ईंट भट्टे बन्द होने से UP के लाखो मज़दूरों की रोजी रोटी पर संकट, हडताल पर गये मालिकान

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सूबे में 18000 ईंट भट्ठे पूरी तरह से बंद है। वजह कोयले के दाम में बढ़ोतरी व GST दरों में उछाल है। जिसको लेकर भट्टा यूनियन के आह्वान पर हड़ताल जारी है। सिर्फ UP की ही बात करे तो यहां हर एक भट्टे के बंद होने से 100 परिवार यानी 500 व्यक्ति भूखे मरने को मजबूर हो गए है। पडौसी राज्य हरियाणा में भी ढाई लाख मज़दूरों के सामने रोटी का संकट है। मगर गरीब की सुनने को कोई तैयार नही।
भट्टा मालिकान से बात की गई तो चौकाने वाली बात सामने आई। इनका कहना था कि महंगाई बढ़ रही है। GST की दरों को बढ़ाना न्याय संगत नही है। रही सही कसर कोयले के दाम में बढ़ोतरी करके पूरी कर दी गई। अब ऐसे हालात में भट्टा कैसे चले? भट्टो का सीजन सितंबर के महीने में शुरू हो जाता है मगर इस वर्ष कोई उम्मीद नही।मज़दूरों का कहना है कि वे सीज़न के इंतजार में कई माह से बैठे थे मगर अब पता चला कि हड़ताल हो गई हैं तो उनके पास भूखे मरने के अलावा कोई चारा नही। दवा को पैसे नही रहे। बेटियों की शादियां अधूरी पड़ी रह गई।
PM आवास योजना को भी झटका:-
ईटों का उत्पादन बंद होने से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे मकानों का कार्य भी रुक गया है। यानी प्रधानमंत्री आवास योजना को भी करारा झटका लगा है।पहले ईट का रेट 4000 प्रति हज़ार तक रहता था। जो अब बढ़कर 7000 प्रति हज़ार तक पहुंच गया है।इधर सीमेंट और सरिये के रेट भी आसमान छू रहे हैं। ऐसे में तयशुदा धनराशि में मकान बनाना संभव नहीं।
इधर भट्टा मजदूर यूनियन से जुड़े लोगों का कहना था कि सरकार की गलत नीतियों के चलते लघु उद्योग ठप्प हो गए हैं। मजदूरों के सामने रोजी-रोटी की समस्या पैदा हो रही है।ईट भट्टों पर 12% जीएसटी लगाना सरासर गलत है। ईट भट्टा लघु उद्योग की श्रेणी में है सरकार को अन्य उद्योग की तर्ज पर इसे भी सब्सिडी देनी चाहिए ताकि यह रोजगार बचा रह सके।
” बेतहाशा जीएसटी बढ़ने से भट्टा कारोबारी परेशान है। सरकार बढ़ाई गई जीएसटी दर को वापस ले और कोयला भी सस्ती दरों पर उपलब्ध कराएं यदि उनकी मांग नहीं मनती तो हड़ताल वापस नही होगी। क्योंकि इसके अलावा उनके पास कोई दूसरा चारा नहीं है।”
हाजी ज़ियाउर्रहमान
(सहमंत्री एवं मीडिया प्रभारी)
ईट निर्माता कल्याण समिति
मुज़फ्फरनगर।