जिसने क्रोध, मान, माया व लोभ को दूर किया, जीवन उसी का सार्थक: ज्ञानमती माता

कमलानगर जैन मंदिर के दर्शन करते हुए थापरनगर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में हुआ आगमन
मेरठ। विश्व प्रसिद्ध जम्बूद्वीप रचना निर्माण की प्रेरिका गणिनी प्रमुख ज्ञानमती माताजी का भव्य मंगल आगमन मंगलवार शाम शहर में हुआ। देश की सर्वोच्च जैन साध्वी ज्ञानमती माताजी का मंगल आगमन सायंकाल 4.30 बजे कमलानगर जैन मंदिर के दर्शन करते हुए थापरनगर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में हुआ।
जंबूद्वीप के प्रबंध मंत्री डॉ. जीवन प्रकाश जैन ने बताया कि माताजी का विहार राजधानी दिल्ली से हस्तिनापुर की ओर चल रहा है। इसी मध्य मेरठ शहर में पूज्य माताजी के दो दिवसीय मंगल प्रवास में 8 दिसम्बर को प्रात: 8 बजे सदरबाजार दुगार्वाडी के दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर में मंगल प्रवचन सभा आयोजित होगी। पश्चात मध्याह्न 2 बजे से थापरनगर के दिगम्बर जैन मंदिर में धर्मसभा व पूजा अनुष्ठान का विशेष आयोजन सम्पन्न होगा। पुन: 9 दिसम्बर को प्रात: शास्त्रीनगर के जैन मंदिर में धर्मसभा और आहारचर्या के उपरान्त सायंकाल वे डिफेन्स कॉलोनी पहुँचेंगी। यहाँ रात्रि विश्राम के उपरान्त आगे मवाना के रास्ते विहार करते हुए 11 दिसम्बर को शाम 4.30 बजे जंबूद्वीप तीर्थ-हस्तिनापुर में पूज्य माताजी संघ का भव्य मंगल प्रवेश होगा। ज्ञात हो कि माताजी की प्रेरणा से राजधानी दिल्ली के कनॉटप्लेस एरिया में 4000 गज के विशाल प्रांगण में भगवान भरत ज्ञानस्थली तीर्थ का निर्माण हुआ है। यहाँ भगवान भरत स्वामीजी की 31 फीट विशाल प्रतिमा एवं ध्यानकेंद्र की स्थापना की गयी है, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा पूज्य माताजी के संघ सान्निध्य में जून-2021 में पूर्ण हुई। दिल्ली जैन समाज के विशेष आग्रह पर माताजी ने वर्ष 2021 का चातुर्मास भरत ज्ञानस्थली तीर्थ पर सम्पन्न किया, जिसमें देश के रक्षा मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष आदि सहित अनेकों राजनेताओं ने पूज्य माताजी के समक्ष पधारकर उनके दर्शनकर विभिन्न समसामयिक मुद्दों पर चर्चा भी की।
माताजी का राष्ट्रपति भवन में हुआ उद्बोधन
विशेष रूप से 14 नवम्बर 2021 को देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आमंत्रण पर माताजी का राष्ट्रपति भवन में उद्बोधन भी हुआ। राष्ट्रपति ने प्रथम महिला सविता कोविंद के साथ माताजी के प्रति अत्यंत आत्मीय और सम्मानजनक भावपूर्वक उनके दर्शन व आशीर्वाद का लाभ लिया।
ज्ञानमती माता ने सदाचारी रहने का संकल्प दिलाया
आगमन अवसर पर ज्ञानमती माताजी ने सभी को अपने जीवन में धर्म अवश्य धारण की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन सभी जी रहे हैं लेकिन, सार्थक उन्हीं का है जो अपने जीवन में क्रोध, मान, माया व लोभ इन चार कषायों से दूर रहने का प्रयास करते हैं। इसके साथ ही हमें राग, द्वेष को भी अपने जीवन में सदा कम करने का प्रयास करना चाहिए। माताजी ने भगवान ऋषभदेव से लेकर भगवान महावीर तक सभी तीर्थंकरों द्वारा दिए अहिंसामयी उपदेशों पर भी चर्चा करते हुए सभी को सदाचारी रहने का संकल्प दिलाया।