हजरत ख्वाजा बहाउद्दीन बाबा फरीदी क़े 551वें उर्स मुबारक का हुआ आगाज़

UP में अमरोहा के रजबपुर में हजरत ख्वाजा बहाउद्दीन बाबा फरीदी रहमतुल्ला अलैह के 551वें उर्स का रौशन आगाज़ हुआ। परचम कुशाई की रस्म ने जैसे पूरे माहौल को रूहानी रंगों में रंग दिया।
ख्वाजा सलीम फरीदी, ख्वाजा इसरार अख्तर फरीदी और वरिष्ठ नेता हरि सिंह मौर्य ने परचम कुशाई की रस्म अदा की, जिसके बाद दरगाह पर चादरपोशी हुई।
देशभर से आए अकीदतमंदों ने बाबा फरीदी की दरगाह पर हाज़िरी दी—दिल्ली, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद से लेकर अमरोहा तक की सरज़मीं से लोग पहुंचे।
मगरिब के बाद कुल शरीफ और महफिल-ए-समा ने माहौल को रूहानी बना दिया। और रात 10 बजे, महफिल-ए-मिलाद शरीफ और जलसा-ए-सीरत-उन-नबी ने श्रद्धा को चरम पर पहुँचा दिया।
दरगाह परिसर में श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। परचम कुशाई की रस्म ख्वाजा सलीम फरीदी, ख्वाजा इसरार अख्तर फरीदी और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हरि सिंह मौर्य ने अदा की।
– इसके बाद दरगाह पर चादरपोशी की गई, जिसमें ख्वाजा मुनीर फरीदी, ख्वाजा अनवर फरीदी, ख्वाजा हसन फरीदी, एहसान फरीदी समेत कई सज्जादा नशीन और मेहमान शामिल हुए। दिल्ली, मुरादाबाद, अमरोहा, रामपुर, बरेली जैसे शहरों से आए ज़ायरीनों ने दरगाह पर हाज़िरी दी। यहाँ सुरेंद्र सिंह, मोहम्मद तसव्वर, जुनैद अली, गुलजार साबरी, सलीम साबरी, अक्षर फरीदी, अजहर फरीदी, समीरूद्दीन आशु जैसे नामचीन अकीदतमंदों ने भी भाग लिया।
🎶 महफिलों का सिलसिला...
मगरिब के बाद कुल शरीफ और महफिल-ए-समा का आयोजन हुआ। ईशा की नमाज़ के बाद रात्रि 10 बजे महफिल-ए-मिलाद शरीफ और जलसा-ए-सीरत-उन-नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुनाकिद हुआ।
यह उर्स सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि इंसानियत, मोहब्बत और तहज़ीब का पैगाम है। बाबा फरीदी की दरगाह आज भी अमन और भाईचारे की मिसाल बनी हुई है।