अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव भारत की पुरातन संस्कृति की अटूट बेला की भव्यता व दिव्यता का प्रतीक

(अवतोष शर्मा)
वर्ष 2022 के अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कुरुक्षेत्र मे सभी भारतीयों को एक बार अवश्य आध्यात्मिक भव्यता देखने जाना चाहिए। यहां रात को दिव्य दीपोत्सव व इलेक्ट्रिक लाइटिंग से पूरे ब्रह्मसरोवर को दुल्हन की तरह ऐसे सजाया जाता है, कि इसकी रात्रि की भव्यता को देखते हुए शायद आपके कदम थक जाए पर मन नहीं थकेगा।
जिस महोत्सव में मुख्यमंत्री माननीय राष्ट्रपति को आमंत्रित कर रहे हैं, जिसमें मुरारी बापू ब्रह्मसरोवर पर अपनी राम कथा कर रहे हैं, और देश विदेश से बड़े-बड़े विद्वान एवं शोधार्थी, नृत्यकार, आचार्य,संत-महात्मा, पंडित- पुरोहित, साहित्यकार कलाकार आकर मेले की शोभा बढ़ा रहे हैं उस मेले की महत्वपूर्णता कितनी होगी,इसका अंदाजा आप स्वयं ही लगा सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कुरुक्षेत्र शहर में ब्रह्म सरोवर के आसपास 300 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्टॉल लगाए जाते हैं।
सीएम मनोहर लाल के निमंत्रण पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू 29 नवम्बर को ही कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय गीता संगोष्ठी का भी शुभारम्भ करेंगी। ‘श्रीमद्भगवदगीता की प्रेरणा से विश्व शान्ति और सदभाव’ विषयक इस संगोष्ठी में देश-विदेश के गीता मर्मज्ञ, विद्वान एवं शोधार्थी अपने शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे। निश्चय ही इस संगोष्ठी से गीता के संदेश की महत्ता और कृष्ण भगवान का शांति का संदेश विश्व में फैलेगा। महोत्सव के मुख्य कार्यक्रम 29 नवंबर से 4 दिसंबर तक होंगे। 4 दिसंबर को दीपदान के साथ मुख्य कार्यक्रमों का समापन होगा।
देशभर से आए मूर्तिकारों द्वारा महाभारत और गीता विषय पर आधारित 21 प्रस्तर मूर्तियों का निर्माण किया गया है। इस महोत्सव के दौरान देश-विदेश से आए शिल्पकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का सुनहरा अवसर मिलेगा।
मेले के मुख्य आकर्षण क्या क्या रहेंगे, एक नज़र:
इस मेले में पूरा ब्रह्मसरोवर स्थल दुल्हन की तरह सजाया जाता है, विशेष लाइटिंग और दीपो से पूरा ब्रह्मसरोवर स्थल प्रकाश से जगमगा उठता है, लोक नृत्य, लोक गीत, रंग बिरंगी चित्रकारी और झांकियां किसी भी मनुष्य की आत्मा को पुलकित कर सकती हैं, ऐसा प्रतीत होता है मानो दिवाली का महा उत्सव हो रहा हो, एक बार तो आंखों को यकीन ही नहीं होता कि हम भारत में ही इस महोत्सव को देख रहे हैं, कुछ पल के लिए ऐसा लगता है कि हम दूसरी ही दुनिया में आ गए हैं। कृष्ण भगवान की भिन्न -भिन्न लीलाओं का का रंगारंग कार्यक्रम, कृष्ण भगवान की झांकियां, हृदय को स्पर्श करने वाली चित्रकारी इस मेले में देखने को मिल जाएगी, जो विश्व को शांति और धार्मिक, आपसी भाईचारा, अहिंसा का संदेश देती प्रतीत होंगी।
देश के कई राज्यों की प्रदर्शनियां इस मेले में देखने को मिलेगी, कई राज्यों का विशेष सामान,कश्मीरी और पहाड़ी खाद्य पदार्थ, औषधि ,वेशभूषा इस पावन अवसर पर आपको देखने को मिलेंगे,
स्कूलों के बच्चों के लिए विशेष:
बच्चों के ज्ञानवर्धक के लिए यहां पर कुरुक्षेत्र पैनोरमा और विज्ञान केंद्र ब्रह्मसरोवर से कुछ दूरी पर है,राजा हर्ष का टीला लगभग एक किलोमीटर लंबा है, कुरुक्षेत्र में देखने वाली जगह शेख चिल्ली का मकबरा जहां दूर तक हरी घास की चादर फैली है,साथ ही आसपास अन्य ऐतिहासिक धरोहर देखने को मिलती है, जैसे-ज्योतिसर , टूरिस्ट प्लेस चिल्ला चिल्ला वाइल्ड लाइफ सें चुरीलों ,कुरुक्षेत्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल श्रीकृष्ण संग्रहालय , कुरुक्षेत्र का आकर्षण स्थल भद्रकाली मंदिर,शेख चिल्ली का मकबरा सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है,इस प्रकार बच्चे भारत की धरोहर आध्यात्मिक पुरातन परंपरागत,संस्कृति से रूबरू हो सकते हैं।आप अपने बहुमूल्य समय से कुछ समय निकालकर, कुरुक्षेत्र के इस भव्य मेले को देखने अपने परिवार व परिचित के साथ अवश्य जाएं।
अवतोष शर्मा। (स्वतंत्र लेखक)