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यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों को ‘सुप्रीम’ राहत, कोर्ट ने जारी किया नोटिस- 5 को होगी अगली सुनवाई

नई दिल्ली। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों की भारत में अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति देने की मांग वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है। अब इस मामले की सुनवाई पांच सितंबर को होगी। गौरतलब है कि
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अपने वतन लौटे मेडिकल छात्र लगातार मांग कर रहे हैं कि उन्हें भारत में अपनी पढ़ाई जारी रखने दिया जाए। इस मांग को लेकर छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने यूक्रेन से लौटे इन मेडिकल छात्रों की भारत में अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति देने की मांग वाली सभी याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है. अब इस पूरे मामले की सुनवाई पांच सितंबर को होगी। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने छात्रों के लिए तर्क देते हुए केंद्र से इन छात्रों के लिए कुछ स्टैंड लेने का आग्रह किया. उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि मामले की जल्द से जल्द सुनवाई हो. इस पर बेंच ने कहा कि मामले की सुनवाई 5 सितंबर को होने दें।। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को उन याचिकाओं के एक बैच पर नोटिस जारी किया है. जो युद्धग्रस्त यूक्रेन से वापस आए छात्रों द्वारा दायर की गई थीं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने एक सिफारिश का हवाला दिया, जो विदेश मामलों की स्थायी समिति द्वारा लोकसभा को सौंपी गई थी. सिफारिश में कहा गया था कि छात्रों को उनकी स्थिति को देखते हुए भारतीय कॉलेजों में समायोजित किया जाना चाहिए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को नेशनल मेडिकल काउंसिल को रूस-यूक्रेन युद्ध और कोविड महामारी से प्रभावित एमबीबीएस छात्रों को एक बार के उपाय के रूप में यहां के मेडिकल कॉलेजों में अपना क्लीनिकल ट्रेनिंग पूरा करने की छूट देने को लेकर दो महीने में एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।
इस पर एनएमसी ने नोट‍िस जारी करके बताया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 29 अप्रैल को पारित आदेश के अनुसार यह सूचित किया जाता है कि भारतीय छात्र जो अपने स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में थे और कोविड-19 या रूस-यूक्रेन युद्ध आदि के कारण अपने विदेशी चिकित्सा संस्थान को छोड़कर भारत लौट आए और बाद में अपनी पढ़ाई पूरी कर ली है. उन्हें FMG परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी. छात्रों को 30 जून, 2022 को या उससे पहले अपने संबंधित संस्थान द्वारा पाठ्यक्रम पूरा करने का प्रमाण पत्र प्राप्त करना आवश्यक है।। छह महीने से ज्यादा का समय रूस-यूक्रेन युद्ध को हो चुके हैं। कहीं से युद्ध के बादल छंटने के संकेत नहीं मिल रहे। इस वजह से मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जाने वालों का भविष्य अंधकारमय ही है। सरकार ने भी अब तक ऐसे छात्र-छात्राओं को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं लिया है, ऐसे में छात्र-छात्राओं और उनके परिजनों के समक्ष अनेक प्रकार की परेशानियां खड़ी हो गई हैं। वापस लौट चुके छात्रआगे की पढ़ाई वो किस तरह से करेंगे, कर पाएंगे भी या नहीं- इसे लेकर कुछ साफ नहीं हो पा रहा है। इस बीच अनेक छात्र-छात्राएं अपनी जान जोखिम में डालकर यूक्रेन लौट चुके हैं।

जान की बाजी लगाकर भविष्य संवारने की जिद

भारत से मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए छात्र-छात्राओं में अधिकतर ऐसे हैं, जो मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। वहां मेडिकल की पढ़ाई अपेक्षाकृत सस्ती है, इसलिए इनके माता-पिता ने अपनी ओर से सब कुछ दांव पर लगाकर इन्हें वहां प्रवेश दिलवा दिया। UP सहित भारत के विभिन्न हिस्सों के अनेक अभिभावक ऐसे हैं, जिन्होंने कर्ज लेकर अपने बच्चों को यूक्रेन भेजा। उनको उम्मीद थी कि जब बच्चे डिग्री लेकर लौटेंगे तब उनके सारे कर्ज उतर जाएंगे लेकिन युद्ध कब समाप्त होगा, इसका कोई अंदाजा नहीं है। ऐसे में वे छात्र-छात्राएं असमंजस में हैं। उनकी अपेक्षा है कि राज्य और केंद्र की सरकारें इस दिशा में कोई ठोस निर्णय लें, ताकि उनका भविष्य बर्बाद होने से बच सके। बच्चों का कहना है कि उनको आनलाइन कक्षाएं के माध्यम से पढ़ाया तो गया, लेकिन क्लीनिकल प्रैक्टिस बंद होने से उनकी पढ़ाई का कोई औचित्य नहीं रह गया।

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