विकास की ओर चले, विनाश से बचे: स्वामी ज्ञानानंद महाराज

गुरुदेव ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी दिव्यानंद तीर्थ महाराज का हुआ प्रकाश पर्व
मेरठ। गुरुदेव ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी दिव्यानंद तीर्थ महाराज के प्रकाश पर्व के पर्व पर ज्योर्तिमठ अवंतर भानपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ महाराज ने चरण पादुका पूजन के दौरान अपने गुरुदेव को स्मरण करते हुए कहा, गुरुदेव एक ज्योति के प्रकाश पुंज के रूप में उनका आशीष हम सबको प्राप्त है। कोरोना की बीमारी को देखते हुए कहा, आज संपूर्ण विश्व एक व्याधि से गुजर रहा है, जैसा कि हमारे शास्त्रों में भी सावधान किया है, इस महामारी ने सभी के अर्थ को प्रभावित किया है, जनमानस को भी प्रभावित किया है। वित्त का तो आना जाना है लेकिन, अपने जीवन को संरक्षित करने का कार्य भी जरूरी है।
उन्होंने पीठ से मछली का उदाहरण देते हुए कहा कि जल की अपनी एक गति होती है कि वह ऊपर से नीचे की तरफ को अपना मार्ग बनाता है लेकिन, मछली उस दिशा के सातवीं और दिशा के विपरीत भी जीवन चलाती है, मछली का पहला अवतार मत्स्य अवतार ही है इसलिए, उससे सीख लेकर मनुष्य को विकास की ओर चले लेकिन, विनाश से भी बचे। मछली की तरह ऊंचाइयों की ओर चलना आवश्यक है। जीवन में 4 गुण है। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। कहा कि जिस प्रकार सूर्य का ताप लेने के लिए आपको पेट से अग्नि का तक लेने के लिए हाथ से वैसे ही गुरु के ज्ञान को दंभ छोड़कर आना पड़ेगा, दंभ शरीर का दोष है जिसकी वाणी कपट है उसका दोष है, अगर आपको गुरु की संगत में मोक्ष की तरफ चलना है तो अपने जीवन में झूठ रूखापन चुगली अनर्गल बाद आदि को छोड़ना होगा। सुबह स्थल पर हवन हुआ, जिसमें मुख्य यजमान इंजीनियर मनोज गर्ग रहें। शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानन्द से आशीर्वाद लेने पहुंचे सांसद राजेन्द्र अग्रवाल, विनीत शारदा, पउप्र के संयोजक आलोक सिसोदिया, नवीन अरोरा, बाबूलाल गुप्ता, अंकुर गोयल, नरेंद्र रास्ट्रवादी, मनोज गर्ग, मनोज सेन, डॉ. अतुल गौड, विपिन रस्तोगी, अमित गर्ग आदि मौजूद रहें।