लिव इन रिलेशनशिप : एक सामाजिक अपराध, समाज में इसका कोई स्थान नहीं !
मौ.अनस / उज़मा कलाम / अरुहा नाज
भारत प्राचीनता आधुनिकता को एक साथ समेटे हुये सामाजिक सम्बन्ध और मान्यताओ से जुडा हुआ देश है, हमारा इतिहास काफी गौरवशाली है, और इसे कुछ किताबो के पन्नो में समेटकर नही लिखा जा सकता है I हम समाज और मान्यताओ से जुड़े हुए लोग है, और भारतीय समाज लिखित मान्यताओ के साथ साथ लोककथा किद्वंती को अपने अंदर समाहित करके पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ रहा है I
भारत के सभी प्रमुख समुदायो में महिलाओं को सम्मान और इज्जत की दृष्टि से देखा जाता है, और महिलाओं को परिवार की इज्जत से जोड़कर देखा जाता है, अंग्रेजों के आवागमन के बाद भारतीय समाज का एक वर्ग अंग्रेजों की संस्कृति से प्रभावित होकर उन्हीं की तरह क्रियाकलाप करने का प्रयास करने लगा, जिसके बाद भारत के अंदर पूरब और पश्चिम सभ्यता में एक होड़ शुरू हो गई, और दोनों संस्कृति के लोग खुद को प्रोग्रेसिव और दूसरो को नीचा दिखाने में लग गये सदियों की गुलामी के बाद हम खुद के सामाजिक मूल्यों को भूलकर अंग्रेजी सभ्यता को उच्च समझने लगे हैं I जिसकी देखा देखी आजकल की युवा पीढ़ी भारतीय सामाजिक मान्यताओं और मूल्यों को छोड़कर अंग्रेजी संस्कृति को अपनाने की होड़ में लगी हैं, और उसे अपनाने में अपनी शान समझती है I हालांकि ये सही बात है कि अच्छी और सच्ची बात हमे किसी भी संस्कृति से मिले वो हमे ग्रहण कर लेना चाहिए, लेकिन अपने नैतिक मूल्यों की सीमा को भी नही लांघना चाहिये I अंग्रेजी संस्कृति से प्रभावित होकर ही भारत के अंदर मल्टीनेशनल सिटीज में लिव इन रिलेशनशिप का चलन बढ़ा और आजकल की युवा पीढ़ी इसके प्रति आकर्षित होने लगी, न्यायालय के द्वारा लिव इन रिलेशनशिप को अपराध न मानने और करवल गैर सामाजिक कह देने के बाद इसका चलन और बढ़ गया I जिसकी देखा देखी भारत के अन्य शहरों और गांव में भी इसका असर देखा जाने लगा है, जो कि भारतीय संस्कृति के मूल्य और सामाजिकता के लिए बेहद खतरनाक है I
क्या है लव इन रिलेशनशिप
लिव-इन रिलेशनशिप, यानी शादी किए बगैर लंबे समय तक एक घर में साथ रहने पर बार-बार सवाल उठते रहे हैं. किसी की नज़र में ये मूलभूत अधिकारों और निजी ज़िंदगी का मामला है, तो कुछ इसे सामाजिक और नैतिक मूल्यों के पैमाने पर तौलते हैं I
भारत में युवाओं में अंग्रेजी कल्चर के प्रभाव के कारण ‘लिव इन रिलेशनशिप’ की स्वीकार्यता बढ़ रही है। शायद इसलिए भी क्योंकि यह धर्म, जाति, वर्ग और नस्ल के परे जाकर सम्बन्धों को मान्य करता है। हालांकि अधिकांश मामलों में शुरू में परस्पर आकर्षण और आपसी सहमति से बनने वाले ये अंतरंग सम्बन्ध बाद में सतत झगड़े और अपराध हत्या मुकदमो में तब्दील हो जाते हैं। ज्यादातर मामलों में यह देखने में आया है, कि पसंदीदा वर न मिल पाना या परिवार से बगावत शहरों में खुला जीवन जीने की चाह, सही उम्र में विवाह न हो पाना, आर्थिक संकट आदि होने की वजह से अधिकतर मामलो में पुरुष, महिलाओं को कुछ समय बाद शादी करने का झांसा देकर ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने के तैयार कर लेते हैं। लेकिन कुछ दिनों बाद वे शादी करने से पल्ला झाड़ लेते हैं। जिससे विवाद बढने पर महिला हिंसा से सम्बन्धित अपराधो में वृद्धि हो रही है, और हमारी युवा पीढ़ी डिप्रेशन का शिकार हो रही है I जब टीवी अख़बार में इस तरह का कोई समाचार आता है, तो हम सोचते है कि ऐसा हमारे या हमारे बच्चो के साथ नहीं होगा जबकि हम भी समाज में ही रहते है, और सामाजिक अपराध किसी के साथ भी घटित हो सकता है,लेकिन इस अपराध की तरफ समाज सरकार टीवी अख़बार समाजशास्त्री किसी का भी ध्यान नही है सब आधुनिकता का लबादा ओढकर चिंतामुक्त घूम रहे है,लेकिन इस सामाजिक अपराध के प्रति सबको जागरूक होने की आवश्यकता है I
युवाओ का मार्गदर्शन हमारी सामाजिक जिम्मेदारी
