राज्य

नोनिहालो को मानसिक विकलांग बना रहा मोबाइल, कोरोना काल मे बढ़ी बीमारियां

मुजफ्फरनगर।लाॅकडाउन में मोबाइल फोन के ज्यादा प्रयोग ने नौनिहालों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। नेत्र रोग विशेषज्ञों के यहां 50 प्रतिशत से मरीजों की संख्या 15 साल से छोटे बच्चों की है। साफ है कि स्कूल बंद होने की वजह से मोबाइल फोन का प्रयोग बढ़ा, चाहे आनलाइन क्लास के नाम पर या फिर बच्चों ने टाइम पास करने के लिए मोबाइल फोन का प्रयोग किया। वैसे भी बच्चों के साथ-साथ बड़ी उम्र के लोगों को भी मोबाइल ने नुकसान पहुंचाया है। यदि आप भी मोबाइल फोन का ज्यादा प्रयोग करते हैं, तो सतर्क हो जाईए। इसके प्रयोग से आपकी परेशानिया बढ़ सकती है। जान ले कि यह आपकी सेहत के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। इतना ही नहीं यह आपको कई बड़ी बीमारियों की चपेट में ला सकता है। खासकर ऐसे लोगों के लिए चेतावनी भरा अलर्ट जारी किया गया है, जो कि रात को मोबाइल फोन आन करके इसे अपने तकिये के नीच रखकर सोते हैं। मोबाइल से रेडिएशन बढता है तो इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी उत्पन्न हो रही है। बहुत से लोग दिनभर बाई जेब में मोबाइल रखकर घूमते हैं, वे भी सावधन हो जाए। इसकी कनेक्टिविटी सीधे दिल से जुड़ती है, जिसका नतीजा यह होता है कि ऐसे लोगों को समय से पहले हार्टअटैक हो सकता है। यहां तक कि मोबाइल फोन से निकलने वाली किरणों से आपका डीएनए तक भी डेमेज होने की संभावना है। रेडिएशन का प्रभाव मस्तिष्क पर नकारात्मक पड़ता है, जिससे तनाव व डिप्रेशन भी हो सकता है। इसके नुकसान व फायदों पर निगाह दौड़ाई जाए तो दोनों ही बराबर है। यह रोजमर्रा की जिंदगी को आसान तो बना रहा है, लेकिन स्वास्थ्य को गर्त में पहुंचाने में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
मोबाइल फोन से निकलने वाले विकिरण आपकी सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंचाने में सक्षम है। इतना ही नहीं यह आपको कई तरह की बीमारियों को शि‍कार बना सकता है। जानिए इसके अधि‍क प्रयोग से होती है कौन से नुकसान
मोबाइल फोन के रेडिएशन से उत्पन्न खतरों में सबसे बड़ा खतरा है कैंसर। अगर आप अपने मोबाइल फोन को पूरा दिन अपनी जेब में या शरीर से चिकाकर रखते हैं तो संबंधि‍त स्थान पर ट्यूमर होने की आशंका बढ़ जाती है और आप आसानी से कैंसर के शि‍कार हो सकते हैं।
रात के समय मोबाइल फोन को शरीर से सटाकर या सीने पर रखकर सोने की आदत है तो यह आदत आपके लिए बेहद खतरनाक ही नहीं जानलेवा भी हो सकती है। इसके अलावा इसके रेडिएशन का प्रभाव आपके मस्तिष्क पर भी नकारात्मक पड़ता है।

ज्यादातर पुरुषों में आदत होती है कि वे अपना मोबाइल फोन बेल्ट के पास बने पॉकेट में रखते हैं। पूरा दिन मोबाइल फोन को इस तरह से रखना आपके लिए बेहद हानिकारक है। मोबाइल फोन के इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों का प्रभाव आपकी हड्डियों पर भी पड़ता है और उनमें मौजूद मि‍नरल लिक्विड समाप्त हो सकता है।

पुरुषों में कमर के पास मोबाइल फोन को रखना और भी खतरनाक हो सकता है। दरअसल मोबाइल के रेडिएशन का नकारात्मक प्रभाव शुक्राणुओं में कमी के रूप में भी देखा जा सकता है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के एक शोध के अनुसार मोबाइल फोन का अत्यधि‍क इस्तेमाल मस्तिष्क के कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है। इसके विकिरणों के प्रभाव के चलते ब्रेन में ट्यूमर हो सकता है।

मोबाइल फोन से निकलने वाले इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों से आपका डीएनए तक क्षतिग्रस्त हो सकता है। इसके अलावा इसका अधि‍क इस्तेमाल आपको मानसिक रोगी भी बना सकता है।

तनाव और डि‍प्रेशन के कारणों में एक प्रमुख कारण मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन के खतरनाक प्रभाव भी हैं। यह आपके दिमाग की कोशि‍काओं को संकुचित करती हैं, जिससे ब्रेन में ऑक्सीजन की सही मात्रा नहीं पहुंच पाती।

गर्भवती महलाओं द्वारा मोबाइल फोन का अधि‍क इस्तेमाल, गर्भस्थ शि‍शु को प्रभावित कर सकता है। इससे शि‍शु के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ सकता है जिससे उसका विकास प्रभावित होता है।

मोबाइल फोन के हानिकारक विकिरण न केवल कैंसर जैसी बीमारी को जन्म देते हैं, बल्कि यह डाइबिटीज और हृदय रोगों की संभावनाओं को भी कई गुना बढ़ा देती हैं।

मोबाइल फोन का जरूरी और सीमि‍त इस्तेमाल ही इलेक्ट्रोमेगनेटि‍क विकिरणों के दुष्प्रभाव को कम कर सकता है। इसके अलावा इसे अपने शरीर से सटाकर न रखते हुए, पर्स में या फिर अन्य स्थान पर रखना ज्यादा सही होगा।

प्रिया गुप्ता

लेखिका प्रिया गुप्ता श्रीराम कॉलिज मुजफ्फरनगर में पत्रकारिता की स्टूडेंट है।

■आपको आर्टिकल कैसा लगा, नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे। कमेंट पब्लिश होते है।

TRUE STORY

TRUE STORY is a Newspaper, Website and web news channal brings the Latest News & Breaking News Headlines from India & around the World. Read Latest News Today on Sports, Business, Health & Fitness, Bollywood & Entertainment, Blogs & Opinions from leading columnists...

Related Articles

Back to top button