जैन समाज अयोध्या में कराएगा ऋषभदेव जन्म भूमि का विकास: रवींद्रकीर्ति स्वामी

अयोध्या में हुआ भगवान आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ एवं अनंतनाथ का जन्म
मेरठ। अयोध्या में 11 दिगंबर जैन मंदिरों का जीर्णोद्धार व विकास हुआ है। प्राचीन समय से कमेटी के पास सात एकड़ के भूखंड में विशाल तीर्थ निर्मित है। जिसमें 31 फीट भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा विराजमान है। अब इस परिसर को नए सिरे से विकसित किया जा रहा है। जिसमें अनेकों अद्भुत रचनाओं एवं जिनमंदिरों की परिकल्पना को साकार किया जाएगा। उक्त जानकारी बुधवार को थापरनगर में आयोजित हुई प्रेसवार्ता के दौरान पीठाधीश स्वस्तिश्री रवींद्रकीर्ति स्वामी ने दी।
उन्होंने बताया कि अयोध्या का विकास ज्ञानमती माता की शिष्या प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चंदनामती माता के मार्गदर्शन में होगा। श्री दिगंबर जैन अयोध्या तीर्थक्षेत्र कमेटी द्वारा संपन्न किया जाएगा। दरअस्ल, अयोध्या को जैनधर्म में शाश्वत तीर्थ कहा गया है। यहां प्रत्येक काल के 24 तीर्थंकर भगवंतों का जन्म हुआ है। यह अनंतानंत तीर्थंकरों की जन्मभूमि होने से जैनधर्म में अत्यंत प्राचीन और अनादिकाल श्रद्धा का केंद्र है। वर्तमान समय में यहां भगवान आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ एवं अनंतनाथ भगवान का जन्म हुआ है। पांच तीर्थंकरों की प्राचीन चरण पादुकाएं अयोध्या में विराजमान है। जिनको 20-25 वर्षों में सुंदर जिनालयों के रूप में विकसित किया गया है। हालांकि, इससे पूर्व भी 1952, 1965 में ज्ञानमती माता की प्रेरणा से 1994 से अयोध्या का विकास होता रहा है। पीठाधीश रवींद्रकीर्ति स्वामी ने ज्ञानमती के बारे में बताया कि वे देश की सर्वोच्च जैन साध्वी है। हस्तिनापुर में निर्मित जंबूद्वीप तीर्थ समेत पूरे देश के अनेक स्थानों पर विशाल तीर्थों के निर्माण ज्ञानमती माता ने करवाए हैं। जैन धर्म की प्राचीन संस्कृति को संरक्षित एवं विकसित ज्ञानमती माता ने किया है। प्रेसवार्ता में मीडिया प्रवक्ता सुनील जैन, अंकुर जैन, ऋषभ जैन, संजय जैन, मनोज जैन, राकेश जैन, सुनील जैन सर्राफ, डॉक्टर जीवन प्रकाश जैन, विजय जैन आदि उपस्थित रहें।
500 ग्रंथों का सृजन ज्ञानमती माता की लेखनी से हुआ
अयोध्या में जिनमंदिर विकास, प्रयागराज में तपस्थली, कुंडलपुर में नंद्यावर्त महल, गोरखपुर में काकंदी धाम, शिरडी में ज्ञान तीरथ, मांगीतुंगी में 108 फीट ऋषभदेव, माधोराजपुरा में पारसनाथ तीर्थ, सम्मेद शिखर में शांति सागर धाम, भद्दिलपुर में शीतल नाथ धाम आदि अनेक तीर्थों का विकास कराया है, इसके साथ ही साहित्य जगत में प्राचीन जैन आगम के लगभग 500 ग्रंथों का सृजन ज्ञानमती माता की लेखनी से हुआ है।
राजधानी दिल्ली में एक नए तीरथ का विकास करवाया
उन्होंने राजधानी दिल्ली में एक नए तीरथ का विकास करवाया है। दिल्ली के कनॉट प्लेस एरिया में माता जी की प्रेरणा से चक्रवर्ती भगवान भरत ज्ञानस्थली दिगंबर जैन तीर्थ का निर्माण हुआ है। 31 फीट की भगवान भरत प्रतिमा विराजमान की गई है और एक सुंदर ध्यान केंद्र भी बनाया गया है। ध्यान केंद्र में हीम बीजाक्षर की श्वेत वियतनाम पाषाण में निर्मित 9 फीट विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है। इसी तीर्थ की भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव और दिल्ली में वर्ष 2021 का चतुर्मास करने के बाद अब पुन: माता जी का आगमन दिल्ली से मेरठ होते हुए 11 दिसंबर को जंबूद्वीप हस्तिनापुर में हो रहा है।