
TRUE STORY
कुछ माह पहले अचानक हुए रूसी हमले के बाद यूक्रेन से भारत लौटे एमबीबीएस के विद्यार्थियों को सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन का मौका नहीं मिल रहा है। यही नहीं, इन छात्रों को दूसरे देशों में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने की एनएमसी से अनुमति भी नहीं मिल रही है। ऐसी स्थिति में इन छात्रों को अपना कॅरियर बर्बाद होता नजर आ रहा है। सबकी नजर पीएम नरेंद्र मोदी पर है। जहा से अभी कोई फैसला नही लिया जा सका है। देश के हर जनपद से मांग पीएमओ तक पहुंच चुकी है।

यूक्रेन से लौटे जिले के 80 से अधिक एमबीबीएस छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है। इन छात्रों को निजी से लेकर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पढाई को लेकर सरकार ने कोई फैसला नहीं किया है। छात्रों का कहना है कि उनकी पढ़ाई आनलाइन चल रही है। जैसे वेसे सेमेस्टर तो पूरा हो गया, लेकिन एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान प्रैक्टिकल भी जरूरी है। अगर पढाई के दौरान प्रैक्टिकल नहीं होता है, तो पढ़ाई करना बेकार है। ऐसे में ये छात्र बेहद परेशान हैं।

मुजफ्फरनगर के रामपुरम अम्बा विहार निवासी
एमबीबीएस के छात्र अब्दुस समद ने बताया कि यूक्रेन में जारी युद्ध को देखते हुए यूक्रेन ही नहीं आस पास की कन्ट्री में भी वापस जाना नामुमकिन है। इसी के साथ छात्रों को यूक्रेन से अन्य देशों में ट्रांसफर लेकर पढ़ाई के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की अनुमति भी नहीं है। बिना अनुमति के अगर कोई पढ़ाई के लिए जाता है, तो उन देशों की डिग्री भारत में मान्य नहीं होगी। ऐसे में पूरी पढ़ाई ही बेकार साबित हो जाएगी। पैसे भी बर्बाद हो जाएंगे।
इसी मुद्दे को लेकर यूक्रेन से लौटे देश भर के हजारों छात्र दिल्ली के जंतर-मंतर व एन0एम0सी0 पर बार-बार प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका असर यह है कि एनमएसी 15 जुलाई तक कोई फैसला दे सकती है। अगर छात्र हित में फैसला नहीं आया तो भविष्य बर्बाद हो जाएगा। पढ़ाई में लगे लाखों रुपये डूब जाएंगे।


मेडिकल के छात्र फरमान चौधरी एवं हर्ष गोयल ने बताया कि वो देश के कई बड़े नेताओं से मिलकर अपनी चिंताओं से अवगत करा चुके है। मुजफ्फरनगर में आप्रेशन गंगा तहत के वापस लाये गए छात्रों की वहां से आने के बाद किसी भी राजनीतिक दल ने उनकी सुध नहीं ली। इसी बीच वो खुद जा जा कर केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान व राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल से मिले। लेकिन सरकार के किसी भी मंत्री या राज नेता ने उनको आश्वासन तो दिया। मगर समस्या का समाधान नहीं हुआ। यही वजह है कि छात्रों के साथ साथ उनके अभिभावक भी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। चूंकि ये सभी छात्र मध्य वर्गीय परिवार के है। बावजूद इसके यूक्रेन से लौटे एमबीबीएस के छात्रों के संबंध में अब तक कोई भी दिशा निर्देश सरकार या फिर चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से नहीं मिला है।

एमबीबीएस के छात्र मोहम्मद कैफ ने बताया कि उसकी 5 वे साल की परीक्षा ऑनलाइन हो चुकी है। अब इससे आगे की पढ़ाई के लिये प्रैक्टिकल भी जरूरी है। सरकार के द्वारा अभी तक कोई फैसला न लेने से भविष्य को लेकर चिंता बनी हुई है। छात्रों के अभिभावकों ने मांग की है कि चार महीने से ज़्यादा युद्ध चलते हुए हो गए, अभी तक युद्ध बंद नहीं हुआ। ऐसे हालात में आप्रेशन गंगा तहत वापस लाये गये छात्रों को देश के ही मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन दिया जाय।