एजुकेशन

साढ़े 5 साल में भी सेवा चयन बोर्ड तय नही कर पाया, प्रिंसिपल की नियुक्ति सही थी या गलत

मुजफ्फरनगर में प्रिंसिपल की फर्जी नियुक्ति के मामले में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड साढे पांच साल में भी यह तय नहीं कर पाया कि नियुक्ति सही थी या गलत। इस बीच कोरोना के चलते उनकी मौत भी हो गई। कुल मिलाकर साफ है कि फाईलो में मामला चलता रहा और सैटिंग के खेल में आरोपी अपने पद पर काम करते रहे।
गौरतलब है कि वर्ष 2016 में जनता इंटर कॉलिज लच्छेडा के प्रधनाचार्य हर्ष कुमार शास्त्री की शिकायत अम्बेडकर युवा मंच के प्रदेश अध्यक्ष राधेश पप्पू द्वारा की गई थी। जांच के दौरान तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक वीपी सिंह ने पाया था कि उनकी नियुक्ति पूरी तरह से अवैध् है। उन्होंने प्रबन्धक को पत्र लिखकर सेवा समाप्ति की कार्यवाही के लिए कहा था। लेकिन प्रबन्धक ने न निलम्बन किया और न ही सेवा समाप्ति की कार्यवाही की। इस बीच आरोपी के खिलाफ मंसूरपुर थाने पर मुकदमा भी दर्ज कराया गया। उस समय जिला विद्यालय निरीक्षक वीपी सिंह की ओर से माना गया था कि जानबूझकर प्रबन्धक पक्षपात कर रहे हैं। जिसके बाद हाईकोर्ट ने प्रधानाचार्य को स्टे दे दिया था।
इसके बाद डीआईओएस ने स्पष्ट किया था कि केवल गिरफ्तारी पर स्टे है। विभागीय कार्यवाही पर कोई रोक नहीं है। मगर प्रबन्धक की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई। बल्कि प्रधानाचार्य छुट्टी पर भी चले गये थे। कुल मिलाकर यह मामला तभी से माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में उलझा हुआ था। जब शिकायतकर्ता को लगा कि कोई कार्यवाही नहीं हो रही है तो उन्होंने सूचना के अधिकार का सहारा लेकर रिपोर्ट मांगी। इसके बाद भी सेवा चयन बोर्ड ने रिपोर्ट नहीं दी। जिसके चलते कुछ दिन पहले उन पर सूचना आयोग ने 25 हजार रूपये का जुर्माना लगा दिया। अब कोरोना सीजन में प्रधनाचार्य हर्ष कुमार शास्त्री की मौत भी हो चुकी है। यानि साढे पांच साल में भी सेवा चयन बोर्ड डीआईओएस की जांच रिपोर्ट पर कोई फैसला नहीं ले पाया।
इस सम्बन्ध् में शिकायतकर्ता का कहना है कि ऐसे ही सैकडो मामले सेवा चयन बोर्ड में लम्बित चल रहे है। जिसमें कई जांच भी हो चुकी है। मगर कोई फैसला नहीं लिया जाता। जिससे सुलभ न्याय संभव नहीं हो पा रहा है।
सूचना आयोग ने जानकारी न देने पर लगाया जुर्माना

इंटर कॉलिज लच्छेडा के प्रधानाचार्य रहे हर्ष कुमार की नियुक्ति के मामले में राज्य सूचना आयोग ने माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सचिव पर 25 हजार रूपये का जुर्माना लगाया हैं। आरोप है कि सचिव ने मुजफ्फरनगर के ग्राम लच्छेडा में स्थित जनता इंटर कॉलिज के प्रधनाचार्य हर्ष से जुडी सूचना आवेदक को उपलब्ध् नहीं कराई थी। सुनवाई के दौरान राज्य सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने अपने आदेश में लिखा कि प्रतिवादी की ओर से उनके प्रतिनिधि संजय कुमार उपस्थित हुए।
प्रतिवादी ने बताया कि जो सूचना मांगी गई थी। उसका मूल आवेदन कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। जिसके चलते प्रतिवादी को सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता का मूल आवेदन प्राप्त कराया गया। राज्य सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने माना कि चार जनवरी 2020, तीन मार्च 2021 को पक्ष रखने के लिए सचिव को कहा गया। लेकिन सचिव कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए। जिससे स्पष्ट है कि जानबूझकर सूचना नहीं दी जा रही थी। ऐसे में उन पर 25 हजार रूपये का अर्थ दंड लगाते हुए शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सचिव को सूचना देने का अन्तिम अवसर दिया गया। बता दे कि जिस मामले में सूचना मांगी गई थी उसमें आरोपी की मौत हो चुकी है।

TRUE STORY

TRUE STORY is a Newspaper, Website and web news channal brings the Latest News & Breaking News Headlines from India & around the World. Read Latest News Today on Sports, Business, Health & Fitness, Bollywood & Entertainment, Blogs & Opinions from leading columnists...

Related Articles

Back to top button