आजकल की युवा पीढ़ी अपने पूर्वजों की बतायी बातो और सामाजिक मूल्यों का सम्मान ना करते हुए अंग्रेजी ढंग से अपनी जिंदगी जीना चाहती है, और माता पिता के द्वारा कोई बात समझाने पर उसे ना मानकर उसका उल्टा ही किया जाना चलन में आ गया है I युवावस्था के अंदर विपरीत महिला और पुरुष के बीच बिना किसी सामाजिक स्वीकार्यता के किसी भी तरह का संबंध बनना बहुत ही खतरनाक है I बच्चों को थोड़ा ज्ञान मिलते ही बच्चे अपनी पहली पीढ़ी को अज्ञानी समझने लगते है, वैश्विक स्तर पर अंग्रेजी की अधिक मान्यता के कारण अपने बच्चो के उज्वल भविष्य के लिये आजकल माता पिता अपने बच्चों को अधिक ज्ञानी बनाने के लिए उन्हें अंग्रेजी कल्चर के अंग्रेजी शिक्षा में ही पढ़ाई की जा रही है, पढाई का बोझ इतना ज्यादा है कि बच्चो को अपने माता पिता बुजुर्गो से बात करने का समय तक नही मिल पाता है I जिससे भारतीय बच्चे, युवा अपने सामाजिक मूल्य और परंपराओं से अनभिज्ञ होते जा रहे हैं, प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद बच्चे आगे की शिक्षा, नौकरी, व्यापार आदि के लिये अपना घर छोड़कर बड़े शहरों में आ जाते हैं, और यहाँ आकर उनके पीछे माता पिता की रोकटोक खत्म हो जाती है I किशोरों में सामाजिक मूल्यों और नैतिकता की शिक्षा का अभाव होने के कारण ये अग्रेज़ी संस्कृति हिसाब से खुद को मार्डन समझकर आधुनिकता की दलदल में फंसकर लिव इन रिलेशनशिप जैसे अपराधो में लिप्त हो जाते है, सामाजिक मूल्यों और नैतिकता की शिक्षा का अभाव होने के कारण वे इन बुरे कामो को बुरा नहीं समझते और इस तरह के अपराधो को सामान्य समझकर स्वीकार कर लेते है I इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है की युवा पीढ़ी अपना अच्छा गलत न सोचते हुए किसी के भी प्रति उसका पारिवारिक इतिहास, आदत और व्यवहार को सही प्रकार से जाने बगैर आकर्षित हो जाती है I और कुछ समय में ही कुछ समय उसके साथ बिता कर ही अपनी पूरी जिंदगी का फैसला बिना अपने माता-पिता की मर्जी के उसके साथ कर देती है I इससे माता-पिता का भी समाज के अंदर सामाजिक स्तर गिरता है, और वह खुद को समाज के सामने हीन दृष्टि से खड़ा हुआ पाते हैं I सामजिक दबाव के कारण ज्यादातर मामलो में माता पिता अपने बच्चो से सम्बन्ध विच्छेद कर लेते है या आत्महत्या कर लेते है Iइसलिए सरकार और समाज को एक साथ आकर इस तरह की कुरीतियों से समाज को बचाने की अत्यंत आवश्यकता है इसके लिए प्रत्येक सामाजिक व्यक्ति को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझते हुए अपने बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और सामाजिक मूल्यों की भी शिक्षा देनी जरूरी है, जिससे वे भारतीय समाज की रस्मो रिवाज के हिसाब से अपना अपने जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव को देख सकें जब बच्चे युवावस्था में कदम रखते हैं, तो उनके माता-पिता को उनके व्यवहार उनके मित्रो का पारिवारिक इतिहास की जानकारी होनी चाहिए,माता पिता को जिम्मेदारी से न भागते हुए अपने बच्चों के प्रति सचेत होकर उनकी समस्याओं को पूछना चाहिए और उनके साथ सही व्यवहार करना चाहिए जिससे वे किसी गलत काम में ना पड सके, और बच्चा यदि बाहर रह रहा है, तो उसको चाहे वो अकेला रहे या किसी के साथ समय समय पर उसका मूल्यांकन और वस्तुस्थिति का पता करते रहना चाहिए, यदि हो सके तो स्वयं माता पिता में से किसी एक को उसके सामजिक रूप से परिपक्व होने तक उसके साथ रहना चाहिए I
आजकल इंटरनेट तकनीकी इतनी बढ़ गयी है कि आप तकनीकी के माध्यम से भी अपने बच्चो से दूर रहकर भी उनका ध्यान रख सकते हैं I सरकार और न्यायालय को भारतीय समाज के नैतिक मूल्यों के हिसाब से कानून बनाकर लिव इन रिलेशनशिप पर सजा तय करनी चाहिए क्योकि भारतीय समाज अपने भीतर प्राचीन सामाजिकता और परम्परा को समेटे हुये है इसलिए भारतीय समाज में लिव इन रिलेशनशिप की कोएई जगह नहीं है,इस तरह के कानूनों से छूट पाकर कोई दुष्ट व्यक्ति इस तरह के कानूनों का गलत फायदा उठाकर किसी की भी जिंदगी बर्बाद कर सकता है I