आईसीडीएस) की ओर से यह गतिविधियां संचालित की जा रही हैं जिसमें से एक आवश्यक संकेतक छह माह तक के शिशुओं को केवल स्तनपान सुनिश्चित कराना है। इसी परिपेक्ष में जनपद केआंगनबाडी केन्द्रोंपर नवजात को स्तनपान कराया जा रहा है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी विनीत कुमार सिंह ने बताया- मां का दूध शिशु के लिए अमृत समान होता है तथा शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए आवश्यक है कि जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु को स्तनपान प्रारम्भ करा दिया जाए। मां का पहला गाढ़ा और पीला दूध कुदरती टीके का काम करते हुए तमाम बीमारियों से शिशु की रक्षा करता है। छह माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराना ही पर्याप्त होता, अलग से पानी देने की जरूरत नहीं होती। मां के दूध से ही शिशु अपने लिए पर्याप्त पानी भी ग्रहण कर लेता है। इसके साथ ही उसका पोषण भी पूरा हो जाता है।
उन्होंने बताया-गर्मी में शिशुओं में केवल स्तनपान संबंधी व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए 10 मई से 30 जून 2022 तक समस्त कन्वर्जेंस विभागों -बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, पंचायती राज विभाग, बेसिक शिक्षा एवं खाद्य एवं रसद विभाग, जनप्रतिनिधियों तथा डेवलपमेंट पार्टनर्स के सहयोग से पानी नहीं केवल स्तनपान (नो वाटर ओनली ब्रेस्ट फीडिंग) अभियान आयोजित किया जा रहा है। जिससे केवल स्तनपान की दर में वृद्धि होने के अपेक्षित परिणाम प्राप्त होंगे तथा शिशु मृत्यु दर में भी सुधार लाया जा सकेगा।
जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. पूनम सिरोही का कहना है कि मां का पहला गाढ़ा और पीला दूध शिशु को अवश्य पिलाएं। कुछ लोग नवजात शिशु को शहद या फिर घुट्टी देने का प्रयास करते हैं, लेकिन वह सब गलत है। शिशु के लिए मां का दूध अमृत समान है और छह माह तक शिशु को मां के दूध के अलावा कुछ भी देने की जरूरत नहीं होती। छह माह के बाद ही शिशु को मां के दूध के साथ अर्द्ध ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए।

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